उच्च रक्तचाप या हाई ब्लड प्रेशर, बल की वह मात्रा है जो रक्त धमनियों की दीवारों पर फैलती है क्योंकि यह उनके माध्यम से बहती है। जब यह दबाव उच्च स्तर पर पहुंच जाता है, तो यह गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं पैदा कर सकता है, जिसे मेडिकल भाषा में हाई ब्लड प्रेशर कहते हैं। आज के समय में उच्च रक्तचाप एक प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या बन गई है। आजकल शहरी आबादी का बड़ा हिस्सा हाई ब्लडप्रेशर की समस्या से ग्रस्त है। अकसर लोग इसे आधुनिक जीवनशैली से जुड़ी मामूली समस्या समझकर अनदेखा कर देते हैं, पर यह उनकी सेहत के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है। आज हम आपको इस रोग के बारे में विस्तार से बता रहे हैं।
क्या है समस्या
दरअसल हाई ब्लडप्रेशर अपने आप में कोई बीमारी नहीं, बल्कि एक ऐसी शारीरिक अवस्था है, जो आगे चलकर हृदय रोग, डायबिटीज़ और किडनी संबंधी बीमारियों की वजह बन सकती है। मानव शरीर में रक्तवाहिका नलियों का जाल फैला होता है। हार्ट पंप की तरह काम करते हुए इन नलियों के माध्यम से शरीर के सभी हिस्सों में रक्त पहुंचाने का काम करता है। यह सामान्य शारीरिक प्रक्रिया है, लेकिन दिक्कत तब आती है, जब तेज़ बहाव की वजह से रक्तवाहिका नलिकाओं पर दबाव बढऩे लगता है। इससे उनकी भीतरी दीवारें सिकुडऩे लगती हैं। इसी अवस्था को हाई ब्लडप्रेशर कहा जाता है। कई बार हृदय की गति ज्य़ादा तेज़ होने की अवस्था में भी रक्वाहिका नलियों को रक्त के तेज़ बहाव का दबाव झेलना पड़ता है। ऐसी स्थिति में बढऩे वाले ब्लडप्रेशर को हाइपरटेंशन कहा जाता है। सामान्य अवस्था में किसी भी व्यक्ति के ब्लडप्रेशर का सिस्टोलिक लेवल (अधिकतम सीमा) 110 से 120 और डायस्टोलिक लेवल (न्यूनतम सीमा) 70 से 80 होना चाहिए। यदि किसी व्यक्ति के ब्लडप्रेशर की अधिकतम सीमा 140 से अधिक और न्यूनतम सीमा 90 से अधिक हो तो इसे प्री हाइपरटेंशन की अवस्था कहते हैं। अगर ऐसा हो तो व्यक्ति को अपनी सेहत के प्रति सतर्क हो जाना चाहिए।
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क्या है वजह
खानपान की गलत आदतें मसलन घी-तेल, फास्ट/जंक फूड, सॉफ्ट ड्रिंक, एल्कोहॉल और सिगरेट आदि का अधिक मात्रा में सेवन। आधुनिक उपकरणों पर बढ़ती निर्भरता की वजह से शारीरिक गतिविधियों का कम होना। ओबेसिटी यानी अधिक मोटापे की वजह से लोगों की रक्तवाहिका नलियों के भीतर दीवार में नुकसानदेह कोलेस्ट्रॉल एलडीएल जमा होने लगता है तो इससे ख़्ाून की नलियां बाहर से कठोर और अंदर से संकरी हो जाती हैं, जिससे रक्त के बहाव में बाधा पैदा होती तो उसे सुगम बनाए रखने में हार्ट को ज्य़ादा मेहनत करनी पड़ती है, जिसका नतीज़ा हाई ब्लडप्रेशर के रूप में सामने आता है। नमक के अधिक सेवन से भी रक्तवाहिका नलियां सिकुड़ जाती हैं और ब्लडप्रेशर बढ़ जाता है।
हाई बीपी के प्रमुख लक्षण
- चिड़चिड़ापन
- सिरदर्द
- अनिद्रा
- घबराहट और बेचैनी
- अनावश्यक थकान
- सीढिय़ां चढ़ते वक्त सांस फूलना
- नाक से खून आना
- याद्दाश्त में कमी
आज की जीवनशैली में अकसर लोग चिड़चिड़ेपन को अनदेखा कर देते हैं, पर यह हाइपरटेंशन का लक्षण हो सकता है। इसलिए यहां बताए गए लक्षणों को मामूली समझ कर अनदेखा न करें। अगर इनमें से एक भी लक्षण दिखाई दे तो बिना देर किए डॉक्टर से संपर्क करें।
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क्या है नुकसान
चूंकि हाई ब्लडप्रेशर रक्तवाहिका नलिकाओं को प्रभावित करता है और ये ब्लड वेसेल्स हमारे पूरे शरीर में मौजूद होती हैं। इसीलिए यह अपने साथ कई गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं लेकर आता है। इसकी वजह से ब्रेन हेमरेज, पैरालिसिस, हार्ट अटैक, किडनी की खराबी, डायबिटीज़ और सेक्सुअल डिस्फंक्शन जैसी गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। इसके अलावा प्रेग्नेंसी के दौरान कुछ स्त्रियों के शरीर में एस्ट्रोजेन हॉर्मोन सिक्रीशन बहुत तेज़ी से होने लगता है और इसकी अधिकता से कुछ स्त्रियों का ब्लडप्रेशर बढ़ जाता है। अगर प्रेग्नेंसी के दौरान ऐसा हो तो ऐसी अवस्था को प्रीइक्लेंप्सिया कहा जाता है। इसके अलावा मेनोपॉज के बाद भी हॉर्मोन संबंधी असंतुलन की वजह से स्त्रियों में हाई ब्लडप्रेशर की आशंका बढ़ जाती है।
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