How Rise In Pollution Affects Smokers In Hindi: प्रदूषण का असर हर व्यक्ति पर पड़ता है। फिर चाहे वह स्वस्थ ही क्यों न हो। इसी तरह, धूम्रपान करने वाले भी प्रदूषण की मार से बच नहीं पाते हैं। प्रदूषण के बढ़ते स्तर का धूम्रपान करने वालों पर बहुत गहरा असर पड़ता है, क्यांकि उनकी बॉडी धुएं के प्रति ज्यादा सेंसिटिव होती है। दरअसल, इसकी वजह है कि धूम्रपान करने वालों के लंग्स पहले से ही कमजोर होते हैं। प्रदूषित हवा के संपर्क में आने के कारण उनके लंग्स को और ज्यादा नुकसान होने लगता है। इस लेख में हम आपको बता रहे हैं कि प्रदूषण में वृद्धि के कारण धूम्रपान करने वालों पर इसका क्या असर पड़ता है? इस बारे में हमने नोएडा स्थित न्यूबर्ग डायग्नोस्टिक्स के लैब प्रमुख डॉ. विज्ञान मिश्रा से विस्तार से बात की।
सांस से जुड़ी परेशानी बढ़ जाती है- Increased Respiratory Issues
प्रदूषण का स्तर बढ़ने की वजह से धूम्रपान करने वालों को क्रोनिक ब्रोंकाइटिस और अस्थमा जैसी गंभीर सांस से जुड़ी परेशानियां हो सकती हैं। अगर इसके प्रभाव को कम न किया जाए या धूम्रपान करने वाले स्मोकिंग करना कम न करे, तो यह जानलेवा भी हो सकता है।
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लंग्स इफेक्टेड होते हैं- Worsening Lung Function
प्रदूषण, विशेष रूप से सूक्ष्म कण यानी पर्टिक्युलेट मैटर (पीएम2.5), धूम्रपान करने वालों में लंग्स की कार्यक्षमता को खराब कर सकते हैं। नतीजतन व्यक्ति को सांस लेने में दिक्कतें आ सकती हैं।
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इंफेक्शन का खतरा- Higher Risk of Infections
प्रदूषण की वजह से इम्यूनिटी कमजोर हो जाती है। इस वजह से धूम्रपान करने वालों को निमोनिया और ब्रोंकाइटिस जैसी बीमारियां हो सकती हैं। ऐसे लोगों के लंग्स भी कमजोर होते हैं, जो बीमारियों से लड़ने में सक्षम नहीं होते हैं।
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हृदय से जुड़ी बीमारियों का रिस्क- Exacerbated Cardiovascular Risk
वायु प्रदूषण यानी पल्यूशन की वजह से कई अन्य स्वास्थ्य समस्याएं भी बढ़ जाती हैं। वहीं, अगर कोई धूम्रपान भी करता हे, तो इस वजह से हार्ट से जुड़ी बीमारियों का रिस्क बढ़ जाता है। यहां तक कि स्ट्रोक का रिस्क भी बढ़ जाता है।
लंग हेल्थ चेक के लिए कराएं टेस्ट- Monitor Your Lung health
इस बढ़ते प्रदूषण और धूम्रपान करने के कारण लोगों को लंग्स सही तरह से काम कर रहे हैं या नहीं, इस संबंध में कुछ जरूरी टेस्ट करवाने चाहिए-
- स्पिरोमेट्री (Spirometry): यह एक सामान्य लंग्स फंक्शन टेस्ट है। इससे पता चलता है कि आप कितनी हवा अंदर ले सकते हैं और छोड़ सकते हैं, जिससे क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) जैसी स्थितियों का पता लगाने में मदद मिलती है।
- छाती का एक्स-रे (Chest X-ray): एक्स-रे की मदद से लंग्स की एक इमेज मिलती है, जिससे लंग्स से जुड़ी बीमारियों, इंफेक्शन और ट्यूमर का पता चलता है।
- सीटी स्कैन (CT scan): कंप्यूटेड टोमोग्राफी स्कैन लंग्स की डिटेल्ड इमेज प्रदान करता है। इसेस लंग्स के कैंसर के शुरुआती लक्षणों का पता चलता है।
- आर्टेरियल ब्लड गैस टेस्ट (Arterial Blood Gas Test): यह टेस्ट ब्लड में ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड के स्तर का आकलन करता है, जिससे सांस और मेटाबॉलिज्म से जुड़ी समस्यओं का निदान करने में मदद मिलती है।
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