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हड्डियों और जोड़ों की समस्या में कैसे किया जाता है ऑर्थोग्राम टेस्ट, डॉक्टर से जानें

जोड़ों की समस्याओं की जांच के लिए आर्थ्रोग्राम टेस्ट किया जाता है। इस लेख में आगे जानते हैं कि आर्थ्रोग्राम टेस्ट कैसे किया जाता है।
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हड्डियों और जोड़ों की समस्या में कैसे किया जाता है ऑर्थोग्राम टेस्ट, डॉक्टर से जानें


How To Do Arthrogram Test: उम्र के साथ जोड़ों में दर्द होना शुरु हो जाता है। इसके साथ ही, जोड़ों के ज्यादा इस्तेमाल (ओवर यूज) करने पर भी कई तरह की समस्याएं शुरु हो सकती है। जोड़ों की जटिल समस्याओं की पहचान के लिए आर्थ्रोग्राम टेस्ट की मदद ली जाती है। आर्थ्रोग्राम टेस्ट एक विशेष प्रकार की मेडिकल इमेजिंग प्रक्रिया है जिसका उपयोग जोड़ों की बनावट और समस्याओं की जांच के लिए किया जाता है। यह टेस्ट उन स्थितियों की पहचान करने में मदद करता है जिन्हें आमतौर पर नियमित एक्स-रे, एमआरआई, या सीटी स्कैन से नहीं देखा जा सकता है। इस लेख में वेव क्योर सेंटर के ऑर्थोपैडिक सर्जन डॉक्टर अंकित पाठक से जानते हैं कि आर्थ्रोग्राम टेस्ट कैसे किया जाता है। 

आर्थ्रोग्राम टेस्ट क्या है? - What is Arthrogram Test In Hindi 

आर्थ्रोग्राम (आर्थ्रोग्राफी) एक प्रकार का इमेजिंग टेस्ट है जो मुख्य रूप से जोड़ों की समस्याओं का निदान करने के लिए उपयोग किया जाता है। इस प्रक्रिया में एक विशेष प्रकार के कंट्रास्ट डाई (रंगीन पदार्थ) का उपयोग किया जाता है, जिसे सीधे जोड़ों के अंदर इंजेक्ट किया जाता है। इस डाई की मदद से जोड़ों की बनावट स्पष्ट रूप से दिखाई देती है, जिससे डॉक्टरों को किसी भी प्रकार की असामान्यता या समस्या की पहचान करने में सहायता मिलती है।

arthrogram test in hindi

आर्थ्रोग्राम टेस्ट की आवश्यकता कब होती है?

आर्थ्रोग्राम टेस्ट तब किया जाता है जब मरीज को जोड़ों में दर्द, सूजन, या किसी प्रकार की असामान्यता हो, और अन्य इमेजिंग टेस्ट से इसका कारण स्पष्ट न हो सके। कुछ सामान्य स्थितियां जिनमें आर्थ्रोग्राम टेस्ट की आवश्यकता होती है, उनमें शामिल हैं-

  • कंधे की समस्याएं: जैसे कि रोटेटर कफ की चोट या कंधे की डिसलोकेशन।
  • घुटने की समस्याएं: जैसे कि मिनिस्कस की चोट या लिगामेंट की समस्या।
  • कूल्हे की समस्याएं: जैसे कि हिप लेब्रम की चोट।
  • कलाई या टखने की समस्याएं: जैसे कि कार्टिलेज की असामान्यता।

आर्थ्रोग्राम टेस्ट कैसे किया जाता है?

आर्थ्रोग्राम टेस्ट करने की प्रक्रिया को कई चरणों से गुजरती है। इसके बारे में आगे जानते हैं। 

आर्थ्रोग्राम टेस्ट से पूर्व की तैयारी

  • मरीज को टेस्ट से पहले अपनी स्वास्थ्य स्थिति के बारे में डॉक्टर को सूचित करना चाहिए, जैसे कि किसी भी प्रकार की एलर्जी, प्रेग्नेंसी, या किसी अन्य मेडिकल कंडीशन के बारे में।
  • टेस्ट से पहले खाने-पीने या दवाइयों के सेवन के बारे में डॉक्टर से सलाह लें। कुछ मामलों में, डॉक्टर आपको टेस्ट से पहले कुछ समय के लिए खाना न खाने की सलाह दे सकते हैं।

कंट्रास्ट डाई का इंजेक्शन

  • प्रक्रिया के दौरान, मरीज को उस जगह पर ले जाया जाता है जहां टेस्ट किया जाएगा।
  • पहले, इंजेक्शन की जगह को साफ किया जाता है और उसे सुन्न (नंब) करने के लिए लोकल एनेस्थेटिक दिया जाता है।
  • इसके बाद, डॉक्टर एक पतली सुई का उपयोग करके कंट्रास्ट डाई को सीधे जोड़ों के अंदर इंजेक्ट करते हैं। इस दौरान मरीज को हल्का दर्द या असुविधा हो सकती है, लेकिन यह प्रक्रिया जल्द ही समाप्त हो जाती है।

इमेजिंग टेस्ट

  • कंट्रास्ट डाई के इंजेक्शन के बाद, मरीज को एक्स-रे, एमआरआई, या सीटी स्कैन के लिए भेजा जाता है। इस प्रक्रिया में विभिन्न एंगल से जोड़ों की तस्वीरें ली जाती हैं, जो डॉक्टरों को समस्या का स्पष्ट आकलन करने में मदद करती हैं।
  • कभी-कभी डॉक्टर को एक से अधिक प्रकार के इमेजिंग टेस्ट करने की आवश्यकता हो सकती है, ताकि समस्या का सही पहचान हो सके।

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आर्थ्रोग्राम टेस्ट एक महत्वपूर्ण चिकित्सा प्रक्रिया है जो जोड़ों की समस्याओं का सटीक पहचान करने में सहायता करती है। यह प्रक्रिया, हालांकि थोड़ी असुविधाजनक हो सकती है, लेकिन यह मरीज के लिए अत्यधिक फायदेमंद होती है, क्योंकि इससे सही और सटीक उपचार संभव हो पाता है। यदि आपका डॉक्टर आपको आर्थ्रोग्राम टेस्ट कराने की सलाह देता है, तो यह महत्वपूर्ण है कि आप इसके बारे में पूरी जानकारी प्राप्त करें और सभी आवश्यक सावधानियों का पालन करें। 

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