जब घर में कोई नवजात शिशु होता है, तो पूरा परिवार उसकी देखभाल के लिए ज्यादा गंभीर हो जाता है। बच्चे को कब क्या खिलाना चाहिए या कैसे कपड़े पहनाने चाहिए, हर छोटी से छोटी चीज का ध्यान रखा जाता है। शुरूआत के 6 महिने तक बच्चे को मां का दूध पिलाना ही फायदेमंद माना जाता है। लेकिन कई लोग इस अवधि के दौरान ही बच्चे को खाना-पीना देना भी शुरू कर देते हैं। कुछ लोगों का मानना होता है कि गर्मियों में नवजात शिशु को पानी दिया जा सकता है। लेकिन क्या यह सच में सेफ है? इस बारे में जानने के लिए हमने बात की पारस हेल्थ (गुरुग्राम) के एचओडी ऑफ पीडियाट्रिक्स एंड नियोनेटोलॉजी डॉ. (मेजर) मनीष मनन से, जिन्होनें इस विषय पर हमसे खास जानकारी साझा की।
इस विषय पर विस्तार से समझाने के लिए डॉक्टर मनीष मनन ने इस खास प्रश्नों के उत्तर दिये -
1. क्या 6 महीने से छोटे बच्चे को पानी पिलाना सेफ है? (Is It Safe To Give Water To Babies)
एक्सपर्ट के मुताबिक शुरुआती छह महीनों तक बच्चे को पानी देने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि मां के दूध से बच्चे के शरीर में पानी की पूर्ती हो जाती है। मां के दूध से बच्चे को सभी आवश्यक पोषक तत्व मिल जाते है, इसलिए ही शुरुआती छह महीनों तक केवल मां के दूध की सलाह दी जाती है। बच्चे की उम्र 6 महिने की होने के बाद उसे अन्य आहार के साथ पानी भी दिया जा सकता है। इस दौरान बच्चे को आवश्यक पोषक तत्व मां के दूध से नहीं मिल पाते, इसलिए ठोस पदार्थ शुरू करने की सलाह दी जाती है।
2. अगर 6 महीने से छोटे बच्चे को पानी दिया जाए, तो इससे उसे क्या परेशानियां हो सकती हैं? (Why You Shouldn't Give Your Baby Water)
छह माह से छोटे बच्चे को पानी देना काफी नुकसानदायक हो सकता है। पानी के सेवन से नवजात शिशु को इन समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है-
पोषक तत्वों की कमी
पोषण और कैलोरी के लिए बच्चे को पानी देना बिल्कुल गलत है, क्योंकि पानी में कैलोरी नहीं होती है। अगर 6 महीने से छोटे बच्चे को पानी दिया जाता है, तो इसके कारण उसका पेट जल्दी भर सकता है। पानी पीने से बच्चा मां के दूध का सेवन कम करेगा, जो उसके शरीर में पोषक तत्वों की कमी ला सकता है।
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ग्रोथ में रूकावट
फार्मूला मिल्क और ब्रेस्ट मिल्क में शिशु के लिए सभी आवश्यक पोषक तत्व होते हैं, जिससे शिशु को पर्याप्त कैलोरी भी मिल पाती है। इनसे शिशु को प्रोटीन, फैट्स, मिनरल्स, विटामिन्स और कार्बोहाईड्रेट की पर्याप्त मात्रा मिलती है, जो बच्चे के सही ग्रोथ के लिए जरूरी है। लेकिन बच्चे को पानी देने से उसके शरीर में इन पोषक तत्वों की कमी हो सकती है, जिससे उसकी ग्रोथ में रूकावट आ सकती है।
कुपोषण का कारण
शरीर में पोषक तत्वों की कमी होने से बच्चे के कुपोषण का शिकार होने का खतरा बढ़ सकता है। इस स्थिति में सही ग्रोथ के लिए बच्चे को पर्याप्त पोषण नहीं मिल पाता है। यह बच्चे के विकार में रोक लगा सकता है, जिसके कारण बच्चे में कमजोर शारीरिक विकास, रोग-प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होना और संज्ञानात्मक विकास में कमी आने जैसी समस्याएं आ सकती हैं।
वजन कम होना
पानी देने के कारण दूध के सेवन में कमी आ सकती है, जिससे बच्चे के वजन पर भी असर पड़ सकता है। पर्याप्त कैलोरी की मात्रा न मिलने से बच्चे का वजन कम हो सकता है, जो बच्चों को कई गंभीर समस्याओं में डालने का कारण भी बन सकता है।
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3. बच्चे की डाइट का कैसे रखें ख्याल (How To Take Care of Newborn’s Diet)
एक्सपर्ट की सलाह के मुताबिक 6 महीने की उम्र तक बच्चे को केवल मां का दूध या फार्मूला मिल्क ही देना चाहिए। छह महिने के बाद बच्चे की डाइट में धीरे-धीरे ठोस पदार्थ जैसे कि दाल का पानी जैसी चीजें दी जा सकती हैं। इसके साथ ही इस दौरान जूस और पानी भी ठोड़ी मात्रा में देना शुरू कर देना चाहिए। इसके अलावा इस बात का ध्यान रखे कि मिल्क प्रोडक्ट जैसे कि गाय या भैंस का दूध, पनीर, मलाई बच्चे को केवल 1 साल का होने के बाद ही देना शुरू करें। बच्चे को एक साल की उम्र तक केवल शाकाहारी चीजे देना ही जरूरी माना जाता है। इसलिए, बच्चे को ज्यादा तरल पदार्थ देने की कोई आवश्यकता नहीं होती ।
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