हेल्‍दी खाने के लिए अपने दिमाग को दें ट्रेनिंग

यदि आप खानपान की बुरी आदतों में बदलाव करना और अपने दिमाग को हेल्‍दी व कम कैलोरी वाले खाने के लिए ट्रेन करना चाहते हैं, तो ऐसा संभव हो सकता है।
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हेल्‍दी खाने के लिए अपने दिमाग को दें ट्रेनिंग


खानपान की आदतों के कारण आधुनिक जीवन में ज्‍यादातर बीमारियां हमें अपनी गिरफ्त में ले लेती हैं। खानपान की बुरी आदतें हमारे दिमाग पर इस तरह से कब्‍जा कर लेती हैं कि अक्‍सर बाहर का अनहेल्‍दी और ज्‍यादा कैलोरी वाला खाना हमें अपनी तरफ खींचता है। हमारे खाने-पीने की आदतों पर धीरे-धीरे हमारा कंट्रोल खत्‍म हो जाता है और फिर यह सेहत के लिए घातक साबित होता है। ऐसी आदतों को पूरी तरह से खत्‍म करना या उनमें थोड़ा-बहुत बदलाव भी मुश्‍किल हो जाता है।

 

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बदली जा सकती हैं खानपान की आदतें

निराश होने की बिल्‍कुल भी जरूरत नहीं है, ऐसी आदतों को बदलना संभव है। जी हां! खानपान की आदतों में बदलाव करना और अपने दिमाग को हेल्‍दी व कम कैलोरी वाले खाने के लिए मनाना संभव है। सिर्फ मनाना ही संभव नहीं बल्‍कि धीरे-धीरे दिमाग को खानपान की बुरी आदतों से दूर करना व हेल्‍दी और कम कैलोरी वाले खाने के लिए ट्रेन्‍ड करना भी कोई बड़ी बात नहीं है।


पहले वैज्ञानिकों को भी लगता था कि ऐसा करना संभव नहीं है। लेकिन ताजा शोधों के अनुसार खानपान की बुरी आदतों से खुद को निकालना अब संभव है। अब संभव है कि ऐसी डाइट से छुटकारा पाने के लिए रिवर्स डाइट प्‍लान बनाया और उसे पूरी तरह से अमल में भी लाया जा सकता है। न्‍यूट्रीशन एंड डायबटीज के ऑनलाइन जर्नल में छपे लेख के अनुसार अडल्‍ट महिलाओं और पुरुषों के दिमाग को स्‍कैन करने पर पता चलता है कि अनहेल्‍दी खाने की बुरी आदतों को पलटा जा सकता है।

 

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रिसर्च जिसने जगाई उम्‍मीद की किरण

दिमाग किस तरह से हेल्‍दी और कम कैलोरी वाले खाने के लिए खुद को तैयार करता है, इसके लिए रॉबर्ट्स और उनके साथियों ने एक शोध किया। 13 ओवरवेट महिलाओं और पुरुषों के साथ किए गए इस रिवार्ड सिस्‍टम शोध में 8 वे थे, जिन्‍हें टफ्ट्स युनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं द्वारा डिजाइन किए गए वेट लॉस प्रोग्राम में शामिल किया गया था और 5 वे लोगों को कंट्रोल ग्रुप में रखा गया। इन 5 लोगों को वेट लॉस प्रोग्राम में शामिल नहीं किया गया था।

हेल्‍दी खाने के प्रति बढ़ी संवेदनशीलता

दोनों ग्रुप के सदस्‍यों के दिमाग का शोध से पहले और 6 महीने खत्‍म होने के बाद एमआरआई किया गया। शोध के अनुसार एमआरआई में पता चला कि जिन लोगों को वेट लॉस प्रोग्राम में शामिल किया गया था उनके दिमाग के उस हिस्‍से में बदलाव देखा गया जो सीखने और एडिक्‍शन के प्रति संवेदनशील होता है। 6 महीने बाद दिमाग के इस हिस्‍से में हेल्‍दी और लो कैलोरी खाने के प्रति संवेदनशीलता बढ़ गई. शोध में पता चला कि अब दिमाग का यह हिस्‍सा हेल्‍दी व कम कैलोरी वाले खाने को पहले के मुकाबले ज्‍यादा तवज्‍जो देता है और उसका भरपूर लुत्‍फ भी उठाता है। शोध में अनहेल्‍दी खाने के प्रति संवेदनशीलता घटने के भी संकेत मिले।


 

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