डेस्‍क पर खाने से बढ़ती है कार्यक्षमता

नए अध्‍ययन में शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि डेस्‍क पर खाना खाने वाले कर्मचारियों की कार्य क्षमता अधिक होती है।
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डेस्‍क पर खाने से बढ़ती है कार्यक्षमता


ऑफिस डेस्‍क पर खाना खाती लड़की

 

लंच टाइम को अक्‍सर लोग मौज मस्‍ती और काम के बीच से ब्रेक के तौर पर लेते हैं। इस वक्‍त अधिकतर लोग ऑफिस की कैंटीन में दोस्‍तों के साथ गप्‍पें मारते हुए भोजन करने को तरजीह देते हैं। लेकिन, एक ताजा शोध में यह बात सामने आयी है कि आपकी इस आदत का असर आपके काम पर पड़ता है। यह बात भले ही आपको हैरान करने वाली लगे, लेकिन शोधकर्ता इस बात को सही मानते हैं कि बाहर जाकर लंच करने से आपकी कार्यक्षमता पर बुरा असर पड़ता है।

 

शोधकर्ताओं की मानें तो अगर आप दिन में ऑफिस की कैंटीन में या कहीं बाहर जाकर खाना खाते हैं, तो आपको जल्‍दी ही अपनी इस आदत को बदल डालना चाहिए। उनका कहना है कि डेस्‍क पर खाना खाने से कर्मचारियों की कार्य क्षमता में इजाफा होता है।

 

बर्लिन स्थित 'हमबोल्‍ट यूनिवर्सिटी' के नए अध्‍ययन में शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि डेस्‍क पर खाना खाने वाले कर्मचारियों की कार्य क्षमता अधिक होती है। उन्‍होंने बताया कि डेस्‍क पर खाना खाने वालों का ध्‍यान काम पर ही केंद्रित रहता है। उनका मस्तिष्‍क सक्रिय रहता है जिससे वे अच्‍छा प्रदर्शन करते हैं। इसके मुकाबले बाहर जाकर खाना खाने वालों का ध्‍यान काम से बंट जाता है।

 

इस दौरान उनके मस्तिष्‍क के कार्य करने की क्षमता भी घट जाती है जिससे वे दोबारा लौटकर उतना काम नहीं कर पाते। हालांकि इसका एक अन्‍य पहलू भी है। काम से ब्रेक लेकर बाहर जाकर खाने वाले लोग ज्‍यादा तरोताजा महसूस करते है जिससे उन्‍हें नई ऊर्जा मिलती है। ठोस निष्‍कर्ष प्राप्‍त करने के लिए शोधकर्ताओं ने ऑफिस कर्मियों पर परीक्षण किया।



शोधकर्ताओं ने पाया कि दोस्‍तों के साथ रेस्‍तरां में भोजन करने से संज्ञानात्‍मक नियंत्रण कम हो जाता है।



इस शोध में शामिल प्रतिभागियों ने एक तय वक्‍त में अपनी सीट पर बैठकर अकेले भोजन किया, या फिर अपने दोस्‍तों के साथ कुछ वक्‍त चलकर रेस्‍तरां तक गए और फिर एक घंटे का लंबा लंच ब्रेक लिया।



सभी आहार एक जैसे थे और उनकी मात्रा भी समान थी। भोजन के बाद जिन लोगों ने रेस्‍तरां में भोजन किया, वे उन लोगों के मुकाबले कम सजग और जोशीले नजर आए, जिन लोगों ने अपनी सीट पर बैठकर ही भोजन किया था।



संज्ञानात्‍मक नियंत्रण और न्‍यूरोफिजियॉलोजी स्‍तर पर भी उनका प्रदर्शन कम आंका गया। इसके साथ ही उनके काम में अधिक गलतियां भी पायीं गईं।



क्‍योंकि दोनो प्रकार के प्रतिभागियों के भोजन करने के तरीके में कई अंतर थे। दोनों का वातावरण अलग था, एक ओर समयबद्धता थी तो दूसरी ओर ऐसी कोई रोक नहीं थी। एक ओर दोस्‍त थे, तो दूसरी ओर व्‍यक्तियों ने अकेले ही भोजन किया। इन बातों के आधार पर शोधकर्ताओं का कहना था, '' इस समय हम यह नहीं बता सकते कि उपरोक्‍त कारणों में से कौन सी सबसे महत्‍वपूर्ण वजह है जिसके कारण यह नतीजे सामने आये हैं।'' यह शोध प्‍लॉस वन जनरल में प्रकाशित हुआ है।



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