शिशु के दांत नहीं होते या कम होते हैं ऐसे में शिशु कठोर चीजों को आसानी से खा नहीं पाते। इस दौरान शिशु का पाचन तंत्र भी कमजोर होता है। शिशु कठोर चीजों को आसानी से पचा नहीं पाते इसलिए उन्हें नरम आहार का सेवन करवाया जाता है। इस आहार को सप्लीमेंट्री फूड्स के नाम से भी जाना जाता है। इस आहार में पौष्टिक विकल्प शामिल होते हैं। इस लेख में हम जानेंगे पूरक आहार के प्रकार और फायदे। इस विषय पर बेहतर जानकारी के लिए हमने Holi Family Hospital, Delhi की डायटीशियन Sanah Gill से बात की।
पूरक आहार क्या होता है?
शिशु के लिए पूरक आहार जरूरी होता है। छह माह से दो साल की उम्र के बीच शिशु को दिया जाने वाला भोजन पूरक आहार कहलाता है। इस दौरान शिशु को स्तनपान के अलावा नरम और आसानी से पच जाने वाला भोजन दिया जाता है इसे ही पूरक या सप्लीमेंट्री फूड्स के नाम से जाना जाता है।
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पूरक आहार के प्रकार
पूरक आहार को तीन प्रकार में बांटा गया है-
- अर्ध ठोस आहार वो होते हैं जिनका सेवन शिशु आसानी से कर सकता है। दूध में मिलाकर खाए जाने वाले आहार इस श्रेणी में आते हैं जैसे सीरियल्स। कुछ बच्चे दलिया खा लेते हैं, दलिया भी अर्ध ठोस आहार में शामिल होता है।
- ठोस आहार, पूरक आहार का दूसरा प्रकार है। इसमें चने या फल शामिल होते हैं। आपको गौर करना होगा कि शिशु को ठोस आहार देने से पहले उसे अच्छी तरह से मसल दें ताकि गले में भोजन न अटकें।
- तीसरा आहार है तरल आहार। जन्म के छह माह तक शिशु केवल मां के दूध का सेवन करता है लेकिन उसके बाद शिशु के शरीर को पानी के अलावा भी तरल पदार्थ जैसे सूप या जूस देना चाहिए।
शिशु के लिए पूरक आहार के फायदे
पूरक आहार की मदद से शिशु के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को कई फायदे मिलते हैं। जैसे-
- शिशु की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए सप्लीमेंट्री फूड्स का सेवन करना चाहिए।
- हड्डियों के विकास के लिए पूरक आहार फायदेमंद होते हैं।
- शिशु को आहार के जरिए जरूरी विटामिन्स और मिनरल्स मिलते हैं। इससे बच्चे के शरीर की ग्रोथ जल्दी होती है।
- शिशु के बौद्धिक विकास के लिए पूरक आहार फायदेमंद होते हैं।
- शरीर को एक्टिव रखने के लिए शिशुओं के लिए पूरक आहार का सेवन जरूरी है।
शिशु को पूरक आहार कब दें?
शिशु को छह माह की उम्र से पूरक आहार दे सकते हैं। मांएं शिशु को छह माह की उम्र से पूरक आहार दे सकते हैं। छह माह तक की उम्र में शिशु का शरीर, खाने को पचाने और निगलने में सक्षम हो जाता है। इसके अलावा शिशु को अपने साथ बिठाकर खाना खिलाएं। सभी के साथ मिलकर खाने से शिशु अच्छी तरह से खाना खा पाएगा।शिशु को घर में आलू, पके हुए चावल, दाल, घी दे सकते हैं। सब्जियों में पालक और गाजर की प्यूरी दे सकते हैं। अंडे की जर्दी भी शिशु के लिए फायदेमंद होती है।
शिशु को डॉक्टर की ओर से बताई गई मात्रा और विकल्पों के आधार पर भोजन दें। ऐसे आहार न दें जिसमें ज्यादा मसाले या चिकनाहट हो।