
कुछ बच्चे ऐसे होते हैं जो बार-बार पढ़ाई के दौरान एक ही गलती को दोहराते रहते हैं। माता-पिता को लगता है कि यह उनकी लापरवाही है, जिसकी वजह से वे बच्चों को डांटना फटकारना शुरू कर देते हैं। लेकिन अगर आप के बच्चा भी पढ़ाई के दौरान बार-बार एक जैसी गलतियां कर रहा है तो हो सकता है कि वह लर्निंग डिसऑर्डर का शिकार हो गया है। आपने एक फिल्म देखी होगी 'तारे ज़मीन पर' यह फिल्म इसी समस्या पर बनी है। आज हम आपको इस लेख के माध्यम से बताएंगे कि लर्निंग डिसऑर्डर के क्या कारण है? साथ ही जानें लक्षण और बचाव भी। पढ़ते हैं आगे...
क्या है लर्निंग डिसॉर्डर के कारण
- बच्चों में लर्निंग डिसॉर्डर की समस्या के निम्न कारण है-
- पेरेंट्स या रक्त संबंधियों में अगर कोई इस बीमारी से ग्रस्त है तो बच्चे में यह बीमारी हो सकती है।
- किसी भी न्यूरोलॉजिकल कारण से भी इस बीमारी का जन्म हो सकता है, जैसे दिमाग या तांत्रिका तंत्र की संरचना में गड़बड़ी आ जाना आदि भी इस समस्या के कारण है।
- अगर किसी बच्चे के जन्म के समय सिर पर चोट लग जाए या घाव आ जाए तब भी बच्चा इस बीमारी का शिकार हो सकता है।
इस समस्या के लक्षण (Learning Disorder Symptoms)
- इस समस्या के बारे में तब पता चलता है जब बच्चे पढ़ना लिखना शुरू कर देते हैं, जिन्हें यह समस्या होती है वह अक्षरों या अंकों की पहचान सही ढंग से नहीं कर पाते हैं और उन्हें उन शब्दों को लिखने पढ़ने में परेशानी होती है। शुरुआत में माता-पिता इन गलतियों को गंभीरता से नहीं लेते हैं लेकिन जब बार-बार सिखाने के बावजूद भी बच्चा अपनी गलतियों को दोहराता है तो माता-पिता को समझना चाहिए कि बच्चा किसी समस्या का शिकार हो चुका है।
- जब बच्चा पढ़ाई करता है तो वह कभी-कभी पूरी लाइन बीच में ही छोड़ देता है या किताब से देख कर लिखने के दौरान बच्चा शब्दों को अक्षरों को छोड़ने लगता है।
- जो लोग सोचते हैं कि इस बीमारी से ग्रस्त बच्चे मंदबुद्धि होते हैं वह गलत है। ऐसे बच्चे लोगों के बीच नहीं जा पाते और उनका आत्मविश्वास डगमगाने लगता है।
- यह बच्चे बेहद तनाव में, उदास और चिड़चिड़े रहते हैं।
- जो बच्चे किसी गलती को बार-बार दोहराते हैं जरूरी नहीं कि वह इस समस्या के शिकार हों। हो सकता है कि उनकी नजर कमजोर हो या वह माता-पिता या टीचर की लापरवाही से भी पढ़ाई में गलती कर रहे हों।
- ऊपर दिए लक्षणों में से अगर आपके बच्चे में कोई लक्षण दिखाई दे तो सबसे पहले मनोवैज्ञानिक परीक्षण करवाएं। खुद से इस बात का अनुमान ना लगाएं कि आपका बच्चा इस बीमारी से ग्रस्त है।
इसे भी पढ़ें-इन 4 कारणों से बच्चों में होती है बार-बार थूक फेंकने की आदत, पेट में कीड़ों की नहीं होती कोई समस्या
कैसे करें बचाव
- ऐसे बच्चों की परवरिश बेहद धैर्य के साथ की जाती है और आपको इस बात का भी पता होना चाहिए कि बच्चा बार-बार एक गलती को दोहराएगा।
- ऐसे बच्चों की तुलना दूसरे बच्चों के साथ ना करें। ऐसे में उनके अंदर हीन भावना पैदा होती है।
- बच्चों के टीचर से लगातार मिलती रहें। साथ ही उन्हें बताएं कि वे बच्चों में डांट फटकार या अपमान ना करें।
- ऐसे बच्चों की पढ़ाई नई तकनीक को के माध्यम से शुरू करें। जैसे किताबों या इंटरनेट के माध्यम से जानकारी दें।
- ऐसे बच्चे पढ़ाई में कमजोर होते हैं लेकिन उनके अंदर रचनात्मक प्रतिभा होती है। ऐसे में आपका फर्ज है कि उस प्रतिभा को पहचानना और बच्चों को प्रोत्साहित करना।
- शुरुआत से ही बच्चे को माता-पिता का सही मार्गदर्शन मिले तो यह बच्चे के बौद्धिक विकास के लिए अच्छा है। साथ ही वह इस समस्या से आसानी से बाहर आ सकता है।
इसे भी पढ़े- बच्चों के लिए कितना फायदेमंद और कितना सही है एक्यूप्रेशर, जानें क्या है डॉक्टरों की राय
Read More Articles on childrens health in hindi