आजकल किसी भी उम्र में कोई भी बीमारी इंसान को घेर रही है। जो बीमारियां पहले 60 की उम्र के बाद शुरू होती थीं, वो आज के समय में युवाओं को भी हो रही है। ऐसी ही एक बीमारी है स्पाइनल रुमेटॉइड अर्थराइटिस। स्पाइनल रुमेटॉइड अर्थराइटिस एक ऐसी बीमारी है, जिसमें हमारी इम्यूनिटी हमारी रक्षा करने की बजाय हमारी दुश्मन बन जाती है। इस रोग में शरीर की इम्यूनिटी यानी रोग प्रतिरोधक क्षमता हमारे शरीर के खिलाफ उसमें बनने वाले प्रोटीन, हड्डियों में स्थित कणों, जोड़ों और रीढ़ की मसल्स को खत्म करने लग जाता है। इनके चलते हमारे जोड़ खराब होने लग जाते हैं, जिससे रीढ़ में विकार आ जाता है। रुमेटॉइड अर्थराइटिस एक बीमारी है जिससे जोड़ों पर बुरा असर पड़ता है। यह शरीर में किसी भी जोड़ा को प्रभावित कर सकता है और हाथों और पैरों में छोटे जोड़ों में सबसे सामान्य होता है। लेकिन जब रुमेटॉइड अर्थराइटिस रीढ़ की हड्डी के जोड़ों को प्रभावित करता है, तो पीठ की निचले हिस्से की तुलना में गर्दन को ज्यादा प्रभावित करता है।
स्पाइनल रुमेटॉइड अर्थराइटिस के लक्षण
- जोड़ों में सूजन
- अकड़न या लालिमा
- थकावट महसूस होना
- तेज बुखार
स्पाइनल रुमेटॉइड अर्थराइटिस का इलाज
- स्पाइनल रुमेटॉइड अर्थराइटिस के उपचार का लक्ष्य
- दर्द को कम या समाप्त करना।
- रोजमर्रा की जिंदगी में काम करने की क्षमता बनाए रखना।
- रोग की प्रगति को कम या धीमा करना है।
- अधिकांश लोगों के लिए, उपचार नॉनसर्जिकल है और इसमें एक या बहुत सारे शारीरिक उपचार और व्यायाम, दवाएं, आहार और पोषण, और संभवतः वैकल्पिक या पूरक रूप से देखभाल शामिल होती। स्पाइनल रुमेटॉइड अर्थराइटिस के लिए सर्जरी दुर्लभ है।
क्या है स्पाइनल अर्थराइटिस
अर्थराइटिस शब्द सुनते ही हमारे मन में घुटने या कूल्हे के जोड़ों का ध्यान आता है, परंतु अर्थराइटिस का प्रकोप मानव शरीर के किसी भी जोड़ पर हो सकता है। घुटने और कूल्हे के अलावा स्पाइनल अर्थराइटिस (रीढ़ की गठिया) एक अत्यंत कष्टकारी बीमारी है, जो आजकल बहुत तेजी से बढ़ रही है। हैरानी की बात यह है न सिर्फ बड़े बुजुर्ग बल्कि युवा भी इस गंभीर रोग की चपेट में आ रहे हैं। हालांकि समय रहते इस बीमारी का इलाज करा छुटकारा पाया जा सकते हैं।
स्पाइनल अर्थराइटिस के कारण
- आज की जीवन-शैली इस बीमारी का एक प्रमुख कारण है लंबे समय तक आफिस या घर में कंप्यूटर पर काम करना।
- फोन पर काफी देर तक गर्दन एक तरफ झुकाकर बात करना।
- लंबी दूरी तक खराब सड़क पर दोपहिया वाहन चलाना।
- स्टाइलिश चेयर्स और सोफे का अत्यधिक इस्तेमाल।
- शराब और तंबाकू का अत्यधिक सेवन।
- बढ़ता मोटापा और घटता शारीरिक परिश्रम इस बीमारी के प्रमुख कारणों में शामिल हैं।
स्पाइनल अर्थराइटिस के लक्षण
- लंबे समय से कमर या गर्दन में दर्द।
- सुबह के वक्त या लंबे आराम के बाद गर्दन और कमर में जकडऩ और असहनीय पीड़ा होना।
- गर्दन का दर्द, जिसका प्रभाव कंधे और हाथों में झनझनाहट की तरह महसूस होता है।
- कमर का दर्द जो पैरों में झनझनाहट व कमजोरी व सुन्नपन का अहसास कराता है।
- मानसिक कारणों
- खासकर तनाव से दर्द में इजाफा होना।
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