आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में पेट से जुड़ी समस्याएं आम होती जा रही हैं। उन्हीं में से एक है आईबीएस (इरिटेबल बाउल सिंड्रोम)। इसमें व्यक्ति को पेट दर्द, गैस, सूजन, दस्त या कब्ज जैसी समस्याएं बार-बार होती हैं। खास बात यह है कि इसका सीधा संबंध हमारे खानपान और लाइफस्टाइल से होता है। ऐसे में एक सवाल जो अक्सर लोगों के मन में आता है, वह यह है कि क्या कॉफी पीने से IBS की स्थिति और बिगड़ सकती है? दरअसल, कॉफी आज के समय में रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा बन गई है। कुछ लोगों के लिए यह एनर्जी बूस्टर है तो कुछ के लिए सुबह की आदत। लेकिन क्या IBS से परेशान लोगों को कॉफी से दूरी बना लेनी चाहिए? इस बारे में ज्यादा जानकारी के लिए हमने एशियन हॉस्पिटल में गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग के डायरेक्टर एंड एचओडी डॉक्टर अमित मिगलानी (Dr. Amit Miglani, Director and HOD, Department of Gastroenterology, Asian Hospital) से बात की-
IBS पर कॉफी का क्या प्रभाव पड़ता है? - How Does Coffee Affect IBS
कॉफी में कैफीन होता है, जो एक स्ट्रॉन्ग स्टिमुलेंट है। यह नर्वस सिस्टम के साथ-साथ पाचन तंत्र को भी उत्तेजित करता है। IBS से पीड़ित लोगों में कॉफी कई तरह से समस्या बढ़ा सकती है।
1. कैफीन से बढ़ती है आंतों की एक्टिविटी
कैफीन आंतों की मांसपेशियों को ज्यादा एक्टिव कर देता है जिससे कुछ लोगों में दस्त (diarrhea) की समस्या और बढ़ जाती है। लोगों के लिए यह बेहद परेशान करने वाली स्थिति बन सकती है।
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2. एसिडिटी और पेट में जलन
कॉफी एक एसिडिक पेय है, जिससे पेट में गैस, जलन और एसिड रिफ्लक्स की समस्या हो सकती है, जो IBS के लक्षणों को और भड़का सकती है।
3. तनाव और नींद पर असर
कॉफी में मौजूद कैफीन नींद में खलल और तनाव को बढ़ा सकता है, जो IBS के ट्रिगर फैक्टर्स माने जाते हैं। स्ट्रेस से IBS के लक्षण और भी ज्यादा बिगड़ सकते हैं।
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क्या डिकैफिनेटेड कॉफी बेहतर विकल्प है?
डिकैफिनेटेड कॉफी यानी बिना कैफीन वाली कॉफी, IBS मरीजों के लिए एक बेहतर विकल्प हो सकती है। हालांकि इसमें भी कुछ मात्रा में कैफीन होता है, लेकिन बहुत कम। फिर भी, कुछ लोगों को डिकैफ कॉफी से भी गैस या सूजन की शिकायत हो सकती है, इसलिए यह व्यक्तिगत अनुभव पर निर्भर करता है।
क्या सभी IBS मरीजों को कॉफी छोड़नी चाहिए?
जरूरी नहीं कि हर IBS मरीज को कॉफी पूरी तरह छोड़नी पड़े। कुछ लोगों को सीमित मात्रा में कॉफी पीने से कोई समस्या नहीं होती, लेकिन दूसरों के लिए यह ट्रिगर बन सकती है। यदि आपको यह समझना है कि कॉफी आपके लिए सही है या नहीं, तो आप एलिमिनेशन डाइट आजमा सकते हैं, कुछ हफ्तों तक कॉफी बंद करें और देखें कि लक्षणों में फर्क आता है या नहीं।
आईबीएस होने पर क्या पीना चाहिए?
अगर आप कॉफी से दूरी बनाना चाहते हैं लेकिन सुबह की एक गर्म ड्रिंक की आदत छोड़ना मुश्किल है, तो ये विकल्प आपके लिए बेहतर हो सकते हैं।
1. सौंफ की चाय - गैस और ऐंठन को कम करने में मददगार
2. अदरक की चाय - पाचन सुधारने और सूजन कम करने के लिए
3. पुदीने की चाय - IBS की मांसपेशियों को रिलैक्स करने में सहायक
4. कैमोमाइल टी - स्ट्रेस को कम करने और नींद सुधारने के लिए
निष्कर्ष
कॉफी से परहेज IBS के लिए जरूरी हो सकता है, लेकिन यह पूरी तरह व्यक्ति-विशेष पर निर्भर करता है। यदि आप IBS से परेशान हैं, तो कॉफी को कुछ समय के लिए छोड़कर देखें कि आपकी स्थिति में सुधार होता है या नहीं। यदि हां, तो धीरे-धीरे उसे सीमित करें या हर्बल विकल्पों पर शिफ्ट करें।
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FAQ
IBS का मुख्य कारण क्या है?
IBS (इरिटेबल बाउल सिंड्रोम) का मुख्य कारण अब तक पूरी तरह स्पष्ट नहीं है। इसके मुख्य कारणों में आंतों की मांसपेशियों की असामान्य गति, पाचन तंत्र में सूजन, आंतों की संवेदनशीलता, तनाव और चिंता और असंतुलित खानपान शामिल हैं। कुछ मामलों में हार्मोनल बदलाव और गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल इंफेक्शन के बाद भी IBS हो सकता है। साथ ही, फाइबर की कमी या कुछ विशेष फूड्स की संवेदनशीलता भी लक्षणों को बढ़ा सकती है।आईबीएस में क्या नहीं खाना चाहिए?
IBS से पीड़ित लोगों को कुछ खास प्रकार के फूड्स से बचना चाहिए जो लक्षणों को बढ़ा सकते हैं। जैसे कि ज्यादा मसालेदार भोजन, तली-भुनी चीजें, कैफीन युक्त ड्रिंक्स, दूध और डेयरी प्रोडक्ट्स, मैदा और प्रोसेस्ड फूड, मसूर और चना जैसी गैस बनाने वाली दालें और शराब। IBS में हल्का, फाइबर-संतुलित और पचने में आसान आहार लेना फायदेमंद होता है।आईबीएस बीमारी क्या है?
इरिटेबल बाउल सिंड्रोम एक क्रॉनिक गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल विकार है, जिसमें व्यक्ति को बार-बार पेट दर्द, गैस, दस्त या कब्ज की समस्या होती है। यह रोग आंतों की क्रियाशीलता से जुड़ा होता है और इसका सीधा संबंध तनाव, अनियमित खानपान और लाइफस्टाइल से होता है। यह पूरी तरह ठीक नहीं होता लेकिन सही खानपान, तनाव मैनेजमेंट से इसके लक्षणों को काफी हद तक कंट्रोल किया जा सकता है।