
अगर आप भी बढ़ते वजन या मोटापे का शिकार हो रहे हैं तो एक्सपर्ट से जानिए ये स्थिति कैसे आपके इम्यून सिस्टम को करता है कमजोर।
अक्सर आपने बढ़ने वजन और मोटापा के कारण लोगों को परेशान होते देखा होगा, ये सिर्फ आपके शरीर को खराब बनाने का काम नहीं करता। बल्कि बढ़ता वजन या मोटापा आपको कई बीमारियों के खतरे में धकेलने का काम भी करता है। कई लोग मोटापे के कारण कई गंभीर बीमारियों जैसे मधुमेह, हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, उच्च कोलेस्ट्रॉल, कैंसर और स्लीप एपनिया का शिकार होते हैं। जिसके बाद उन्हें लंबे वक्त तक उस स्थिति का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे ही मोटापा आपके इम्यून सिस्टम यानी प्रतिरक्षा प्रणाली को भी नुकसान पहुंचाता है। आप में से बहुत लोगों को ये जानकर हैरानी होगी कि मोटापा कैसे इम्यून सिस्टम को नुकसान पहुंचा सकता है या कमजोर बना सकता है। इस विषय पर उठ रहे सवालों के लिए हमने बात की हेल्दीफाई सॉल्यूशन के संस्थापक, होलिस्टिक एवं क्लीनिकल आहार विशेषज्ञ डॉक्टर शीनू संजीव से। जिन्होंने बताया कि कैसे मोटापा आपके इम्यूनिटी के लिए नुकसानदायक है, इसके कारण कौन-सी बीमारियों का खतरा बढ़ता है और मोटापे के दौरान कैसे अपने इम्यूनिटी को बढ़ाया जाए।
प्रतिरक्षा प्रणाली पर मोटापे का प्रभाव क्या है?
डॉक्टर शीनू संजीव बताती हैं कि मोटापा दुनियाभर में एक गंभीर समस्या बना हुआ है, ये एक प्रकार की महहामारी है जो एक पुरानी वसा वाले द्रव्यमान से जुड़ी पुरानी निम्न-श्रेणी की सूजन की विशेषता है। मोटापा पुरानी सूजन की स्थिति का कारण बनता है, और इसके कारण आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होने लगती है। ऐसे ही मोटापा कई दूसरी बीमारियों को न्योता देता है और मरीज को गंभीर स्थिति में धकेलने का काम करता है। इसके कारण लोग हृदय रोग और स्ट्रोक। मोटापा आपको उच्च रक्तचाप और असामान्य कोलेस्ट्रॉल के स्तर की अधिक संभावना रखता है, जो हृदय रोग और स्ट्रोक के जोखिम कारक हैं।
किन स्थितियों या बीमारियों का बढ़ता है खतरा
इन्फ्लुएंजा (फ्लू)
मोटापे के कारण आपके शरीर में सूजन बढ़ जाती है, यानी प्रो-इंफ्लामेटरी साइटोकिन्स के कारण बढ़ती सूजन के कारण किसी को भी फ्लू का खतरा बढ़ने लगता है। इसलिए ऐसा देखा जाता है कि जिन लोगों को वजन काफी ज्यादा होता है या फिर जो लोग मोटापे का शिकार होते हैं उन लोगों को अक्सर फ्लू का शिकार होना पड़ता है।
हृदय रोग
कई शोध में ये बात सामने आ गई है कि मोटापे के कारण हृदय रोग का खतरा बढ़ने लगता है, क्योंकि इस दौरान आपके शरीर में अतिरिक्त वसा की मदद से उत्पादित साइटोकिन्स होते हैं जो आपकी धमनियों की दीवारों पर सूजन पैदा करते हैं। इसके बाद आपकी धमनियों को धीरे-धीरे नुकसान होने लगती है।
मधुमेह
मधुमेह यानी डायबिटीज एक ऐसी स्थिति है जिसमें मरीज को लंब समय तक अपनी जीवनशैली में कई तरह के बदलाव करने होते हैं। हृदय रोग की तरह ही कई संबंधित कारक हैं जो टाइप-2 मधुमेह की शुरुआत को जन्म देते हैं। विशेषज्ञ बताते हैं कि मोटापा लंबे समय से मधुमेह के विकास से जुड़ा हुआ है।
इस तरह कई दूसरे रोग हैं जो मोटापे के कारण जल्दी आपको अपना शिकार बना सकते हैं, इम्यून सिस्टम के कमजोर होना आपकी सेहत के लिए एक नुकसानदायक कदम है। जिन लोगों का वजन बढ़ा हुआ होता है उन लोगों को हमेशा एक स्वस्थ जीवनशैली के साथ रहना चाहिए साथ ही अपनी डाइट को इस तरह से तैयार करना चाहिए जो उन्हें नुकसान न पहुंचाएं।
डॉक्टर शीनू बताती हैं कि मोटापे शरीर के आकार से नहीं बल्कि उच्च बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) के द्वारा परिभाषित किया गया है, जो आपके वजन के साथ आपकी ऊंचाई के संबंध को दिखाने का एक तरीका है। डॉक्टर शीनू के मुताबिक, अगर आपका बीएमआई 25 से ज्यादा होता है तो आप ज्यादा वजन वाले लोग में शामिल हो जाते हैं। वहीं, जब ये आंकड़ा 30 स ज्यादा हो तो आप मोटापे का शिकार खुद को समझ सकते हैं।
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मोटापा और इम्यूनिटी
डॉक्टर शीनू बताती हैं कि जो लोग मोटापे से प्रभावित हैं उन लोगों के प्रतिरक्षा की क्षमता भी कम हो सकती है। अध्ययनों में ये साबित हुआ है कि मोटापा व्यक्ति के इम्यून सिस्टम को भी दर्शाता है।
- साइटोकिन उत्पादन में कमी
- मोनोसाइट और लिम्फोसाइट कार्य में बदलाव।
- प्राकृतिक किलर सेल डिसफंक्शन।
- मैक्रोफेज और डेंड्रिटिक सेल के कार्य में कमी दिखना।
- माइटोजेन उत्तेजना में कमी।
- अतिरिक्त शरीर में वसा स्थायी रूप से ट्रिगर होने से आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर कर देती है।
- शरीर में वसा के कारण होने वाली सूजन।
वजन के लिए क्या है दिशानिर्देश
डॉक्टर शीनू के मुताबिक, पुरुषों के लिए लगभग 20 प्रतिशत शरीर की चर्बी से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। महिलाओं के लिए लगभग 28 प्रतिशत से कम रहने की कोशिश करनी चाहिए। इस दिशानिर्देश का पालन करने से आप मोटापे से बचे रह सकतेहैं और अमेरिकन कॉलेज ऑफ स्पोर्ट्स मेडिसिन और अमेरिकन काउंसिल ऑन एक्सरसाइज द्वारा निर्धारित सीमाओं से सहमत हैं।
कैसे अपनी इम्यूनिटी को मजबूत बनाएं
हेल्दी डाइट
डॉक्टर शीनू संजीव बताती हैं कि खुद को स्वस्थ रखने और किसी भी बीमारी से खुद को दूर रखने के लिए जरूरी है कि आप अपनी डाइट को बेहतर बनाएं। हेल्दी डाइट की मदद से आप अपनी इम्यूनिटी को भी मजबूत बना सकते हैं। स्वस्थ भोजन का मतलब है कि आप अपनी डाइट में भरपूर मात्रा में हरी सब्जियां, फल, फलियां, साबुत अनाज, प्रोटीन और हेल्दी फैट्स को शामिल करें।
विटामिन बी-6
विटामिन बी-6 भी आपको स्वस्थ रखने के साथ आपकी इम्यूनिटी को मजबूत बनाने के लिए काम करता है, इसकी पूर्ति के लिए आप अपनी डाइट में चिकन, सामन, केले, हरी सब्जियां और आलू को शामिल कर सकते हैं।
विटामिन सी
विटामिन सी आप में से ज्यादातर लोग जानते होंगे कि ये आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाने के साथ कई संक्रमणों से बचाने का काम करता है। विटामिन सी आपको कई फलों के जरिए मिल सकता है, जैसे: संतरे, कीवी, किन्नू, पपीता और स्ट्रॉबेरी, साथ ही शिमला मिर्च, आंवला, धनिया पत्ती, टमाटर, ब्रोकोली और पालक।
विटामिन ई
विटामिन ई न सिर्फ आपकी त्वचा के लिए अच्छा माना जाता है बल्कि ये आपको स्वस्थ रखने में भी काफी मददगार होता है। इसके लिए आप रोजाना अपनी डाइट में बादाम, सूरजमुखी और कुसुम तेल, सूरजमुखी के बीज, मूंगफली का मक्खन और पालक को शामिल कर सकते हैं। इन सभी चीजों में भारी मात्रा में विटामिन ई पाया जाता है।
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पानी
पानी आपके शरीर में कई महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जिसमें आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली का समर्थन भी शामिल है। ये आपके शरीर की गंदगी को निकालने के साथ आपको कई गंभीर बीमारियों या संक्रमण से लड़ने में मदद करता है।
एक्सरसाइज या फिजिकल एक्टिविटी
शारीरिक गतिविधि की मदद से आप अपनी प्रतिरक्षा प्रणाली में सधआर देख सकते हैं। आप कई गंभीर बीमारियों को एक्सरसाइज की मदद से दूर रख सकते हैं। इसके लिए आपको रोजाना 30 मिनट के मध्यम से जोरदार व्यायाम आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को उत्तेजित करने में मदद कर सकता है।
डीप ब्रीथिंग
डीप ब्रीथिंग यानी गहरी सांस, आपके हृदय स्वास्थ्य को बेहतर रखने के साथ आपके मानसिक स्वास्थ्य को भी स्वस्थ रखने का काम करती है। इतना ही नहीं जब आप रोजाना डीप ब्रीथिंग करते हैं तो इससे आप अपनी इम्यूनिटी को भी मजबूत बना रहे होते हैं।
(इस लेख में दी गई जानकारी हेल्दीफाई सॉल्यूशन के संस्थापक, होलिस्टिक एवं क्लीनिकल आहार विशेषज्ञ डॉक्टर शीनू संजीव से बातचीत पर निर्भर है)।
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