ग्रैस्ट्रोएसोफेगल रिफलक्स पाचनतंत्र से जुड़ी बीमारी है। इसे जीईआरडी भी कहते हैं। गैस्ट्रोएसोफेगल रिफलक्स के कारण बहुत सारे लोग सीने में जलन, एसिडिटी आदि की समस्या से परेशान रहते हैं। आमतौर पर जीईआरडी का मुख्य कारण हायटल हर्निया होता है। सीने में जलन के साथ-साथ कुछ लोगों को सीने में दर्द की समस्या भी हो सकती है, जिससे लोगों को लगता है कि उन्हें हार्ट अटैक हो गया है। आइए आपको बताते हैं क्या है गैस्ट्रोएसोफेगल रिफलक्स क्या है और कैसे होता है।
क्या है गैस्ट्रोएसोफेगल रिफलक्स
गैस्ट्रोएसोफेगल रिफलक्स एक ऐसी समस्या है जिसमें पेट में मौजूद चीजें एसोफेगस में चली जाती हैं। इसके कारण पेट में बनने वाले एसिड्स भी एसोफेगस में चले जाते हैं, जो सीने में तेज जलन का कारण बनते हैं। पेट की इस समस्या को नजरअंदाज करना सेहत के लिए नुकसानदायक हो सकता है।
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जीईआरडी के लक्षण
जीईआरडी में असल में पेट के अंदर मौजूद अम्ल यानी एसिड इसोफेगस (भोजन नली) में वापस चले जाते हैं। इससे सीने में जलन तो होती ही है, उल्टी की शिकायत भी होती है। इसके अलावा फेफड़े, कान, नाक या गले की भी कई तकलीफें आ पड़ती हैं। इसके साथ कई परेशानियां जुड़ी हैं। मसलन, इसोफेगस में छाले और संकुचन जैसी परेशानियां भी हो जाती हैं। जीईआरडी अगर लंबे समय तक रह गया तो एक नई अवस्था आ सकती है, जिसका नाम है बैरेट्स इसोफेगस और इसका अगर समय पर इलाज न किया गया तो इसोफेगस का कैंसर भी हो सकता है।
तनाव हो सकता है जीईआरडी का कारण
अकसर तनाव में रहने से भी आपका हाजमा खराब हो सकता है। तनाव होने पर आम तौर पर एड्रिनल ग्रंथियों से एड्रेनैलिन और कॉर्टिसॉल नाम के हार्मोनों का स्राव होता है। तनाव की वजह से पूरे पाचन तंत्र में जलन होने लगती है जिससे पाचन नली में सूजन आ जाती है और इस सबका नतीजा यह होता है कि पोषक तत्वों का शरीर के काम आना कम हो जाता है।
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किन कारणों से होती हैं पेट की बीमारियां
जीवन शैली इस तरह के रोग का मुख्य कारण है। बेहिसाब शराब और सिगरेट पीने, फास्ट फूड ज्यादा खाने और ज्यादा तनाव के कारण ये रोग होते हैं। दरअसल तनाव का असर आपके मूड पर ही नहीं आपके पाचन पर भी पड़ता है। इसके अलावा जेनेटिक रचना में एकाएक आए किसी तरह के बदलाव के कारण पैंक्रियाइटिस और पित्ताशय की पथरी जैसे रोग अधिक होते हैं। गैस्ट्रोइसोफेगल रिफ्लक्स रोग, इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम, फंक्शनल डिस्पेप्सिया, मोटापा, लीवर में फैट जमना और पेप्टिक अल्सर जैसे रोग लाइफस्टाइल से जुड़े गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल रोगों में शामिल हैं।
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