अत्यधिक शराब के सेवन के दुष्परिणामों में से एक है लिवर की बीमारी। एल्कोहॉल रिलेटेड लिवर डिजीज यानी एआरएलडी कई वर्षों तक शराब पीने के कारण होता है। जब आप लंबे समय तक शराब का सेवन करते हैं तो इससे स्टीटोसिस अर्थात फैटी लीवर विकसित होता है। करीबन 90 प्रतिशत हैवी ड्रिंकर्स में फैटी लीवर पाया जाता है, जबकि 25 प्रतिशत को एल्कोहॉलिक हेपेटाइटिस और 15 प्रतिशत को सिरोसिस होता है। सालों तक शराब पीने से लीवर में सूजन होती है, इस डैमेज को सिरोसिस के रूप में भी जाना जाता है। सिरोसिस लिवर रोग का अंतिम चरण है। तो चलिए जानते हैं इसके बारे में-
शुरूआती संकेत
एल्कोहॉल रिलेटेड लिवर डिजीज पूरी तरह से स्पष्ट नहीं होते लेकिन यह शरीर की कई प्रणालियों को प्रभावित करता है। यह बीमारी होने पर व्यक्ति स्वयं को अस्वस्थ महसूस करता है। इसके अन्य लक्षणों में पेट में दर्द, मतली, उल्टी, दस्त व भूख में कमी आदि नजर आ सकते हैं। अगर इन लक्षणों को नजरअंदाज करके शराब का सेवन लगातार किया जाए तो इससे लीवर की समस्या कई गुना बढ़ सकती है।
लक्षण
जब एल्कोहॉल रिलेटेड लिवर डिजीज की समस्या बढ़ने लगती है तो इसके लक्षण साफ साफ नजर आते हैं।
- पीलिया, या आंखों और त्वचा के सफेद हिस्से पर एक पीला टिंट
- पेट में तरल पदार्थ का निर्माण (असाइटीज़)
- बुखार और कंपकंपी
- स्किन में बहुत अधिक खुजली होना
- वजन का कम होना
- सामान्य कमजोरी और मांसपेशियों में थकान का अहसास
- उल्टी और मल में खून आना
- शराब और ड्रग्स के प्रति अधिक संवेदनशील प्रतिक्रिया
अगर किसी व्यक्ति को यह लक्षण नजर आते हैं तो डॉक्टर से संपर्क करना बेहद जरूरी हो जाता है।
इलाज
इस बीमारी के इलाज का सबसे पहला कदम है शराब से परहेज करना। साथ ही ठीक होने के बाद भी दोबारा ड्रिंकिंग नहीं करनी चाहिए। शुरूआत में भले ही पूरी तरह से शराब छोड़ना मुश्किल हो, लेकिन आप धीरे-धीरे इसकी मात्रा कम कर सकते हैं। उसके बाद इसे पूरी तरह से दूरी बना लीजिए।
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शराब पर निर्भरता खत्म करने के लिए चिकित्सीय मदद ली जा सकती है। इसके अतिरिक्त काग्निटिव बिहेवियर थेरेपी व दवाईयों के सेवन से भी शराब की लत को छुड़ाया जा सकता है। वैसे रिहेबिलेशन सेंटर में भी शराब पर निर्भरता को पूरी तरह खत्म किया जाता है।
वहीं लाइफस्टाइल में चेंज करके भी इस बीमारी के इलाज में मदद मिलती है। इसके लिए आप धूम्रपान का सेवन न करें। साथ ही वजन भी संतुलित रखें। दरअसल, वजन और धूम्रपान एल्कोहॉल रिलेटिड लिवर डिसेस को और भी अधिक बदतर बना देते हैं। साथ ही नियमित रूप से मल्टीविटामिन का भी सेवन करना आपके लिए अच्छा रहेगा।
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दवाईयों का सहारा
एल्कोहॉल रिलेटेड लिवर डिजीज के इलाज के लिए दवाईयों का सेवन भी किया जा सकता है। कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स या पेंटोक्सिफ़ेलिलाइन एल्कोहॉलिक हेपेटाइटिस से होने वाली इन्फ्लमेशन को कम करने में मदद मिलती है। इसके अतिरिक्त प्रोबायोटिक्स, एंटीबायोटिक्स, स्टेम सेल थेरेपी भी एल्कोहॉल रिलेटिड लिवर डिसेस के इलाज में मददगार है। कभी-कभी इस बीमारी में व्यक्ति का लिवर पूरी तरह फेल हो जाता है। ऐसे में लिवर ट्रांसप्लांट का सहारा लिया जाता है।
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