पेप्टिक अल्सर यानी पाचन संबंधी अल्सर की बीमारी। पेप्टिक अल्सर श्लैष्मिक दीवार (म्यूकस वॉल) में होने वाला छेद या कोई कट आदि है। श्लैष्मिक परत या म्यूकस लेयर पेट के अंदर बनने वाले एसिड से छोटी आंत की रक्षा करती है। म्यूकस वॉल के क्षतिग्रस्त होने पर अल्सर इन परतों में जगह कर जाता है।म्यूकस की दीवार में छेद या कट जब आधा सेंटी मीटर से बड़ा हो जाता है तो यह पेप्टिक अल्सर कहा जाता है। ऐसी स्थिति में रोगी को तला-भुना और मसाला युक्त खाना खाने से परेशानी बढ़ती है। पेप्टिक अल्सर के दो प्रकार होते है। इस लेख के जरिए आगे बात करते हैं पेप्टिक अल्सर से जुड़ी अन्य जानकारी के बारे में।
पेप्टिक अल्सर के प्रकार
- डुआडनल अल्सर या ग्रहणी अल्सर। यह अल्सर छोटी आंत में होता है।
- गैस्ट्रिक अल्सर, यह पेट में होता है। पेप्टिक अल्सर में इसी प्रकार का अल्सर ज्यादा होता है।
[इसें भी पढ़ें : पेप्टिक अल्सर की चिकित्सा]
पेप्टिक अल्सर के लक्षण
पेप्टिक अल्सर का सामान्य लक्षण यह होता है कि इसमें पेट में जलन होने लगती है। जलन की समस्या भोजन करने के दौरान या भोजन करने के बाद कभी भी हो सकती है। दवाईयों के जरिए इस जलन में कुछ समय के लिए राहत पाई जा सकती है। यदि कोई व्यक्ति पेप्टिक अल्सर से ग्रसित है तो उसमें कुछ अन्य लक्षण भी पाये जाते हैं। जो कि निम्न लिखित है।
- मतली आना
- छाती में दर्द की शिकायत
- थकान होना
- दर्द और पेट के ऊपरी हिस्से में बेचैनी
- उल्टी आना
- वजन कम होना
पेप्टिक अल्सर से पीडि़त व्यक्ति को रूक-रूक कर होने वाले दर्द की भी शिकायत हो सकती है। यह दर्द रोगी की कमर में कुछ घंटों के अंतराल पर होता रहता है। अल्सर के कुछ प्रकार में लंबे समय तक भी लक्षण नहीं दिखाई देते और जब इसकी पहचान होती है तब तक यह घातक रूप ले लेता है।
उल्टी में खून आना और अचानक पेट में बहुत तेज दर्द हो तो इसे गंभीरता से लेना चाहिए। इसके उचार में लापरवाही नहीं करनी चाहिए। हालांकि इस प्रकार की समस्या को पेप्टिक अल्सर के मामलों में कम ही देखा गया है। पेप्टिक अल्सर में निम्नलिखित प्रकार की गंभीर समस्या भी हो सकती है। पेप्टिक अल्सर का दवाओं के माध्यम से उपचार किया जा सकता है।
- आंतरिक रक्तस्राव
- गैस संबंधी परेशानी
- आंतों में जलन की शिकायत
इस रोग से ग्रसित व्यक्ति की पाचन ग्रंथि या अग्नाशय में कैंसर भी हो सकता है। इससे अधिक मात्रा में हार्मोन रिलीज होता है जो पेट में एसिड के स्राव को बढ़ाता है।
पेप्टिक अल्सर का कारण
पहले ये माना जाता था कि अल्सर खाने के गलत तरीके और तनाव के कारण होता है। लेकिन अब वैज्ञानिकों ने नए शोध के आधार पर पता लगाया है कि पेप्टिक अल्सर मुख्य रूप से 'हेलीकोबाकेटर पाइलोरी' वैक्टीरिया के कारण होता है। ज्यादातर मामलों में पेप्टिक अल्सर का कारण 'हेलीकोबाकेटर पाइलोरी' ही पाया गया है। पेप्टिक अल्सर से संबंधित बैक्टीरिया को नष्ट करने के लिए एंटीबायटिक दवाओं का इस्तेमाल किया जाता है।
पेप्टिक अल्सर होने का दूसरा मुख्य कारण लंबे समय तक नॉन स्टेरोडल एंटी इनफ्लामेटरी मेडिसन जैसे एसप्रिन और ब्रूफेन आदि का सेवन करना भी है। पेप्टिक अल्सर की बीमारी उन लोगों में ज्यादा पाई जाती है जो दर्दनाशक दवाओं का इस्तेमाल ज्यादा करते हैं।
यदि आपको पेप्टिक अल्सर से संबंधित कोई लक्षण है तो तुरंत चिकित्सक से संपर्क करें। अल्सर के उपचार में लापरवाही न करें यह आपके लिए खतरनाक साबित हो सकता है।