एडेनोकार्सिनोमा कैंसर के साथ कैसे जियें

एडेनोकार्सिनोमा कैंसर फेफड़े के कैंसर का का एक सामान्‍य रूप है। इस लेख में जानिए कैसे जियें इस बीमारी के साथ।
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एडेनोकार्सिनोमा कैंसर के साथ कैसे जियें


एडेनोकार्सिनोमा कैंसर फेफड़े के कैंसर का का एक सामान्‍य रूप है। जो लोग स्‍मोकिंग अधिक करते हैं उनको कैंसर का यह प्रकार ज्‍यादा होता है लकिन धम्रपान न करने वालों को भी यह हो सकता है। फेफड़ों का एडेनोकार्सिनोमा काफी बड़ी संख्या में वयस्कों को प्रभावित करता है। ये फेफड़े में कैंसरयुक्त सेल्स की असामान्य वृद्धि को बढ़ाते हैं। यही कैंसरयुक्त सेल्स अनियंत्रित होकर ट्यूमर बनाते हैं। जैसे-जैसे कैंसर बढ़ता है यह फेफड़े के नजदीकी हिस्सों को भी हानि पहुंचाता जाता है।

फेफड़े का एक्‍सरेअक्सर एडीनोकार्सीनोमा लंग कैंसर को महिलाओं और 45 साल से कम उम्र के लोगों में देखा जाता है। आमतौर पर यह फेफड़े के किनारों पर विकसित होता है पर यह फेफड़े को ढकने वाली झिल्ली पर फैल सकता है। खांसते वक्त खून निकलना, सांस लेने में दिक्‍कत होना, सीने में दर्द, गले में घरघराहट जैसे लक्षण कैंसर के इस प्रकार में दिखते हैं।


 
एडेनोकार्सिनोमा की उत्‍तरजीविता पर शोध
हालांकि एडेनोकार्सिनोमा कैंसर के निदान के बाद चिकित्‍सक यह निर्धारित करते हैं कि मरीज कितने दिनों तक जीवित रह सकता है। सामान्‍यतया 5 साल तक उम्र तक लोग इस बीमारी के बाद‍ जिंदा रह सकते हैं। कुछ लोगों में इस बीमारी का उपचार भी हो जाता है। कैंसर के स्‍टेज के आधार पर भी यह निर्धारित होता है कि व्‍यक्ति कितने दिन तक जीवित रहेगा।

नेशनल कैंसर डेटा बेस ने एडेनोकार्सिनोमा कैंसर के निदान के बाद 1998-2002 के बीच मरीजों की उत्‍तरजीविता (सर्वाइवल) का क्रम देखा। पहले स्‍टेज के मरीज 5 साल या उससे ज्‍यादा जीने की संभावना सबसे ज्‍यादा दिखी, फर्स्‍ट स्‍टेज की उत्‍तरजीविता 55 प्रतिशत दिखी। सबसे कम उत्‍तरजीविता चौथे यानी आखिरी स्‍टेज में दिखी, चौथे स्‍टेज में केवल 5 प्रतिशत लोग ही 5 या उससे अधिक साल तक जीवित रह पाये।


एडेनोकार्सिनोमा कैंसर में देखभाल

धूम्रपान को कहें ना
फेफड़े के एडोनाकार्सिनोमा से बचाव लिए सबसे जरूरी है कि आप स्‍मोकिंग बिलकुल न करें। धम्रपान करने वालों को एडीनोकार्सिनोमा कैंसर होने की ज्‍यादा संभावना होती है साथ ही यदि आप इस बीमारी की चपेट में आ गये हैं और धूम्रपान कर रहे हैं तो कैंसर और भी जटिल हो सकता है। अप्रत्‍यक्ष धम्रपान से भी बचने की कोशिश कीजिए।


स्‍वस्‍थ और पोषणयुक्‍त आहार
कैंसर की जटिलतो को कम करने स्‍वस्‍थ खान-पान का अहम योगदान होता है। इसलिए एडेनोकार्सिनोमा कैंसर से ग्रस्‍त लोगों को खान-पान का विशेष ध्‍यान देना चाहिए। अपने आहार में फलों और सब्जियों की मात्रा बढ़ाएं। फलों और सब्जियों में शक्तिशाली एंटीओक्सीडेंट्स होते हैं जो कैंसर का कारण बनने वाले फ्री रेडिकल्स खात्‍मा कर उनको बढ़ने से रोकते हैं। जिन लोगों को कैंसर हो जाता है उनके शरीर में भी हरी पत्तेदार सब्जियां कैंसर को फैलने से रोकती हैं। इसलिए अपने डायट चार्ट में ताजे फलों, सब्जियों, विटामिन और पोषक तत्व से भरपूर आहार को शामिल कीजिए।


रेडॉन के ज्यादा सम्पर्क में न आयें

क्या आप के घर में रेडॉन गैस को नियंत्रित रखा गया है। 4 पिकोक्यूरीज/लीटर से ऊपर के स्तर का रेडॉन असुरक्षित होती है। यदि आप के पास निजी कुआं है तो अपने पेय जल में रेडॉन की उपलब्धता की जांच करें। रेडॉन की जांच के लिये व्यावसायिक रूप से उपलब्ध किट्स व्यापक रूप से उपलब्ध हैं।


विटामिन दवाईयों के रूप में न लें
दवाईयों के रूप में विटामिन की बड़ी खुराक लेने से बचें, क्योंकि ये हानिकारक हो सकता है। उदाहरण के लिए, भारी धूम्रपान करने वाले यदि लंग कैंसर के जोखिम को कम करने के लिए बीटा कैरोटीन की खुराक लेते हैं तो इसका परिणाम यह होता है कि यह खुराक वास्तव में धूम्रपान करने वालों में कैंसर का खतरा बढ़ा देती है।



एडेनोकार्सिनोमा कैंसर से पीडि़त होने के बाद भी जीने की आस नही छोड़ना चाहिए। सकारात्‍मक सोच और ऊर्जा के साथ कैंसर के प्रभाव को कम करने की कोशिश कीजिए। इसके अलावा चिकित्‍सक के संपर्क में हमेशा रहें।

 

 

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