International Day of the Girl Child 2024 : हर साल 11 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य वैश्विक स्तर पर लड़कियों के अधिकारों के प्रति लोगों में जागरूकता लाने, समाज में उनकी स्थिति को सुधारने और लड़कियों के स्वास्थ्य के बारे में जागरूक करना है। अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस को मनाने की शुरुआत संयुक्त राष्ट्र द्वारा 2012 में की गई थी। यूं तो भारत में लड़कियों के साथ पैदा होने के साथ ही भेदभाव होना कोई बड़ी बात नहीं है। लेकिन लड़कियों के साथ होने वाला भेदभाव सिर्फ भारत नहीं बल्कि दुनिया के कई देशों में देखा जाता है।
भेदभाव के कारण ही आज के आधुनिक युग में महिलाओं को कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। एक लड़की के जन्म से लेकर परिवार में उसकी स्थिति, शिक्षा और करियर में विकास में आने वाली परेशानियों को दूर करने के प्रति जागरूकता लाना ही अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस (International Day of the Girl Child 2024 ) का उद्देश्य है। आज जब सारी दुनिया अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस मना रही है, तब हम आपको बताने जा रहे हैं, इस दिन का इतिहास और लड़कियों की परवरिश करते समय ध्यान रखने वाली बातों के बारे में।
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अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस का इतिहास- International Day of the Girl Child 2024 History
इस दिन के इतिहास पर नजर डाले तो, इसको मनाने की शुरुआत एक संगठन "प्लान इंटरनेशनल" नाम के प्रोजेक्ट के तौर पर हुई थी। इस संगठन ने दुनियाभर में लड़कियों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने के लिए वैश्विक स्तर पर "क्योंकि मैं एक लड़की हूं" नाम से कैंपेन शुरू किया था। धीरे-धीरे संगठन द्वारा इस दिन को वैश्विक स्तर मनाने के लिए कनाडा सरकार से बातचीत की गई। कनाडा सरकार ने संगठन की बात मानते हुए अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस (International Day of the Girl Child 2024 ) को मनाने का प्रस्ताव 55वीं आम सभा में रखा। इसके बाद संयुक्त राष्ट्र द्वारा यह प्रस्ताव 19 दिसंबर 2011 को पारित किया गया और तब से दुनियाभर में 11 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया जाने लगा।
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बेटियों की परवरिश कैसे करनी चाहिए - How To Raise A Girl Child
अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस बालिका दिवस के मौके पर हम आपको बताने जा रहे हैं कि एक माता-पिता को बेटियों की परवरिश करते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए। ये बात मैं खुद एक मां और एक बेटी होने के नाते कह सकती हूं, अगर बेटियों की परवरिश अच्छे से की जाए, तो वह अपने माता-पिता का नाम बेटों से ज्यादा रोशन कर सकती हैं और दुनिया के सामने खुद की पहचान बना सकती हैं। अंतरिक्ष में जाने वाली भारत की पहली महिला कल्पना चावला इसका सर्वश्रेष्ठ उदाहरण है। उस दौर में जब बेटियां पिता के कंधों पर बोझ हुआ करती थीं, तब कल्पना चावला के पिता ने उन्हें पढ़ाई और करियर बनाने में सपोर्ट किया और वह अंतरिक्ष में जाने वाली पहली भारतीय महिला बनीं। इसलिए हर माता-पिता को बेटियों की परवरिश करते वक्त इन 3 बातों का ध्यान रखना चाहिए।
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- माता-पिता होने के नाते आपको हमेशा लैंगिक आधार पर किसी तरह का भेदभाव अपने मन में और बेटियों के सामने नहीं रखना चाहिए। अगर आप अपने घर की बेटियों की तुलना बेटों से करते हैं, तो यह उनके मानसिक विकास पर बुरा प्रभाव डालता है।
- वो दौर पुराना था, जब बेटियों के घर नहीं हुआ करते थे, लेकिन आज के पेरेंट्स बेटियों को बचपन से ही इस बात की जानकारी दें कि उन्हें अपने पैरों पर खड़ा होना है। किसी पर निर्भर नहीं रहना है।
- माता-पिता बेटियों को सिखाएं की अगर कभी उनके साथ किसी तरह की फिजिकल एसॉल्ट हो तो वह चुप न रहें, बल्कि आपको आकर बताए।
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अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस के खास मौके पर हम अपने मंच से सभी पाठकों से अनुरोध करते हैं कि वह सिर्फ घर की नहीं बल्कि दुनिया की हर बेटी का सम्मान करें। अगर किसी बालिका के साथ कुछ गलत हो रहा है, तो उसे गलत के खिलाफ आवाज उठाना सिखाएं।