सन स्‍ट्रोक से केरल में 3 लोगों की मौत, बढ़ते तापमान से ऐसे करें बचाव

सन स्‍ट्रोक को हीट स्‍ट्रोक भी कहा जा सकता है। यह बहुत गंभीर मेडिकल कंडीशन है। सन स्‍ट्रोक व्‍यक्ति मौत या फिर ब्रेन डैमेज होने की संभावना अधिक होती है। आमतौर पर सन स्‍ट्रोक से 50 से अधिक की उम्र के वे वाले लोग प्रभावित होते हैं जो ज्‍यादा समय कड़ी धूप में लगातार काम करते हैं। धूप से बचाव न कर पाने की स्थिति में इस प्रकार की समस्‍या उत्‍पन्‍न हो सकती है।
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सन स्‍ट्रोक से केरल में 3 लोगों की मौत, बढ़ते तापमान से ऐसे करें बचाव


तापमान बढ़ने के साथ केरल में सन स्‍ट्रोक से 3 लोगों के मरने की खबर न्‍यूज एजेंसी आईएएनएस ने दी है। वहां के अधिकारियों ने भी दावा किया है कि तीनों की मौत धूप में काम करने के दौरान हुई है। तीनों मौतें अलग-अलग जगह की हैं। ये घटनाएं तेज गर्मी की वजह से होने की बात कही जा रही है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि सन स्‍ट्रोक क्‍या है और इससे कैसे खुद को बचाया जा सकता है। 

 

क्‍या है सन स्‍ट्रोक

सन स्‍ट्रोक को हीट स्‍ट्रोक भी कहा जा सकता है। यह बहुत गंभीर मेडिकल कंडीशन है। सन स्‍ट्रोक व्‍यक्ति मौत या फिर ब्रेन डैमेज होने की संभावना अधिक होती है। आमतौर पर सन स्‍ट्रोक से 50 से अधिक की उम्र के वे वाले लोग प्रभावित होते हैं जो ज्‍यादा समय कड़ी धूप में लगातार काम करते हैं। धूप से बचाव न कर पाने की स्थिति में इस प्रकार की समस्‍या उत्‍पन्‍न हो सकती है। सन स्‍ट्रोक की वजह से तंत्रिका तंत्र संबंधी समस्‍याएं हो सकती हैं। इसके अलावा मतली आना, भ्रम की स्थिति और कभी-कभी व्‍यक्ति कोमा में भी जा सकता है। 

सन स्‍ट्रोक के लक्षण क्‍या हैं

सन स्‍ट्रोक या हीट स्‍ट्रोक में कई लक्षण देखने को मिलते हैं। जैसे: 

  • बहुत तेज सिरदर्द
  • चक्कर आना 
  • गर्मी के बावजूद पसीने की कमी
  • लाल, गर्म और शुष्क त्वचा
  • मांसपेशियों की कमजोरी या ऐंठन
  • मतली और उल्टी
  • दिल की धड़कन तेज होना
  • तीव्र श्वास
  • व्यवहार में परिवर्तन जैसे भ्रम, भटकाव या लड़खड़ाहट
  • बेहोशी की हालत आदि 

सन स्‍ट्रोक में कैसे करें खुद का बचाव  

  • सन स्‍ट्रोक से बचने के लिए जरूरी है कि आपकी पूरी बॉडी कपड़ों से ढ़की होनी चाहिए। सिर को जरूर ढ़कें। 
  • लिक्विड का अधिक से अधिक सेवन करें, इसके अंतर्गत पानी या जूस शामिल करें। 
  • अगर आपके आसपास किसी को सन स्‍ट्रोक आया है तो तुरंत एंबूलेंस को कॉल करें। 
  • व्‍यक्ति को पंखे की हवा दें, उसे धूप से छांव में ले जाएं। 
  • रोगी के कांख, कमर, गर्दन और पीठ पर आइस पैक लगाएँ। क्योंकि ये क्षेत्र त्वचा के करीब रक्त वाहिकाओं से समृद्ध होते हैं, उन्हें ठंडा करने से शरीर का तापमान कम हो सकता है।
  • रोगी को ठंडे पानी के शॉवर या टब में डुबोएं, मगर सिर को बाहर रखें। 

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