आयुर्वेद में कई बीमारियों का इलाज है। यह आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां हमें हमारे आसपास के वातावरण से ही मिल जाती हैं। जब एलोपैथिक दवाओं का चलन नहीं था, तब इंसान ने अपने आसपास मिलने वाली वनस्पति से ही अपना इलाज शुरू किया। ऐसी ही एक औषधी है कास। इसे कांस घास भी कहा जाता है। कांस का वानास्पतिक नाम Saccharum spontaneum Linn. है। कांस पूरे भारत में पाया जाता है। इसका प्रयोग जितना औषधीय रूप में किया जाता है उतना ही इसका व्यापारिक उपयोग भी है। ग्रामीण भारत में आज भी इसका छप्पर व अनाज साफ करने वाला सूप बनाया जाता है। इसके अलावा इसके कई प्रयोग हैं, जिनके बारे में राष्ट्रीय धर्मार्ध सेवा संस्थान के आयुर्वेदाचार्य डॉ. राहुल चतुर्वेदी बता रहे हैं। डॉक्टर ने बताया कि इसका प्रयोग त्वचा संबंधी रोगों, पेशाब की जलन, स्त्रियों के रोग आदि में किया जाता है। तो वहीं, यह वात और पित्त को भी कम करता है। तो आइए डॉक्टर से विस्तार से जानते हैं इसके फायदे और उपयोग का तरीका।
कांस की पहचान
कांस का पौधा बहुत अधिक लंबा नहीं होता है। इसकी पत्तियां हरी और फूल सफेद रंग के होते हैं। यह एक प्रकार की घास है। जिसके पत्ते जब हरे रहते हैं तब खाट बनाने वाली रस्सी बनाने के काम आते हैं और जब पक जाते हैं तब यह फूल झाड़ू बनाने में काम आते हैं। इसके कई औषधीय गुण भी हैं। कांस के फूल रूई जैसे सफेद दिखाई देते हैं।
कांस के विभिन्न नाम
कांस को हिंदी में कांस घास, कास, कांसी, कागरा और कुस: कहते हैं। तो वहीं, अंग्रेजी में saccharum spontaneum और कांस ग्रास कहते हैं। संस्कृत में कासेक्षु, काश और इक्षुरस नामों से जाना जाता है।
कांस घास के औधषीय गुण
डॉ. राहुल चतुर्वेदी का कहना है कि कांस का प्रयोग ज्यादातर नाभि से नीचे होने वाले रोगों में किया जाता है। इसके निम्न औषधीय गुण हैं।
1. खुजली में फायदेमंद
डॉ. राहुल चतुर्वेदी का कहना है कि अक्सर लोगों को गर्मी के मौसम में खुजली की परेशानी रहती है। इस खुजली को दूर करने का काम कांस करता है। गांवों में यह घास ऐसे ही कहीं भी नदी किनार उग आती है, पर गांव के लोगों को इसके औषधीय गुण ज्यादा नहीं मालूम नहीं होते। जिन लोगों को खुजली की परेशानी हो, वे इसकी जड़ को पीसकर खुजली वाली जगह पर लेप की तरह लगा लें, इससे खुजली की परेशानी दूर होती है।
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2. सफेद पानी की परेशानी करे दूर
जिन महिलाओं को सफेद पानी यानी ल्यूकोरिया की दिक्कत है, उनके लिए भी कांस फायदेमंद। डॉ. राहुल चतुर्वेदी का कहना है कि जिस प्रकार नीम के पांचों भाग उपयोगी होते हैं, ठीक उसी प्रकार कांस के पत्ते, जड़, फूल, फल और तना उपयोगी होता है।
उपयोग - ल्युकोरिया की परेशानी में कांस के प्रयोग के बारे में डॉ. राहुल चतुर्वेदी ने बताया कि कांस की 50 ग्राम जड़ को आधा किलो दूध में उबालें, जब 300 ग्राम रह जाए तब वह दूध सुबह शाम ले लें। इससे ल्युकोरिया की परेशानी में आराम मिलेगा।
ल्यूकोरिया में कांस का प्रयोग ऐसे भी किया जा सकता है। इसके पत्ता, तना, जड़, फल, फूल सभी भाग का पाउडर बनाकर, एक गिलास में पानी में उबाल लें और सुबह शाम पी लें। सफेद प्रदर, लाल प्रदर व पेशाब आदि परेशानियों में आराम मिलेगा।
3. पेशाब में जलन या पीलापन में फायदेमंद
डॉ. राहुल चतुर्वेदी ने बताया कि जिन लोगों को पेशाब में जलन की समस्या होती है, उन्हें पेशाब करते समय बहुत कष्ट होता है। कई बार त्वचा में बहुत जलन होती है। बहुत से लोगों की पेशाब पीली आती है, तो उसमें भी कांस का अच्छा उपयोग है। पेशाब में जलन पर कांस के उपयोग को लेकर डॉ. राहुल चतुर्वेदी का कहना है कि इसकी जड़ को दूध में उबालकर इसका सेवन सुबह शाम करें। इसे आप खाना खाने से एक घंटा पहले या बाद में ले सकते हैं। इससे परेशानी में आराम मिलेगा।
4. मूत्र भाग में त्वचा की जलन करे दूर
जिन लोगों में मूत्रमार्ग में त्वचा की जलन होती है वे लोग भी कांस का प्रयोग कर सकते हैं। इससे मूत्रमार्ग में त्वचा की जलन खत्म होती है।
उपयोग - मूत्रमार्ग की जलन को दूर करने के लिए कांस के उपयोग के बारे में डॉ. राहुल चतुर्वेदी ने बताया कि इसकी हरी जड़ को धो लें। रात को पानी में भिगो दें। सुबह खाली पेट खाने से जलन की परेशानी खत्म होगी। मूत्र भाग में त्वचा की जलन भी खत्म होगी।
5. भूख न लगने की परेशानी करे खत्म
डॉ. राहुल चतुर्वेदी का कहना है कि कांस का प्रयोग त्वचा संबंधी रोगों के अलावा भूख न लगने की परेशानी को भी कम करता है। जिन लोगों को भूख नहीं लगती है वे कांस की जड़ का सेवन कर सकते हैं। इसके लिए कांस की जड़ का पेस्ट बना लें और उसे 1-2 ग्राम खाने से भूख की परेशानी खत्म हो जाती है। तो वहीं, इसके पेट पर लगाया भी जा सकता है। इसके उपयोग के बारे में अधिक जानकारी लेने के लिए आप अपने नजदीकी आयर्वेदिक डॉक्टर से भी सलाह ले सकते हैं।
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6. बुखार में फायदेमंद
कई बार मौसम बदलने के कारण हल्का बुखार आ जाता है। तो कांस की जड़ का काढ़ा बनाकर पीने से परेशानी में आराम मिलता है। आयुर्वेद में कई बीमारियों का इलाज है, पर हमें उसकी सही जानकारी नहीं है। सही जानकारी होने पर इसका सही उपयोग किया जा सकता है।
7. घाव भरने में मददगार
कई लोगों को अल्सर होता है, तो उसका घाव सूखने में समय लगता है।लेकिन क्या आप जानते हैं कि घाव को ठीक करने में कांस फायदेमंद है। इस कांस की जड़ का काढ़ा बनाकर घाव पर कुल्ला करने से परेशानी में फायदा मिलता है। इससे घाव भी ठीक होता है। इसका प्रयोग पाउडर बनाकर भी कर सकते हैं। एक चम्मच पाउडर एक गिलास पानी में उबालें। जब पौना गिलास रह जाए तो पानी को पी लें। सुबह शाम खाना खाने से एक घंटा पहले।
8. मिर्गी में फायदेमंद
काश की जड़ का काढ़ा बनाकर उसमें देसी घी और दूध का पाक मिलाकर सेवन करने से मिर्गी की परेशानी में आराम मिलता है। इस परेशानी में काश का सेवन और कैसे करना है, इसके बारे में अपने नजदीकी आयुर्वेदिक डॉक्टर से सलाह लें।
काश का प्रयोग भारत में आयुर्वेदिक औषधी के रूपों में किया जाता है। इसका प्रयोग पाउडर फॉर्म में या काढ़े के रूप में किया जा सकता है। यह कई बीमारियों का निदान करने में सहायक है।
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