स्टडी : सिर्फ मोटापे के कारण नहीं होता सिंड्रोम एक्स, जानिए इसके बारे में

आज के समय में मोटापा एक महामारी की तरह फैल रहा है। वल्र्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पूरे विश्व में मोटापा 1975 से लगभग तीन गुना हो गया है। जहां मोटापा स्वयं में एक समस्या है, वहीं यह अन्य भी कई बीमारियों को अपने साथ लेकर आता है। इन्हीं में से एक है सिंड्रोम एक्स। मोटापे के कारण इस समस्या के होने की संभावना काफी बढ़ जाती है। हालांकि सिंड्रोम एक्स सिर्फ मोटापे के कारण ही नहीं होता, बल्कि इसके पीछे अन्य भी कई कारक जिम्मेदार हैं। तो चलिए जानते हैं इसके बारे में-
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स्टडी : सिर्फ मोटापे के कारण नहीं होता सिंड्रोम एक्स, जानिए इसके बारे में


सिंड्रोम एक्स एक ऐसा शब्द है, जिसके बारे में बहुत से लोगों को जानकारी नहीं होती। यह वास्तव में कोई बीमारी नहीं है, बल्कि व्यक्ति के लिए एक चेतावनी का संकेत है। इससे कारण व्यक्ति को कई गंभीर समस्याओं जैसे स्ट्रोक, मधुमेह व हद्य परेशानी का खतरा काफी बढ़ जाता है। सिंड्रोम एक्स को मेटाबाॅलिक सिंड्रोम भी कहा जाता है। इसके अतिरिक्त इसके बारे में गेराल्ड रिवेन ने पता लगाया था, इसलिए इसे रिवेन सिंड्रोम भी कहते हैं। वहीं इसके घातक परिणामों के आधार पर इसे कियोस (chaos) सिंड्रोम भी कहा जाता है।

क्या है सिंड्रोम एक्स

जैसा कि बताया गया है कि सिंड्रोम एक्स एक बीमारी नहीं है, बल्कि यह जोखिम कारकों का एक समूह है- मोटापे के अतिरिक्त अगर व्यक्ति उच्च रक्तचाप, उच्च रक्तशर्करा, यूरिक एसिड का बढ़ना, कोलेस्ट्रॉल व ट्राइग्लिसराइड का असामान्य स्तर है तो वह सिंड्रोम एक्स से पीड़ित होता है। अगर कोई व्यक्ति सिंड्रोम एक्स के घेरे में आता है तो उसे स्ट्रोक, मधुमेह व हद्य संबंधी समस्याएं या हार्ट अटैक होने का खतरा काफी हद तक बढ़ जाता है। 

ऐसे करें पहचान

गुरूग्राम के आर्टेमिस अस्पताल के हेड एंडोक्रिनोलॉजिस्ट डाॅ धीरज कपूर कहते हैं कि इस समस्या को डायग्नोस नहीं किया जा सकता। न ही किसी व्यक्ति को देखकर कहा जा सकता है कि व्यक्ति सिंड्रोम एक्स से पीड़ित है। लेकिन इसके कुछ लक्षण व लैब टेस्ट होते हैं, जो सिंड्रोम एक्स के बारे में जानकारी देते हैं और अगर व्यक्ति के तीन परीक्षण पाॅजिटिव आते हैं तो यह कहा जाता है कि व्यक्ति सिंड्रोम एक्स से पीड़ित है। यह परीक्षण है-

  • अगर महिला में सामान्य कमर का साइज 35 इंच अर्थात 88 सेमी व पुरूषों में 40 इंच अर्थात 102 सेमी से अधिक है।
  • खाली पेट शुगर 100 मिलीग्राम या उससे अधिक होना।
  • ट्राइग्लिसराइड का स्तर 150 मिलीग्राम प्रति डेसीलीटर से अधिक होना।
  • रक्त में बैड कोलेस्ट्रॉल की मात्रा 150 मिलीग्राम प्रति डेसीलीटर का होना। वहीं गुड कोलेस्ट्रॉल पुरूषों में 40 मिलीग्राम प्रति डेसीलीटर व महिलाओं में 50 मिलीग्राम प्रति डेसीलीटर से कम होना।
  • ब्लड प्रेशर का स्तर 130/85 मिलीमीटर या उससे अधिक होना।

बढ़ रहे हैं मामले

डाॅ. धीरज कहते हैं कि वैसे तो यह लक्षण व्यस्क में देखे जाते हैं। खासतौर से इसका प्रभाव 35-36 की उम्र में होता है, लेकिन आज के समय में जिस तरह फास्ट फूड खाने का चलन बढ़ने लगा है, उसके कारण बच्चों में भी यह सिंड्रोम एक्स की समस्या देखी जा रही है। डाॅ धीरज के अनुसार, प्रतिदिन वह दो-तीन ऐसे बच्चों से मिलते हैं, जो सिंड्रोम एक्स से पीड़ित हैं। 36 वर्षीय अनिल बदला हुआ नाम जब धीरज से मिले तो उनका वजन काफी बढ़ चुका था और वजन कम न होने के कारण ही अनिल ने डाॅक्टर से संपर्क किया। जब अनिल का परीक्षण किया गया तो उसकी कमर का घेरा 104 सेंटीमीटर, खाली पेट शुगर 99 मिलीग्राम, ब्लड प्रेशर 150/90 मिलीमीटर, ट्राइग्लिसराइड 250 मिलीग्राम प्रति डेसीलीटर, व एचडीएल 36 मिलीग्राम प्रति डेसीलीटर था। इस प्रकार चार परीक्षण पाॅजिटिव होने के कारण अनिल सिंड्रोम एक्स के घेरे में आ गया। इसके बाद अनिल ने अपने खानपान में बदलाव किया और वाॅक व व्यायाम को दिनचर्या का हिस्सा बनाया। कुछ समय बाद उसका करीबन 12-13 किलो वजन कम हो गया। साथ ही ट्राइग्लिसराइड के स्तर में भी सुधार हुआ। इस प्रकार अनिल थोड़े बदलाव के बाद सिंड्रोम एक्स के घेरे से बाहर हो गया।

हो सकता है घातक

  • कुछ लोग मानते हैं कि सिंड्रोम एक्स कोई बीमारी नहीं है तो इसे लेकर परेशान होने की आवश्यकता नहीं है। लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं है। यह एक बेहद गंभीर चेतावनी है। जो लोग अपने स्वास्थ्य को लेकर सजग नहीं होते और अपने शरीर में हो रहे बदलावों को नजरअंदाज करते हैं, उन्हें सिंड्रोम एक्स का खतरा काफी बढ़ जाता है। सिंड्रोम एक्स से पीड़ित व्यक्ति के शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ने व रक्तचाप के उच्च होने पर धमनियों में प्लाॅक जमने लगता है, जिसके कारण धमनियों के अंदर की जगह कम होती चली जाती है। इस स्थिति में व्यक्ति को स्ट्रोक व हार्ट अटैक होने की संभावना बढ़ जाती है।
  • इसके अतिरिक्त सिंड्रोम एक्स के कारण व्यक्ति को डायबिटीज होने का रिस्क भी कई गुना बढ़ जाता है। दरअसल, बढ़ते वजन के कारण व्यक्ति में इंसुलिन रेसिस्टेंस हो जाता है। जिसके कारण उसके शरीर में ग्लूकोज का स्तर बढ़ता चला जाता है। जिससे व्यक्ति डायबिटीक हो सकता है।
  • सिंड्रोम एक्स की गंभीरता के कारण ही इसे कियोस (chaos) कहा जाता है। सी अर्थात कार्डियक डिजीज एच मतलब हाइपरटेंशन ए मतलब एडल्ट आॅनसेट डायबिटीज ओ मतलब ओबेसिटी व एस मतलब स्ट्रोक। इस प्रकार इसका नाम ही इसके परिणामों के बारे में बताता है।

ऐसे करें उपचार

चूंकि सिंड्रोम एक्स वास्तव में एक बीमारी नहीं है, इसलिए इसके उपचार के लिए दवाईयों का सहारा नहीं लिया जाता, बल्कि जीवनशैली मंे बदलाव करके एक स्वस्थ जीवन जीने की कोशिश की जाती है। डाॅ धीरज कहते हैं कि सिंड्रोम एक्स से पीड़ित व्यक्ति को अपने खानपान में बदलाव व एक्सरसाइज करने की आदत डालनी चाहिए। ऐसे व्यक्ति को उन चीजों को नहीं खाना चाहिए, जिसे एक मधुमेह पीड़ित व्यक्ति को न खाने की सलाह दी जाती है। मसलन, फ्रूट जूसेस, मीठा, तला-भुना आदि नहीं खाना चाहिए। ऐसे व्यक्ति परांठे के स्थान पर स्टफ रोटी, मिक्सचर के स्थान पर रोस्टेड नमकीन खा सकते हैं। खाने का समझदारी से चयन आपके लिए बेहद लाभदायक होता है। वैसे तो सिंड्रोम एक्स से पीड़ित व्यक्ति की खाली पेट शुगर 100 मिलीग्राम से ज्यादा है तो आप मेटफोर्मिन Metformin ले सकते हैं। इससे शुगर तो नियंत्रित होती है ही, साथ ही सिंड्रोम एक्स में भी लाभदायक है।

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