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मां के दूध की मात्रा पर असर डालते हैं ये 5 हार्मोन, डॉक्टर से जानें

स्तनपान न केवल शिशु के पोषण के लिए जरूरी है, बल्कि यह मां-बच्चे के बीच के संबंध को भी मजबूत करता है। यहां जानिए, मिल्क प्रोडक्शन पर कौन से हार्मोन असर डालते हैं?
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मां के दूध की मात्रा पर असर डालते हैं ये 5 हार्मोन, डॉक्टर से जानें

शिशु के जन्म के बाद उसके पोषण और विकास के लिए मां का दूध सबसे जरूरी होता है, यह न केवल बच्चे की इम्यूनिटी को मजबूत करता है, बल्कि उसके संपूर्ण शारीरिक और मानसिक विकास में भी सहायक होता है। लेकिन कई महिलाओं को स्तनपान के दौरान दूध उत्पादन यानी मिल्क प्रोडक्शन से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। कुछ मामलों में दूध की मात्रा कम हो जाती है, जिससे शिशु को पर्याप्त पोषण नहीं मिल पाता। इस लेख में लखनऊ के मा-सी केयर क्लीनिक की आयुर्वेदिक डॉक्टर और स्तनपान सलाहकार डॉ. तनिमा सिंघल (Dr. Tanima Singhal, Pregnancy educator and Lactation Consultant at Maa-Si Care Clinic, Lucknow) से जानिए, मिल्क प्रोडक्शन पर कौन से हार्मोन असर डालते हैं?

मिल्क प्रोडक्शन पर कौन से हार्मोन असर डालते हैं? - What Hormones Affect Milk Production

1. प्रोलैक्टिन - Prolactin - दूध उत्पादन बढ़ाने वाला हार्मोन

प्रोलैक्टिन हार्मोन ब्रेस्ट मिल्क प्रोडक्शन के लिए सबसे जरूरी हार्मोन है। यह हार्मोन महिला के शरीर में दूध उत्पादन की प्रक्रिया को एक्टिव करता है। जब बच्चा स्तनपान करता है, तो यह हार्मोन शरीर में अधिक मात्रा में उत्पन्न होता है, जिससे मिल्क प्रोडक्शन बढ़ता है। लैक्टिन के लेवल में बढ़ोतरी से मां के शरीर में दूध की आपूर्ति का स्तर बढ़ता है। इसका स्तर जन्म के बाद तुरंत बढ़ जाता है और यह स्तनपान की प्रक्रिया में बहुत मदद करता है। यदि प्रोलैक्टिन का स्तर सही रहता है, तो दूध उत्पादन नियमित रूप से होता है।

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2. ऑक्सीटोसिन - Oxytocin) - दूध के फ्लो में मदद करने वाला हार्मोन

ऑक्सीटोसिन हार्मोन का मुख्य काम दूध के फ्लो को बढ़ाना है। जब शिशु दूध चूसता है, तो ऑक्सीटोसिन का लेवल बढ़ता है और दूध को स्तन से बाहर लाने में मदद करता है। ऑक्सीटोसिन का सही स्तर होना जरूरी है। ऐसा इसलिए, क्योंकि यह शिशु को दूध चूसने में मदद करता है और मां को भी अच्छा अनुभव प्रदान करता है। यह हार्मोन न केवल दूध उत्पादन में मदद करता है, बल्कि मां के शरीर को आराम और संतोष का अनुभव भी कराता है।

What Hormones Affect Milk Production

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3. एस्ट्रोजन - Estrogen - दूध प्रोडक्शन पर प्रभाव डालने वाला हार्मोन

एस्ट्रोजन हार्मोन का लेवल गर्भावस्था के दौरान बढ़ता है, लेकिन इसका हाई लेवल स्तनपान की प्रक्रिया को बाधित कर सकता है। गर्भावस्था के दौरान एस्ट्रोजन का लेवल बढ़ता है, लेकिन जब स्तनपान की प्रक्रिया शुरू होती है, तो इस हार्मोन का स्तर कम होता है। एस्ट्रोजन का हाई लेवल दूध उत्पादन को कम कर सकता है और यह अक्सर उन महिलाओं में देखा जाता है जो गर्भनिरोधक गोलियों का उपयोग करती हैं। यदि एस्ट्रोजन का लेवल कंट्रोल नहीं होता है, तो दूध की आपूर्ति में कमी हो सकती है।

4. कोर्टिसोल - Cortisol - तनाव हार्मोन जो दूध प्रोडक्शन को प्रभावित करता है

कोर्टिसोल एक तनाव हार्मोन है, जो शरीर में तनाव के कारण उत्पन्न होता है। जब मां तनाव महसूस करती है, तो कोर्टिसोल का स्तर बढ़ जाता है, जिससे दूध उत्पादन में रुकावट आ सकती है। ज्यादा कोर्टिसोल का स्तर ब्रेस्ट मिल्क उत्पादन को प्रभावित कर सकता है और दूध की आपूर्ति में कमी ला सकता है। इसलिए तनाव से बचना और शांति बनाए रखना स्तनपान के लिए बहुत जरूरी है। अगर मां अधिक तनाव महसूस करती है, तो उसे आराम करने और सही मानसिक स्थिति में रहने की जरूरत होती है।

5. इंसुलिन - Insulin - दूध उत्पादन पर असंतुलन का प्रभाव

इंसुलिन हार्मोन शरीर में शर्करा (ग्लूकोज) के लेवल को कंट्रोल करता है, लेकिन इसका असंतुलन दूध प्रोडक्शन को प्रभावित कर सकता है। यदि इंसुलिन का स्तर असंतुलित होता है, जैसे कि डायबिटीज के मरीजों में, तो इससे दूध प्रोडक्शन पर असर पड़ सकता है। हाई या लो इंसुलिन लेवल के कारण मां के शरीर में दूध की कमी हो सकती है।

निष्कर्ष

ब्रेस्ट मिल्क प्रोडक्शन को प्रभावित करने वाले इन पांच हार्मोन का सही संतुलन बेहद जरूरी है। प्रोलैक्टिन और ऑक्सीटोसिन जैसे हार्मोन दूध उत्पादन को बढ़ाने में मदद करते हैं, जबकि एस्ट्रोजन, कोर्टिसोल और इंसुलिन का असंतुलन दूध की आपूर्ति को प्रभावित कर सकता है। मां को चाहिए कि वह तनाव से बचें, अपनी मानसिक स्थिति को बेहतर रखें और अपने हार्मोनल संतुलन को बनाए रखें।

All Images Credit- Freepik

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