बचपन की यादों को ताजा करना (किडल्टिंग) मेंटल हेल्थ के लिए माना गया है अच्छा, जानें दोनों में संबंध

आजकल किडल्टिंग का नया ट्रेंड चल रहा है, जो न केवल आपके मन को शांति पहुंचाता है, बल्कि मनोदशा को भी बेहतर करता है।
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बचपन की यादों को ताजा करना (किडल्टिंग) मेंटल हेल्थ के लिए माना गया है अच्छा, जानें दोनों में संबंध


बचपन की यादों को हर कोई ताजा करना चाहता है। बड़े होने के बाद लोग आमतौर पर बचपन में की गई शरारतें और खेलों को याद करते हैं। ऐसी स्थिति को याद करके मन हल्का हो जाता है। क्या आप जानते हैं ऐसा करना मेंटल हेल्थ के लिए भी फायदेमंद होता है? आजकल किडल्टिंग का नया ट्रेंड चल रहा है, जो न केवल आपके मन को शांति पहुंचाता है, बल्कि मनोदशा को भी बेहतर करता है। 

क्या है किडल्टिंग? 

दरअसल, अपने बचपन या फिर बीते हुए कल को याद करके खुश होने को किडल्टिंग कहा जाता है। इसे आसान भाषा में समझें तो किडल्टिंग यानि अपने अंदर के बचपन या फिर बच्चे को बाहर निकालना होता है। बच्चों के साथ खेलना या फिर खुद को बच्चे की तरह ढ़ाल लेना भी किडल्टिंग होता है। ऐसा करके आपके मन को बेहद खुशी मिलती है। कोविड 19 के बाद से मेंटल हेल्थ को बेहतर रखने के लिए लोगों में इसका चलन काफी प्रचलित हुआ है। वेल एडं गुड की रिपोर्ट की मानें तो किडल्टिंग नॉस्टेल्जिया एक ऐसी प्रक्रिया है, जो बचपन की रचनात्मक यादों को ताजा कर इंसान के मूड को बेहतर करती है। 

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कैसे है मानसिक स्वास्थ्य के लिए बेहतर 

मनोवैज्ञानिकों के मुताबिक किडल्टिंग की प्रक्रिया बचपन को ताजा कर मूड को बेहतर बनाने के साथ ही आपको खुशी का एहसास दिलाती है, जिससे मेंटल हेल्थ बेहतर होती है। यह मेंटल हेल्थ के लिए एक थेरेपी की तरह काम करती है। क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट और जॉय फ्रॉम फीयर के लेखक के Carla Marie Manly, PhD के मुताबिक कोविड 19 के बाद से बहुत लोग इस प्रक्रिया से जुड़ रहे हैं और यह मनोदशा के बेहतर बनाने में काफी कारगर भी साबित हो रही है। 

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बच्चों की तरह मिलती हैं सुविधाएं 

किडल्टिंग के बढ़ते चलन के बीच आज के समय में ऐसी बहुत सी जगहें हैं. जिन्हें केवल व्यसकों के लिए ही रिजर्व करके रखा गया है ताकि लोग किडल्टिंग के जरिए अपने दैनिक तनाव और डिप्रेशन के लक्षणों को कम कर सकें। साथ ही मेंटल हेल्थ को भी बेहतर रख सकें। 

 

 

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