बुखार या कमजोरी में अक्सर आपको सांस लेने में परेशानी होती है। बीते कुछ वर्षों पहले कोविड ने देश के करोड़ों लोगों के फेफड़ों पर हमला किया था। जिसका प्रभाव थोड़ा बहुत आज भी देखने को मिलता है। अगर आपको भी सांस लेने में समस्या हो रही है तो ऐसे में आप फेफड़ों की जांच के लिए स्पाइरोमेट्री टेस्ट कर सकते हैं। दरअसल, शरीर के अंगों को ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है और यह ऑक्सीजन फेफड़ों के द्वारा खून से शरीर से अंगों तक पहुंचती है। सेहतमंद रहने के लिए श्वसन तंत्र और फेफड़ों के कार्यों की जांच करना बेहद जरूरी होता है। आगे आपको फेफड़ों की कार्यक्षमता की जांच के लिए स्पाइरोमेट्री टेस्ट के फायदे बताए गए हैं। मैयो क्लीनिक के अनुसार फेफड़ों की जांच के लिए आप स्पाइरोमेट्री टेस्ट कर सकते हैं। आगे धर्मशिला नारायणा अस्पताल के पल्मोनोलॉजी व सिनियर कंसल्टेंट डॉ. नवनीत सूद जानते हैं स्पाइरोमेट्री टेस्ट करने का तरीका।
स्पाइरोमेट्री टेस्ट क्यों किया जाता है? - Why Spirometer Test Done In Hindi
स्पाइरोमेट्री टेस्ट फेफड़ों की कार्यक्षमता को बताता है। साथ ही, यह निर्धारित करता है कि आपके फेफड़े सही तरह से कार्य कर रहे हैं या नहीं। इसके अलावा, फेफड़ों से जुड़ी बीमारियों में भी मरीजों का स्पाइरोमेट्री टेस्ट किया जा सकता है। आगे जानते हैं किन बीमारियों में यह टेस्ट कर सकते हैं।
- दमा/ अस्थमा
- क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी)
- सिस्टिक फाइब्रोसिस
- प्लमनरी फाइब्रोसिस
- सीने में जकड़न, दर्द या दबाव
- खांसी, विशेषकर बलगम वाली खांसी
- गहरी सांस लेने में कठिनाई होना
- सांस की तकलीफ (डिस्पेनिया)
- घरघराहट (wheezing)
- फेफड़ों में होने वाले बदलावों को पहचानने के लिए
- फेफड़ों की बीमारियों के प्रारंभिक परिवर्तनों को पहचानें।
- वायुमार्ग के सिकुड़न का पता लगाएं।
- सर्जरी कराने से पहले श्वसन संबंधी जटिलताओं का जोखिम पता लगाने के लिए टेस्ट कर सकते हैं।
स्पाइरोमेट्री टेस्ट कैसे किया जाता है? What is Process Of Spirometer Test In Hindi
स्पाइरोमेट्री प्रक्रिया में मरीज को स्पाइरोमेट्री से जुड़े माउथपीस में सांस लेनी होती है। टेस्ट के दौरान, रोगी को फेफड़ों के विभिन्न स्तरों को मापने के लिए विशिष्ट श्वास क्रियाएं करने का निर्देश दिया जाता है। जिसे आगे बताया गया है।
- फोर्स्ड वाइटल कैपेसिटी (एफवीसी): मरीज गहरी सांस लेता है और फिर स्पाइरोमेट्री में जोर से और पूरी तरह से सांस छोड़ता है। यह मापता है कि एक व्यक्ति अधिकतम सांस लेने के बाद अपने फेफड़ों से हवा की अधिकतम मात्रा को बाहर निकाल सकता है।
- फोर्स्ड एक्सपिरेटरी वॉल्यूम 1 सेकंड (FEV1): यह टेस्ट उस हवा की मात्रा को मापता है जिसे व्यक्ति गहरी सांस लेने के बाद पहले सेकंड में बलपूर्वक बाहर निकाल सकता है। यह वायुमार्ग अवरोध की दर के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करता है।
- पीक एक्सपिरेटरी फ्लो (पीईएफ): यह उस अधिकतम गति को मापता है, जिस पर कोई व्यक्ति हवा छोड़ सकता है, जिससे वायुमार्ग के माध्यम से वायु प्रवाह का पता चलता है।
- फोर्स्ड एक्सपीरेटरी फ्लो 25-75% (एफईएफ 25-75%): यह टेस्ट एफवीसी के मध्य भाग के दौरान औसत प्रवाह दर का आकलन करता है, फेफड़ों के छोटे वायुमार्गों में वायु प्रवाह के बारे में अतिरिक्त जानकारी प्रदान करता है।
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रेस्पिरेटरी संबंधी डिसऑर्डर को समझने के लिए डॉक्टर स्पाइरोमेट्री टेस्ट करने की सलाह दे सकते हैं। इससे फेफड़ों से जुड़े रोगों की गंभीरता का पता चलता है और रोग को समय रहते ठीक किया जा सकता है।