रोड एक्सीडेंट होने पर कैसे करें प्राथमिक उपचार? डॉक्टर से जानें फर्स्ट एड का तरीका ताकि बचा सकें किसी की जान

रोड एक्सीडेंट होने पर हर किसी को प्राथमिक उपचार की थोड़ी बुहत प्रक्रिया की जानकारी होनी चाहिए। ताकि फर्स्ट एड तरीके को आजमाकर मरीज की जान बचा सकें।
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रोड एक्सीडेंट होने पर कैसे करें प्राथमिक उपचार? डॉक्टर से जानें फर्स्ट एड का तरीका ताकि बचा सकें किसी की जान

भागदौड़ भरी जिंदगी में एक्सीडेंट आम है। सड़क, रेल, हवाई यात्रा कहीं भी एक्सीडेंट हो सकते हैं। आज के इस आर्टिकल में हम रोड एक्सीडेंट की बात कर रहे हैं। यदि कोई सड़क दुर्घटना का शिकार हो जाए तो किस प्रकार उसे प्राथमिक उपचार देकर उसकी जान बचाई जा सकती है। किसी जरूतमंद की मदद करने के लिए हर किसी को एक्सीडेंट के बाद फर्स्ट एड की पूरी जानकारी होनी चाहिए। ताकि उसे आजमाकर लोगों की जान बचाई जा सके। जमशेदपुर के एमजीएम में लंबे समय तक इमरजेंसी में सेवा दे चुके डॉ ए करण पूर्ति से बात कर जानेंगे कि सड़क हादसे के बाद क्या करना चाहिए और क्या नहीं ताकि मरीज की जान बचा सकें और उसे कम से कम जोखिम हो। 

चेक, कॉल, केयर को अपनाएं

एक्सपर्ट बताते हैं कि सड़क हादसे के बाद इस तीन प्रक्रिया को देखना चाहिए। पहला चेक आता है, जिसमें देखा जाता है कि मरीज ठीक है या नहीं, अच्छे से सांस ले रहा है या नहीं, सुरक्षित है या नहीं। 

First Aid

बेसिक लाइफ सपोर्ट में इस तरीके को आजमाएं

  • आसपास देखें
  • कहीं आग तो नहीं लगने वाली, पेट्रोल लीकेज तो नहीं, शॉर्ट सर्किट की समस्या तो नहीं, यदि हो रही है तो तमाम घायलों को उस स्थान से दूसरी स्थान पर ले जाएं
  • घायल व्यक्ति के पास जाकर बात करें.... एक हाथ कंधे पर रखकर सवाल करें ... आप ठीक हैं या नहीं, गर्दन न पकड़ें, क्योंकि हादसे में गर्दन के चोटिल होने की संभावना अधिक होती है
  • यदि मरीज जवाब नहीं दे रहा है तो एंबुलेंस व जान परिचित को फोन करें
  • अब मरीज की नाड़ी की जांच करें, इसके लिए गर्दन के नीचे दाएं तरफ दो अंगुली रखकर आठ से 10 सेकेंड तक देखें कि मरीज की सांस चल रही है या नहीं

सबसे पहले देखें ब्लीडिंग

डॉक्टर बताते हैं कि सड़क हादसों के बाद ब्लीडिंग होने की सबसे ज्यादा केस देखने को मिलते हैं। यदि आपके आसपास भी कहीं कोई हादसा हुआ हो तो आप देखें कि मरीज का खून तो नहीं निकल रहा है। इसके लिए आपको उस जगह पर साफ कपड़े को लपेट देना चाहिए। ताकि ब्लीडिंग बंद हो। 

Bandage

मरीज के अंगों को देखें, कहीं कोई हड्डी तो नहीं टूटी

डॉक्टर बताते हैं कि आपको मरीज से बात करते रहना होगा, यदि वो बात कर रहा है तो ठीक है। अब आप देखें कि कहीं उसका हाथ-पैर तो नहीं टूट गया। यदि नहीं टूटा तो ठीक, यदि टूट गया तो उसके बाद आपको खास सावधानी बरतनी होगी। यदि मरीज का पैर टूटा है तो इसके लिए आपको आसपास कहीं से लकड़ी, कार्डबोर्ड को रोल करके, अखबार का बंडल, फट्टे आदि खोजना होगा, उसे पैर के नीचे रस्सी से बांध दें, ताकि पैर सीधा रहे और हिले नहीं। इसी प्रकार यदि हाथ टूट गया है तो हाथ को सीधा रखने के लिए लकड़ी को हाथ के नीचे सपोर्ट देकर उसे रस्सी से बांधा चाहिए। ध्यान रहे कि इतना कस के रस्सी न बांध दें जिससे कि हाथ का ब्लड सर्कुलेशन ही रुक जाए। 

यदि पल्स न मिलें तो सीपीआर दें

  • आप हाथ के निचले भाग को छाती को बीचोंबीच रखकर दूसरे हाथ से लाक करेंगे
  • आप अपने कंधों से प्रेशर लगाएंगे, इस प्रक्रिया को चेस्ट कंप्रेशन भी कहा जाता है
  • आप तीस बार दबाव 18 से 30 सेकेंड तक ही दें
  • यदि आप कंधों से इसे सही तरीके से कर रहे हैं तो आप थकेंगे नहीं बावजूद सांस न आएं तो 
  • मरीज को दें सांस, इसके लिए मरीज की थुड्डी को ऊपर उठाएं और आप खुद सांस भरकर मरीज को सांस दें, दो लंबी सांस दें
  • ऊपर बताई गई तमाम बातें पहले सेट में आती हैं... इसे पूरा करने के बाद फिर मरीज की पल्स चेक करें और फिर इसी क्रम को दोहराएं
  • अब आप करीब 100 बार चेस्ट कंप्रेशन करें, इस प्रक्रिया को तब तक करें जब तक मरीज अस्पताल नहीं पहुंच जाता

Neck Injured

मरीज गर्दन नहीं हिला रहा है बरतें ये सावधानी

एक्सीडेंट होने के बाद संभव है कि कुछ केस में मरीज अपनी गर्दन ही न हिला पाए। इसके लिए आपको खास सावधानी बरतनी होगी। आप मरीज को सीधा लेटा दें। फोन कर एंबुलेंस को बुलाएं तबतक आप कोशिश करें दि मरीज की गर्दन न हिले, उसे सीधा लिटाएं रखें। इसके मेडिकल प्रोफेशनल्स की टीम के आने के बाद मरीज को लॉग रोल किया जाता है। इसमें तीन लोगों की जरूरत होती है। पहला व्यक्ति मरीज के सिर को पकड़ता है व संभालता है, दूसरा शरीर और तीसरा व्यक्ति पैर को संभालकर उसे स्ट्रेचर पर लिटाता है। गले में कॉलर डालने के बाद उसे स्ट्रेचर पर पकड़ बनाए रखने के लिए बांधा जाता है। लेकिन ये स्टेप फर्स्ट एड से बाद की चीजें हैं। जिसे मेडिकल प्रोफेशनल्स की टीम ही करती है। आप बस इतना ध्यान रखें कि मरीज को ज्यादा हिलाएं-डुलाएं नहीं। गर्दन सीखा रखने के साथ शरीर को सीधा रखें। 

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अखबार से बना सकते हैं नेक कॉलर

सड़क हादसे के बाद यदि मरीज के गर्दन में चोट आई है तो एक्सपर्ट बताते हैं कि पास में यदि अखबार है तो उसे रोल कर लें, फिर मरीज के गर्दन के नीचे की ओर से सपोर्ट दें। यदि नहीं है तो डायरी आदि को मरीज के सिर के नीचे रखें, ताकि सिर और शोल्डर में गैप न बनें और मरीज को दिक्कत न हो। 

  • हादसे के बाद मरीज का गर्दन टेढ़ा है तो उसे खुद सीधा करने के लिए कहें
  • यदि मरीज बेहोश है तो काफी सावधानी से गर्दन को सीधा करें
  • >कोशिश करें कि मरीज की गर्दन को सहारा देकर उठाएं

हादसे के बाद मरीज के शरीर में कोई लोहा या अन्य पदार्थ घुस गया हो

डॉक्टर बताते हैं कि इस कंडीशन में मरीज को तत्काल इमरजेंसी में लेकर जाना चाहिए। आप उस पदार्थ को निकालने की कोशिश न करें बल्कि आपकी कोशिश यही होनी चाहिए कि मरीज को जल्द से जल्द अस्पताल लेकर जाया जाए। क्योंकि जैसे ही आप उस पदार्थं को निकालेंगे तो हेवी ब्लीडिंग, इंफेक्शन होने के साथ अंदरूनी भाग को नुकसान पहुंचने की संभावना रहती है।

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फर्स्ट एड के दो तरीकों को जाना

डॉक्टर बताते हैं कि इस आर्टिकल में हमने फर्स्ट एड के दो तरीकों को जाना, पहले ले मैन फर्स्ट एड और दूसरा पैरा मेडिकल फर्स्ट एड। ले मैन फर्स्ट एड में आम लोगों को सड़क हादसे के बाद मरीज की कैसे देखभाल करनी है, क्या करना है और क्या नहीं उसके बारे में बताया। वहीं दूसरी तकनीक यानि पैरा मेडिकल फर्स्ट एड के बारे में जिक्र किया जिसमें मेडिकल प्रोफेशनल्स की टीम किस प्रकार मरीज को अच्छे से अस्पताल तक ले कर जाती है उसके बारे में जानकारी दी। 

जरूरत पड़ने पर आजमाएं ये तकनीक 

आज के समय में हर किसी को इस जानकारी का पता होना चाहिए। ताकि जरूरतमंद इंसान की मदद की जा सके और उसकी जान बचाई जा सके। यदि कोई मुसीबत में फंसा हो तो आप इस तकनीक को आजमाकर उसकी जान बचा सकते हैं। इसके बारे में और अधिक जानकारी के लिए आप चाहें तो डॉक्टरी सलाह भी ले सकते हैं। 

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