हर साल 14 नवंबर को वर्ल्ड डायबिटीज डे मनाया जाता है। विश्व मधुमेह दिवस को अंतरराष्ट्रीय मधुमेह संघ और विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा वर्ष 1991 में शुरू किया गया था।
प्रत्येक वर्ष डायबिटीज डे का अलग लक्ष्य होता है, इस वर्ष मधुमेह दिवस का लक्ष्य है डायबिटीज के विषय में लोगों को शिक्षित करना। यदि किसी को डायबिटीज की समस्या हो जाती है, तो इसे पूरी तरह से ठीक कर पाना असंभव है, लेकिन यदि थोड़ी सावधानी बरती जाए तो इससे होने वाले खतरों से बचाव किया जा सकता है। डायबिटीज कई बार प्राकृतिक या आनुवांशिक कारणों से होती है।
डायबिटीज होने के दो कारण होता है, पहला शरीर में इन्सुलिन का बनना बंद हो जाये या फिर शरीर में इन्सुलिन का प्रभाव कम हो जाये। दोनों ही परिस्थितियों में शरीर में ग्लूसकोज की मात्रा बढ़ जाती है। डायबिटीज के मरीजों को अपने आहार का ध्यान रखना चाहिए। यह रोग उम्र के आखिरी पड़ाव तक बना रहता है, इसलिए इसके खतरों से बचे रहने के लिए जरूरी है सावधानी बरतने की।
डायबिटीज के प्रकार
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टाइप 1 डायबिटीज
टाइप 1 डायबिटीज बचपन में या किशोर अवस्था में अचानक इन्सुलिन के उत्पादन की कमी होने से होने वाली बीमारी है। इसमें इन्सुलिन हॉर्मोन बनना पूरी तरह बंद हो जाता है। ऐसा किसी एंटीबॉडीज की वजह से बीटा सेल्स के पूरी तरह काम करना बंद करने से होता है। ऐसे में शरीर में ग्लूकोज की बढ़ी हुई मात्रा को कंट्रोल करने के लिए इन्सुलिन के इंजेक्शन की जरूरत होती है। इसके मरीज काफी कम होते हैं।
टाइप 2 डायबिटीज
टाइप 2 डायबिटीज आमतौर पर 30 साल की उम्र के बाद धीरे-धीरे बढ़ने बाली बीमारी है। इससे प्रभावित ज्यादातर लोगों का वजन सामान्य से ज्यादा होता है या उन्हें पेट के मोटापे ककी समस्या होती है। यह कई बार आनुवांशिक होता है, तो कई मामलों खराब जीवनशैली से संबंधित होता है। इसमें इन्सुलिन कम मात्रा में बनता है या पेंक्रियाज सही से काम नहीं कर रहा होता है। डायबिटीज के 90 फीसदी मरीज इसी कैटेगिरी में आते हैं। एक्सरसाइज, बैलेंस्ड डाइट और दवाइयों से इसे कंट्रोल में रखा जा सकता है।
डायबिटिक्स किससे करें परहेज
ग्लूकोज, चीनी, जैम, गुड़, मिठाईयां, आइसक्रीम, केक, पेस्ट्रीज और चाकलेट आदि से डायबिटीज के मरीजों को दूर रहना चाहिए। तला हुआ भोजन या प्रोसेस्ड फूड भी इसमें नुकसान देते हैं। अल्कोहल का सेवन या कोल्ड ड्रिंक भी डायबिटीज के मरीजों के लिए हानिकारक है। मधुमेह रोगियों को धूम्रपान से दूर रहने के साथ ही सूखे मेवे, बादाम, मूंगफली, आलू और शकरकंद जैसी सब्जियां बहुत कम या बिल्कुल नहीं खानी चाहिए। ऐसे व्यक्ति को फलों में केला, शरीफा, चीकू, अन्जीर और खजूर से परहेज करना चाहिए।
क्या खाएं डायबिटीज रोगी
डायबिटीज से ग्रस्त रोगियों के लिए सलाद के साथ ही सब्जि़यों में मेथी, पालक, करेला, बथुआ, सरसों का साग, सोया का साग, सीताफल, ककड़ी, तोरई, टिंडा, शिमला मिर्च, भिंडी, सेम, शलजम, खीरा, ग्वार की फली, चने का साग और गाजर आदि का सेवन अच्छा रहता है। इसके अलवा उन्हें फाइबर व ओमेगा थ्री फैटी एसिड युक्त आहार का भी ज्यादा से ज्यादा सेवन करना चाहिए। यदि आप नॉनवेज खाना पसंद करते हैं तो तंदूरी या उबले मुर्गे का मीट और मछली को उबालकर या भूनकर खा सकते हैं। एक-दो अंडे भी आप खा सकते हैं।
डायबिटीज का असर
डायबिटीज का असर किडनी पर कुछ साल बाद ही शुरू हो जाता है। इसे रोकने के लिए ब्लड शुगर और ब्लड प्रेशन दोनों को नॉमर्ल रखना चाहिए। ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रण में रखकर आंखों की मोतियाबिंद जैसी बीमारियों से बचा जा सकता है। डायबिटीज के मरीजों में अकसर 65 साल की उम्र में पहुंचते-पहुंचते दिल के दौरे की समस्या शुरू हो जाती है। इससे बचने के लिए ग्लूकोज स्तर नियंत्रण में रखने के साथ-साथ ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल और तनाव पर नियंत्रण रखना भी जरूरी है। डायबिटीज से हार्ट अटैक, स्ट्रोक्स, लकवा, इन्फेक्शन और किडनी फेल होने का भी खतरा बना रहता है।
आहार के साथ जरूरी सावधानियां
- नियमित शुगर स्तर की जांच कराए।
- किसी भी तरह के घाव को खुला ना छोड़ें।
- फलों का रस लेने के बजाय, फल खायें।
- व्यायाम करें और अपना वजन नियंत्रित रखें।
- योग भी डायबिटीज के रोगियों के लिए अच्छा है।
अभी तक डायबिटीज का कोई भी स्थायी उपचार नहीं है। आप इसके खतरों से बचने के लिए आहार में सावधानी रखने के साथ ही नियमित रूप से व्यायाम करें।
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