दुनियाभर में बच्चों में मोटापे की समस्या तेजी से बढ़ रही है। मोटापे के कारण बच्चे छोटी उम्र में ही तमाम तरह की बीमारियों का शिकार हो रहे हैं। पिछले दिनों आई एक नई रिसर्च में एक मजेदार खुलासा हुआ है और वो ये है कि जो बच्चे अपने मां-बाप की इकलौती संतान होते हैं, उनमें मोटापे का खतरा ज्यादा पाया जाता है। इसका कारण शायद मां-बाप या अभिभावकों का ज्यादा प्यार-दुलार और अतिरिक्त देखभाल हो सकती है। मगर इस शोध के बाद 'बचपन में मोटापे' के बारे में एक नया आयाम सामने आया है। जिससे भविष्य में बच्चों को मोटापे से बचाने में मदद मिल सकती है।
क्या कहता है शोध
हाल में हुए एक अध्ययन के बाद अध्ययनकर्ताओं ने इस बात का दावा किया कि जो बच्चे अपने मां-बाप की इकलौती संतान होते हैं, उनमें मोटापे का खतरा ज्यादा होता है। अध्ययनकर्ताओं के मुताबिक ये खतरा उन बच्चों की अपेक्षा 7 गुना ज्यादा होता है, जिनके भाई-बहन होते हैं। इस रिसर्च को ओकलाहोमा यूनिवर्सिटी हेल्थ साइंसेस के वैज्ञानिकों ने किया है। अध्ययन के लिए वैज्ञानिकों ने इकलौते बच्चों के खान-पान की आदतों और उनके बॉडी मास इंडेक्स (Body My Index) के साथ सेहत से जुड़ी अन्य बातों की जानकारी जुटाई। इस अध्ययन में 68 परिवारों को शामिल किया गया, जिनमें से 27 परिवार इकलौते बच्चे वाले थे।
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खानपान की होती है गलत आदतें
ये रिसर्च 'जर्नल ऑफ न्यूट्रीशन एजुकेशन एंड बिहैवियर' के नवंबर-दिसंबर 2019 अंक में छापी गई है। रिसर्च के अनुसार परिवार में इकलौते बच्चे में अक्सर खानपान से जुड़ी हेल्दी आदतें नहीं पाई जाती हैं। ऐसे बच्चों में बाहर का खाना और पैकेटबंद चीजें खाने की आदत ज्यादा पाई गई, जिसके कारण ये घर का खाना बहुत कम पसंद करते थे। जबकि कई बच्चे वाले परिवारों में अक्सर खाने-पीने की चीजों का बंटवारा और हेल्दी आदतों का ख्याल रखा जाता है। वैज्ञानिकों ने बताया कि ऐसे बच्चों का बीएमआई ज्यादा पाया गया, जिसका अर्थ है ये बच्चे या तो मोटापे का शिकार हैं, या भविष्य में मोटापे का शिकार हो सकते हैं।
क्या कहते हैं एक्सपर्ट
अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स के एक अधिकारी Dr. Natalie Muth ने कहा, "हालांकि यह अध्ययन अभी काफी छोटे स्तर पर किया गया है मगर इससे मिलने वाले परिणाम काफी रोमांचक है। इस अध्ययन में यह नहीं बताया गया है कि ऐसे बच्चों में मोटापे का मुख्य कारण क्या है। मगर फिर भी ये रिसर्च अपने आप में महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे बच्चों में मोटापे के बारे में और बेहतर जवाब ढूंढे जा सकते हैं।"
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