क्या आपने कभी नोटिस किया है कि छोटे बच्चे अक्सर लेटे-लेटे कराहने या घुरघुराने की आवाज निकालते हैं? ये कराह क्या सामान्य बात है? शिशुओं का कराहना एक सामान्य प्रक्रिया है, जो तनाव का संकेत देता है। खासकर जब वे स्टूल पास करने की कोशिश करते हैं। बच्चे तनाव को दूर करने, जलन या निराशा दिखाने और पेरेंट्स का ध्यान आकर्षित करने के लिए कराह सकते हैं। कई बार खाने में बदलाव के साथ तालमेल बैठाने की कोशिश करते समय भी बच्चे कराह सकते हैं। हालांकि शिशुओं का कराहना सामान्य है लेकिन कुछ मामलों में कराहना एक संकेत है, जो बच्चों की आंतरिक परेशानी को दर्शाता है। शिशुओं का कराहना उनकी अलग-अलग समस्याओं के बारे में संकेत देता है जैसे कि मल त्याग के समय परेशानी या ब्रेस्टफीडिंग के समय ओवर सप्लाई की परेशानी आदि। आइए जानते हैं विस्तार से।
क्या शिशुओं का कराहना सामान्य है?
क्लाउडनाइन हॉस्पिटल, गुड़गांव और एपेक्स क्लीनिक की सीनियर कंसलटेंट गायनोकोलॉजिस्ट डॉक्टर रितु सेठी बताती हैं कि पहले वर्ष के अंत तक शिशुओं का कराहना कम्युनिकेशन का जरिया माना जा सकता है। यानी कि मां और बच्चे के बीच में आपसी बॉन्डिंग का एक तरीका। सामान्य तौर पर इसे ग्रन्टिंग बेबी सिंड्रोम के नाम से जाना जाता है। कई बार मल पास करते समय भी बच्चे इस प्रकार की आवाज करना पसंद करते हैं। कुछ मामलों में आवाज आंतरिक समस्या का संकेत हो सकती है इसलिए ध्यान करना जरूरी है, जिसके लिए मेडिकल हेल्प की आवश्यकता पड़ सकती है। बच्चे के जन्म के साथ ही कराहने की आवाज शुरू हो जाती है।
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शिशु के कराहने के कारण
मल त्यागना
मल त्यागने के दौरान नवजात शिशु का कराहना अविकसित पेट की मांसपेशियों के कारण होता है जिसमें शिशु स्टूल पास करते समय प्रेशर लगाता है। आवाज निकालने का मतलब ये नहीं कि बच्चे को कब्ज है। ये एक सामान्य प्रक्रिया है जो सभी बच्चे करते हैं।
कम्युनिकेशन के लिए
नवजात शिशु बोलना नहीं जानते हैं इसलिए कम्युनिकेशन के लिए तरह-तरह की आवाजें निकालते हैं। सेल्फ इंटरटेनमेंट के लिए शिशु चीखते हैं, गुरगल्स करते हैं और हंसने के साथ कराहते हैं। ऐसी आवाजों से शिशु आपका ध्यान आकर्षित करने का प्रयास करते हैं।
ब्रीदिंग
कराहना जम्हाई और आहें भरने के समान ही प्रभावशाली हो सकता है, जो लंग्स को ऑक्सीजन से भर देता है। गौरतलब है कि जब कभी बच्चा नींद में कराहता है तो उसके तुरंत बाद गहरी सांसें लेता है।
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ब्रेस्टफीडिंग
दूध पीते वक्त अधिकतर बच्चे कराहते हैं। कई बार दूध की ओवर सप्लाई की वजह से भी हो सकता है। जब शिशु दूध का अधिक सेवन करता है तो उसे पाचन संबंधी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। मुंह में अधिक दूध की वजह से बच्चा हवा में सांस लेता है जिस वजह से कराहने की आवाज निकल सकती है।
शिशु का कराहना रोकने के लिए घरेलू उपचार
- स्टूल पास करते वक्त शिशु के पेट पर हाथ फेरे या हिप और पैरों को थोड़ा मोड़ें।
- शिशु को फीड कराते वक्त उसके सिर और गले को सपोर्ट दें, ताकि वे निप्पल से ऊपर की ओर रहे। इससे मुंह में भरा एक्स्ट्रा दूध आसानी से बाहर निकल सकता है।
- शिशु के स्वास्थ को ध्यान में रखते हुए छोटे-छोटे मील दें। फीड के बाद बच्चे को डकार दिलाना न भूलें।
- सोते समय यदि शिशु अधिक कराहने की आवाज निकालते हैं, तो उसकी पोजिशन को बदल दें। इससे उसे गैस पास करने में आसानी होगी जिससे डाइजेस्टिव सिस्टम में सुधार होगा।