
Gender Inequality and Women's Health: लखनऊ के दुबग्गा क्षेत्र की निवासी अंजुम वाजिद जब एक सरकारी महिला अस्पताल में डिलीवरी के लिए भर्ती हुईं तो उन्हें अपने और अन्य महिलाओं के प्रति स्टॉफ और डॉक्टरों का रवैया पसंद नहीं आया। प्रेग्नेंसी जैसे नाजुक समय में हाइजीन न बरतने से इन्फेक्शन का खतरा बढ़ जाता है। ये जानते हुए भी स्टॉफ 2-2 हफ्ते तक बेड की चादर नहीं बदलते थे। न ही अस्पताल के टॉयलेट इतने साफ थे कि उसे इस्तेमाल किया जा सके। इस कारण अंजुम को अस्पताल में यूरिनरी इन्फेक्शन हो गया। ये केवल एक लापरवाही का नतीजा है, लेकिन ऐसे कई मामले हैं जिनमें महिलाओं के स्वास्थ्य को अहमियत नहीं दी जाती। इसका खामियाजा उन्हें कई बार अपनी जान जोखिम में डालकर उठाना पड़ता है।
8 मार्च को पूरे विश्व में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस (International Women Day) मनाया जाता है। ओनलीमायहेल्थ सभी महिलाओं के अच्छे स्वास्थ्य की कामना करता है। महिला दिवस के मौके पर आज हम आपको बताएंगे कि कैसे लैंगिक भेदभाव, महिलाओं के स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है। इस विषय पर बेहतर जानकारी के लिए हमने लखनऊ के क्वीनमेरी अस्पताल की पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ विनिता दास से बात की।
लैंगिक असमानता क्या है?
लिंग (सेक्स) एक बायोलॉजिकल फैक्ट है। ये शरीर की विशेषता पर आधारित होता है। वहीं लिंग (जेंडर) एक सामाजिक रचना है जो समाज के तौर-तरीकों पर आधारित होता है। जब समाज ये तय करता है कि महिलाओं को पुरुषों से नीचे होना चाहिए तब उसे लैंगिक असामनता का नाम दिया जाता है। इससे महिलाओं मन और शरीर पर बुरा असर पड़ सकता है। उनका स्वास्थ्य बुरी तरह प्रभावित होता है। आगे जानते हैं कैसे-
क्या लैंगिक असमानता से प्रभावित होता है महिलाओं का स्वास्थ्य?
लैंगिक असमानता का मतलब है जेंडर के आधार पर भेदभाव करना। इसका असर सेहत पर पड़ता है। ये कहना गलत नहीं होगा कि लैंगिक असमानता महिलाओं के न सिर्फ शारीरिक बल्कि मानसिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित करती है। महिलाएं, पितृसत्तात्मक समाज में रह रही हैं। परिवारों में पारंपरिक, सामाजिक रीति-रिवाज का असर महिलाओं के स्वास्थ्य पर पड़ता है। आपको सबसे ताजा उदाहरण बताएं, तो अफगानिस्तान में गर्भनिरोधक साधनों पर बैन लगा दिया गया है, इसका बुरा असर महिलाओं के प्रजनन स्वास्थ्य पर पड़ेगा। वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की ग्लोबल जेंडर गैप रिपोर्ट 2021 की मानें, तो 156 देशों में भारत 28 पायदान नीचे यानी 140वें स्थान पर आ गया है।
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महिलाओं के दर्द को कमतर आंकना
डॉ विनिता ने बताया कि महिलाएं दिनभर घर का काम करके थक जाती हैं। लेकिन उनके दर्द को कमतर आंकने की भूल ज्यादातर घरों में की जाती है। थकान और कमजोरी के कारण महिलाओं का मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित होता है। उनमें गुस्सा और चिड़चिड़ापन जैसे लक्षण नजर आने लगते हैं। लगातार काम करने के कारण होने वाली थकान आगे चलकर अर्थराइटिस, डायबिटीज, थायराइड, एनीमिया और स्लीप एप्निया जैसी बीमारियों में बदल जाती है।
मानसिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित करता है लैंगिक भेदभाव
महिलाओं में समाज की उम्मीदों को पूरा करने का दायित्व होता है। इसके कारण उनका मानसिक स्वास्थ्य पूरी तरह से बिगड़ जाता है। लखनऊ के झलकारीबाई अस्पताल की गाइनोकॉलोजिस्ट डॉ दीपा शर्मा से बताया कि ओपीडी में हर दिन 500 से 600 महिलाएं आती हैं। लेकिन इनमें से ज्यादातर किसी न किसी मानसिक समस्या का शिकार होती हैं। गर्भवती महिलाओं में हमें अवसाद, चिंता, डर, तनाव और डिप्रेशन के लक्षण देखने को मिलते हैं। प्रेग्नेंसी एक नाजुक दौर होता है। इस दौरान तनाव लेने से बीपी बढ़ जाता है। जब तक बीपी का स्तर नॉर्मल नहीं होता, डिलीवरी मुमकिन नहीं हो सकती।
मेडिकल जांच में देरी न करें महिलाएं
डॉ विनिता दास ने बताया कि बेशक घरों में भेदभाव के कारण महिलाओं का स्वास्थ्य प्रभावित होता है। कम उम्र में शादी, लड़का पैदा करने का दबाव, डिलीवरी के बाद आराम न मिलना आदि कई ऐसे फैक्टर हैं जिन्हें हम डॉक्टर होने के नाते महसूस करते हैं। लेकिन कई बार महिलाएं भी अपने स्वास्थ्य के प्रति लापरवाह हो जाती हैं। अस्पताल में कई ऐसे मामले आते हैं जिनमें महिलाओं को गंभीर एनीमिया होता है। इसका पता चलने में हुई देरी के कारण कई महिलाओं को जान भी गंवानी पड़ती है। डॉक्टर होने के नाते हम महिलाओं से यही कहेंगे कि स्वास्थ्य को गंभीरता से लें और समय रहते बीमारी की जांच करवाएं।
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स्वास्थ्य को कैसे बेहतर बनाएं?- Health Tips For Women
लैंगिक भेदभाव को इतनी जल्दी कम नहीं किया सकता। लेकिन महिलाएं अपने स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए कुछ जरूरी कदम उठा सकती हैं। डॉ विनिता दास ने बताया कि महिला होने के नाते आपको अपने स्वास्थ्य का ख्याल खुद ही रखना होगा। स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए-
- महिलाओं को अपने स्वास्थ्य के प्रति हर उम्र में सचेत रहना है। समय-समय पर मेडिकल जांच करवाएं।
- लक्षणों पर गौर करें। महिलाएं अपने शरीर में हो रहे बदलावों को नजरअंदाज कर देती हैं और समस्याएं बढ़ जाती हैं। इसलिए शरीर में नजर आने वाले असामान्य बदलावों पर गौर करें।
- अपने नाम हेल्थ बीमा लें, ये आपको किसी गंभीर स्थिति में काम आएगा जब आपको मेडिकल सुविधाओं की जरूरत होगी।
- अपनी डाइट पर ध्यान दें। दिन में कम से कम तीन बार पोषक तत्वों से भरपूर खाना खाएं।
- स्वस्थ्य रहने के लिए एक्सरसाइज को रूटीन में शामिल करें।
उम्मीद करते हैं आपको ये लेख पसंद आया होगा। महिला दिवस की ढेरों शुभकामनाएं। सेहत के प्रति ध्यान दें और स्वस्थ बनी रहें।