आप खाने के शौकीन हैं। लेकिन अगर आपको टाइप टू डायबिटीज है तो भोजन को लेकर आपका नजरिया हमेशा वैसा नहीं रहता। आपको अपनी स्वाद ग्रंथि पर लगाम लगानी पड़ती है। जो चीजें आपको पसंद होती हैं, वही अब आपके लिए मना हो जाती हैं। न तो आप केक के टुकड़ों का जायका ले सकते हैं और न ही मिठाई के रस से ही अपने मुंह को सराबोर कर सकते हैं। सारा खेल कैलोरी, कार्बोहाइड्रेट और उसका शरीर पर पड़ने वाले संभावित प्रभावों पर आकर टिक जाता है। आप यह सोचते रहते हैं कि आखिर इनका आपकी रक्त शर्करा पर क्या असर पड़ेगा।
डायबिटीज से पीड़ित अधिकतर लोगों के जीवन में यह समस्या होती है।
बदलाव है मुश्किल
पौष्टिक आहार न केवल हमें शारीरिक रूप से संतुष्ट रखता है, बल्कि साथ ही साथ यह हमारी अन्य जरूरतों को भी पूरा करता है। हम केवल भूखे होने पर खाते हों, ऐस नहीं है। हम खाते हैं क्योंकि हम बोर हो रहे होते हैं। कई बार तनाव की परिस्थिति हमें भोजन की ओर खींचती है। अकेलेपन को दूर भगाने के लिए भी हम भोजन का सहारा लेते हैं। सामाजिक रूप से भी अपनी परेशानियों से निपटने के लिए हम भोजन की शरण में ही जाते हैं। और इन हालात में हम अकसर गलत और अधिक भोजन का सेवन कर लेते हैं। सेहतमंद जीवन के लिए हमें नयी आदतों को अपनाना चाहिये। ये आदतें लगातार चलती रहनी चाहिये। क्योंकि जरा सी चूक हमें एक बार फिर अस्वास्थ्यकर भोजन आदतों की ओर ले जाती हैं।
वैसे एक बात तो है, आदतें इतनी आसानी से कहां बदली जा सकती हैं। वास्तव में बुरी आदतों का असर भी जल्दी नजर नहीं आता। तो, ऐसे में आपको इनसे जल्दी परेशानी भी नहीं होती। लेकिन, धीरे-धीरे ये आदतें आपके जीवन और स्वास्थ्य को बदलकर रख देती हैं। लेकिन, धीरे-धीरे ही सही आप उन आदतों की गिरफ्त में इस तरह फंस चुके होते हैं कि इनसे पीछा छुड़ाने के लिए आपको कड़ी मेहनत करनी पड़ती है।
2007 में शिकागो यूनिवर्सिटी ने डायबिटीज से पीड़ित 701 लोगों पर शोध किया। उन्होंने पाया कि अगर अधिकतर लोग अगर अपनी सेहत का खयाल नहीं रखते, तो शायद उनकी उम्र भी पूरी हो चुकी हो सकती। 18 फीसदी लोगों का यह मानना था कि अगर उन्हें आहार, व्यायाम और दवायें छोड़नी पड़ें तो उन्हें पांच दस बरस कम उम्र की भी परवाह नहीं है।
हालांकि, आपको छोटे-छोटे बदलाव करने शुरू कर देने चाहिये। लेकिन, उच्च रक्त शर्करा आपके शरीर को बेहद नुकसान पहुंचाती है, भले ही आपको इस बात का अहसास न हो।
जानकार मानते हैं कि उच्च रक्त शर्करा किसी जहर की तरह है। यह इसी तरह है जैसे हम रोज अपने आहार में पारा, लैड या फिर ऑर्सेनिक जैसा जहर ले रहे हों। लेकिन, उच्च शर्करा के प्रभावों को लेकर अधिकतर लोग बेपरवाह रहते हैं।
धीरे लेकिन नियमित बदलाव हैं जरूरी
आपकी सोच और आहार संबंधी आदतें एक रात में नहीं बदलतीं। लेकिन, छोटे-छोटे बदलाव आपकी आंखों, किडनी , दिल और नर्व का खयाल रख सकते हैं। एक साथ बड़े बदलाव नहीं किये जाते। और कई बार एकदम से सब बदलने के नुकसान भी होते हैं और आप फिर लौटकर बुरी आदतों पर आ जाते हैं। तो रोज एक नयी स्वस्थ आदत अपनाते जाइये । और कुछ दिनों बाद आप पूरी तरह से बदल चुके होते हैं।
बेशक स्वस्थ आदतों के लिए आप कड़ी मेहनत करते हैं, लेकिन कभी-कभार चूक होना लाजमी है। आखिर आप इनसान हैं और गलती की गुंजाइश हमेशा रहती है। तो खुद को इन गलतियों के लिए माफ कर दें। देखें कि आप कहां चूक गए और अगली बार उससे बचने का प्रयास करें। आखिर इनसान अपनी गलतियों से सीखकर ही आगे बढ़ता है।
तो, लगातार बेहतर बनने का प्रयास करते रहिये। आहार की मात्रा पर नियंत्रण करने से शुरुआत कीजिये। धीरे-धीरे ही सही आप इस पर नियंत्रण करना सीख जाएंगे।
Image Courtesy- Getty Images
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