मोटापा कम करने में सहायक हैं प्रोबायोटिक पदार्थ

प्रोबायोटिक पदार्थ कैसे मोटापा कम करने में सहायक हैं। जी हां एक अध्ययन में कहा गया है कि जीवित कीटाणुयुक्त पूरक खाद्य पदार्थों (प्रोबायोटिक) से मोटापा कम किया जा सकता है।
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मोटापा कम करने में सहायक हैं प्रोबायोटिक पदार्थ


मोटापा एक गंभीर बीमारी का रूप ले चुका है। तेजी से बदलती जीवनशैली और आहार की पसंद को लेकर आ रहे बदलावों के चलते मोटापा हमारे जीवन में पैर पसार चुका है। इस मोटापे से निजात पाने के लिए हम कई बार गंभीर प्रयास करते हैं। लेकिन, कई बार इसके परिणाम सकारात्मक नहीं आते। लेकिन, एक ताजा अध्ययन इस दिशा में आशा की किरण लेकर आया है। एक नए अध्ययन में कहा गया है कि जीवित कीटाणुयुक्त पूरक खाद्य पदार्थों (प्रोबायोटिक) से मोटापा कम किया जा सकता है। चलिये विस्तार से जानें -

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क्या होते हैं प्रोबायोटिक

प्रोबायोटिक हमारी आंत में रहने वाले मित्र बैक्टीरिया होते हैं, जोकि स्वास्थ्य के लिये फायदेमंद होते हैं। ये बैक्टीरिया भोजन को पचाने, कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने, पोषक तत्वों को सोखने तथा रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में सहायक होते हैं। प्रोबायोटिक को अच्छा बैक्टीरिया भी कहा जाता है। अगर गलत भोजन करने या फिर एंटिबायोटिक के इस्तेमाल के कारण शरीर में ज्यादा खराब बैक्टीरिया प्रवेश कर जाते हैं तो संतुलन बिगड़ने से पूरा शरीर प्रभावित होता है। ऐसा माना जाता है कि रोग प्रतिरोधक क्षमता आंतों में होती है। अगर आंतें ठीक हों तो हमारे शरीर को रोगों से लड़ने में आसानी होती है।

 

 

एक नए अध्ययन में कहा गया है कि जीवित कीटाणुयुक्त पूरक खाद्य पदार्थों (प्रोबायोटिक) से मोटापा कम किया जा सकता है। ‘लाइवसाइंस’ पत्रिका के अनुसार कनाडा के मैनिटोबा विश्वविद्यालय स्थित अनुसंधानकर्ताओं ने पता लगाया है कि ऐसे प्रोबायोटिक पदार्थ वसा को इकट्ठा होने से रोकते हैं। इससे मोटापा करने में मदद मिलती है।

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मुख्य अनुसंधानकर्ता पीटर जोन्स ने कहा कि आम तौर पर हम सारे आहार को खपा लेते हैं, लेकिन प्रोबायोटिक अत्याधिक कैलोरी की खपत रोकते हैं और उसे मल के रास्ते बाहर निकालने में मदद करते हैं।

 

प्रोबायोटिक का उपयोग मूत्र नली और यौनांगों में होने वाले संक्रमणों को ठीक करने में किया जा सकता है। प्रोबायोटिक पर किये गये अध्ययनों से पता चला है कि यह कोलोरेक्टल कैंसर और स्तन कैंसर में भी फादेमंद होते हैं। इसके अलावा बैक्टीरिया के संतुलन से एलर्जी का खतरा भी काफी कम हो जाता है। लैक्टोबैसिलस रैम्नोसस और बिफिडोबैक्टीरिया दोनों एलर्जी कम करने में सहाक हैं।

 

 

Image Source - Getty Images

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