रेडॉन एक रेडियो ऐक्टिव गैस है। ये उत्कृष्ट गैसों (Noble gases) के नाम से भी प्रसिद्ध हैं। जोकि रंगहीन, गंधहीन तथा स्वादहीन होती हैं। स्थिर दाब और स्थिर आयतन पर इन गैसों की विशिष्ट उष्मा का अनुपात 1.67 के बराबर होता है जिससे पता चलता है कि ये सब एक-परमाणुक गैसें हैं। इस प्रकार की गैसें रासायनिक क्रियाओं में भाग नही लेती हैं। यह आमतौर पानी, मिट्टी, चट्टानों और कुछ बिल्डिंग मैटेरियल में पाई जाती है। हालांकि आउटडोर में यह बहुत कम मात्रा में पाई जाती है।
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घर में मौजूद है रेडॉन ?
आमतौर पर घर की दीवारों, छत और नींव से रेडॉन गैस निकलती है। इसके अलावा बिल्डिंग मैटेरियल से भी ये गैस निकलती है। उन घरों में रेडॉन का खतरा ज्यादा होता है जिनमें वेंटिलेशन कम होता है। जिन घरों के निर्माण में प्रयोग की गई मिट्टी में यूरेनियम, थोरियम और रेडियम अधिक मात्रा में होते हैं उनमें भी रेडॉन गैस स्रावित होती है। इनकी मौजूदगी ज्यादातर बेसमेंट और फर्स्ट फ्लोर पर होती है क्योंकि ऐसी जगह पर वेंटिलेशन कम या फिर नही होता है।
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सेहत को कैसे हानि पहुंचाती है रेडॉन
रेडॉन गैस वातावरण में मौजूद होती है, जिसे सांस लेने के दौरान थोड़ी मात्रा में हर कोई ग्रहण करता है। जो लोग इस गैस को अत्यधिक मात्रा में ग्रहण करते हैं उनमें फेफड़े के कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। सांस लेने के साथ जब रेडॉन शरीर के अंदर जाती है तो यह फेफड़े की कोशिकाओं को कमजोर करती है। लंबे समय तक रेडॉन गैस के संपर्क में रहने पर फैफड़े का कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है। इसके साथ ही वयस्कों और बच्चों में ल्यूकेमिया का भी खतरा बढ़ जाता है, हालांकि इसका कोई निर्णायक प्रमाण नही मिलता है।
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फेफड़े के कैंसर का दूसरा सबसे बड़ा कारण
स्मोकिंग या प्रदूषित धुंए को आमतौर पर फेफड़े का कैंसर होने का कारण सबसे प्रमुख कारण माना जाता है। वैसे तो इस बीमारी का रेडॉन से ताल्लुक काफी कम है लेकिन रेडॉन इसका दूसरा सबसे बड़ा कारण माना गया है। एक अध्ययन के मुताबिक, फेफड़े के कैंसर से होने वाली मौतों पर एक नजर डाली जाए तो अमेरिका में इससे हर साल 15 से 22 हजार लोगों की मौत रेडॉन गैस के कारण होने वाले फेफड़े के कैंसर से होती है।
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