बॉडी में दूसरा सबसे बड़ा अंग माना जाने वाला अंग लीवर है। बदलते खान-पान के स्टाइल ने फैटी लीवर रोग के मरीज़ों में वृद्धि कर दी है। लीवर अगर ठीक से काम ना करे तो शरीर की अन्य क्रियायों पर इसका प्रभाव पड़ता है। हालांकि यूरोपियन एसोसिएशन फॉर द स्टडी ऑफ द लिवर की एक शोध के मुताबिक डायबिटीज़ की चिकित्सा में उपयोग होने वाली विशिष्ट दवा का खास सेवन लीवर की सेहत को सुधार सकता है।
इस बारें में वैज्ञानिकों ने पाया है कि नॉन-एल्कोहलिक फैटी लीवर डिसीस (एनएएफएलडी) टाइप 2 डायबिटीज़ में उपयोग होने वाली चिकित्सा लीवर में शर्करा नियंत्रण और वसीय कोशिकाओं (एडिपोस) से संबंधित है।एनएएफएलडी एक ऐसी स्थिति है, जिसमें लीवर में वसा का निर्माण होने लगता है। ऐसे में वसा का यह जमाव लीवर में सूजन का कारण होता है। इस वजह से सिरहोसिस रोग होने की आशंका होती है। शोध के निष्कर्षों से पता चला है कि एक्सेनेटाइड चिकित्सा शर्करा के अवशोषण को बढ़ाती है और लीवर तथा एडिपोस टीशू में इंसुलिन प्रतिरोध को कम करती है।
एक्सेनेटाइड एक प्रकार की चिकित्सा है, जो अग्न्याशय (पैनक्रियास) को लक्षित कर शर्करा के अवशोषण को बेहतर करती है। इससे जुड़े टॉम हेमिंग कार्लसन के अनुसार यह दिलचस्प अध्ययन दुनिया भर के एनएलएफएलडी पीड़तों के लिए अधिक निष्कर्षों की खोज करने की प्रेरणा देता है।
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