
तनाव मौजूदा जीवन का हिस्सा बन चुका है। पुरुषों ही नहीं महिलाओं में भी यह समस्या आम हो चुकी है। अनियमित जीवनशैली, काम का बोझ और तनाव भरी जिंदगी का असर अब हार्मोन में परिवर्तन के रूप में भी सामने आने लगा है। इसके कारण शरीर में कई असंतुलन पैदा होते हैं और हार्मान भी इससे बहुत प्रभावित होता है। हार्मोन असंतुलन के कारण मासिक धर्म में समस्या के अलावा अन्य कई सामान्य बीमारियां भी शुरू हो जाती हैं।
हार्मोन असंतुलन के कारण
महिलाओं के शरीर में हार्मोन असंतुलन कई कारणों से प्रभावित होता है, जिसमें जीवनशैली, पोषण और एक्सरसाइज की कमी, तनाव, भावनाएं और उम्र प्रमुख हैं। साथ ही जंक फूड और दूसरे खाद्य पदार्थों में कैलोरी की मात्रा तो बहुत अधिक होने और पोषक तत्वों की मात्रा बहुत कम होने के कारण शरीर को आवश्यक विटामिन, मिनरल, प्रोटीन और दूसरे पोषक तत्व नहीं मिल पाते। साथ ही कॉफी, चाय और सॉफ्ट ड्रिंक आदि का अधिक इस्तेमाल भी कई महिलाओं की एड्रिलीन ग्रंथि अत्यधिक सक्रिय हो जाती है जो हार्मोन को प्रभावित करती है। इसके अलावा गर्भनिरोधक गोलियां भी हार्मोन को प्रभावित करती हैं।
महिलाओं के शरीर में उपलब्ध पांच हार्मोन- एस्ट्रोजन, प्रोगेस्टेरॉन, कॉर्टिसोल, डीएचईएएस और टेस्टोस्टेरॉन की प्रकृति पर ही शरीर का स्वास्थ्य निर्भर करता है। इन हार्मोन में असंतुलन होने पर स्वास्थ्य समस्यायें होने लगती हैं। इसलिए इनको संतुलित करना बहुत महत्वपूर्ण होता है। आइए जानें महिलाओं में होने वाले हार्मोंन बदलाव का सामना करने के उपायों के बारे में जानें।
हार्मोन असंतुलन के लक्षण
मासिकधर्म के दौरान अत्यधिक ब्लीडिंग, मासिक चक्र गड़बड़ा जाना, भूख न लगना, अनिद्रा, मानसिक भटकाव, अचानक वजन बढ़ जाना, हड्डियों का कमजोर होना, रात में अधिक पसीना आना और तो और हार्मोन असंतुलन के कारण ब्रेस्ट कैंसर होने की संभावना भी बढ़ जाती है।
हार्मोन असंतुलन का शरीर पर प्रभाव
हार्मोन असंतुलन के चलते महिलाओं का मूड अक्सर खराब रहने लगता है और वह चिड़चिड़ी हो जाती हैं। साथ ही यह असंतुलन स्वास्थ्य संबंधी सामान्य परेशानियां जैसे मुहांसे, चेहरे और शरीर पर अधिक बालों का उगना, असमय बुढ़ापा, पीरियड्स में गड़बड़ी, यौन के प्रति अनिष्छा, गर्भ ठहरने में मुश्किल आना जैसी गंभीर समस्याओं का कारण बन सकता है।
हार्मोन असंतुलन से बचाव के उपाय
- नींद न आने के कारण भी हार्मोन असंतुलन होता है। नींद न आने से कॉर्टिसोल के स्तर पर प्रभाव पड़ता है। इसके कारण मीनोपॉज के बाद महिलाओं को रात में सोते वक्त पसीना आना, अनिद्रा की समस्या हो सकती है जो कि हार्मोन के असंतुलन के कारण होता है। रोजाना 7-8 घंटे की नींद अवश्य लें।
- डिप्रेशन के कारण भी हार्मोन असंतुलित हो जाता है। खासतौर पर महिलाओं में चिड़चिड़ापन हार्मोन के कारण ही होता है। इसलिए हार्मोंन असंतुलन से बचने के लिए तनाव से दूर रहने की कोशिश करें और सक्रिय रहें। इसके लिए आप ध्यान और योगासन का सहारा ले सकती हैं।
- संतुलित, कम वसायुक्त और अधिक रेशेदार भोजन का सेवन करें। ओमेगा-3 युक्त आहार हार्मोन संतुलन में सहायक होते है। इसलिए अपने भोजन में अलसी, अंडे, सूखे मेवों और चिकन में पाया जाता है।
- शरीर में पानी की कमी न होने दें। इसलिए नियमित रूप से कम से कम 8-10 गिलास पानी जरूर लें।
- चाय, कॉफी, शराब के सेवन से बचें। इसकी जगह आप ग्रीन टी या फलों को ले सकती हैं।
इन सब उपायों को अपनाकर महिलाएं हार्मोन बदलाव का सामना बहुत ही आसानी से कर सकती है।
Image Courtesy : Getty Images
Read More Articles on Women Health in Hindi.
How we keep this article up to date:
We work with experts and keep a close eye on the latest in health and wellness. Whenever there is a new research or helpful information, we update our articles with accurate and useful advice.
Current Version