कई बार बच्चे के गले में होने वाले संक्रमण भी एसिडिटी की वजह हो सकती है। साथ ही आधुनिक जीवनशैली से पैदा होने वाली एसिडिटी की समस्या युवाओं में लगातार बढ़ रही है। दिनचर्या में बाधा डालने वाली इस समस्या का दूर करने के लिए चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए।
जानकार युवाओं और बच्चों में बढ़ रही इस बीमारी के लिए उनकी दिनचर्या को दोष देते हैं। स्कूल जाने वाले बच्चे को सुबह नाश्ता जल्दी करना पड़ता है, जो समय की कमी से वे अनमने ढंग से करते हैं। लंबे अंतराल के बाद दोपहर के खाने का वक्त आता है, लेकिन वे लंच बॉक्स से खाने की जगह कैंटीन से लेकर खाना पसंद करते हैं।
सर्वे के मुताबकि यह देखा गया है कि ज्यादातर मांएं बच्चों को भूख बढ़ाने वाले भोजन देती हैं जैसे भुना हुआ कटलेट या पैकेट बंद चिप्स। आखिर में आप अत्यधिक रेशेयुक्त भोजन की जगह अत्यधिक कैलोरी वाला भोजन करने लगते हैं। इस वजह से बच्चों में मोटापा और एसिडिटी की समस्या बढ़ रही है।
बच्चों के अलावा कामकाजी लोगों के साथ भी यही समस्या है। वे भी लंबे अंतराल पर भोजन करते हैं और कोई व्यायाम नहीं करते, जिससे उनके पेट में जलन पैदा होने लगती है। एसिडिटी के बनने में अवसाद भी बड़ी भूमिका निभाता है। यह समस्या को और बढ़ा देता है।
लगातार डकार आना और पेट में जलन होना हमेशा एसिडिटी के लक्षण नहीं होते। उदाहरण के लिए बच्चों के गले में बार-बार संक्रमण की वजह भी एसिडिटी हो सकती है क्योंकि टांसिल के हिस्से में रक्त का प्रवाह तेज हो जाता है। इससे छाती के हिस्से में खाना फंसे होने की शिकायत करते हैं या उल्टी के साथ हल्का खून आना भी एसिडिटी की वजह से हो सकता है। तीन-चार सप्ताह में एक बार एसिडिटी होना आम बात है लेकिन अगर यह रोज आपकी दिनचर्या को बिगाड़ रही है तो चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए।
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