
अमेरिका और यूरोप में बच्चों में लिवर से जुड़ी रहस्यमयी बीमारी का पता चला है जिसके चलते 1 बच्चे की मौत हो गयी है। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक लगभग 1 दर्जन देशों से 'रहस्यमयी एक्यूट हेपेटाइटिस' के लगभग 170 मामले सामने आये हैं। इन पीड़ित बच्चों में 1 महीने से लेकर 16 साल तक के बच्चे शामिल हैं जिनमें से 17 बच्चों में ये बीमारी इतनी गंभीर थी कि उन्हें लिवर ट्रांसप्लांट करने की जरूरत पड़ी है। लिवर से जुड़ी इस रहस्यमयी बीमारी से सबसे ज्यादा ब्रिटेन में 114 मामले दर्ज किये गए हैं। इसके अलावा अमेरिका, स्पेन, इजराइल, डेनमार्क, नेदरलैंड और इटली में भी इसके मामले मिले हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस बीमारी की वजह से 1 बच्चे की मौत की पुष्टि की है लेकिन यह मामला किस देश से है इसकी पुष्टि नहीं हुई है। चूंकि बच्चों में हेपेटाइटिस की बीमारी बहुत दुर्लभ मानी जाती है और बच्चों में इसके गंभीर लक्षण दिखने चिंताजनक हैं। यूके में बच्चों में हेपेटाइटिस के बढ़ते मामलों को देखते हुए वैज्ञानिकों द्वारा ये संभावना व्यक्त की जा रही है कि ये मामले बच्चों में संक्रमण (विशेष रूप से कोरोनावायरस) के कारण हो रहे हैं। हालांकि इस बात को लेकर किसी भी तरह की पुष्टि अभी तक नहीं हो पायी है। अचानक बच्चों में गंभीर रूप से हेपेटाइटिस के मामले बढ़ना काफी गंभीर है और इनके जांच में शुरुआती तौर पर ये बात सामने आई है कि ये मामले हेपेटाइटिस वायरस के कारण नहीं हो रहे हैं।
बच्चों हेपेटाइटिस कैसे जुड़ा है वायरल संक्रमण से? (How Hepatitis in Kids Linked To Viral Infection)
यूके की स्वास्थ्य सुरक्षा एजेंसी द्वारा मिली जानकारी के मुताबिक डॉक्टर और एक्सपर्ट्स बच्चों में हेपेटाइटिस के 74 मामलों की जांच कर रहे हैं जिनका कोविड से लिंक हो सकता है। इसको लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि हेपेटाइटिस वायरस इन बच्चों में बीमारी का कारण नहीं है। डब्ल्यूएचओ की तरफ से यह कहा गया है कि इनमें से कुछ मामलों में एडिनोवायरस और कुछ बच्चों में SARS-CoV-2 के संक्रमण की पुष्टि हुई है। एससीपीएम अस्पताल के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ शेख जफर आमतौर पर हेपेटाइटिस वायरल इन्फेक्शन से ही जुड़ा होता है, हेपेटाइटिस के मुख्य पांच वायरस हैं हेपेटाइटिस ए, बी, सी, डी और ई हैं। लेकिन इनके अलावा दूसरे वायरस भी हेपेटाइटिस का कारण बन सकते हैं। बच्चों में हेपेटाइटिस की समस्या इतनी आम नहीं है और यही कारण है कि बच्चों में हेपेटाइटिस को लेकर विश्व स्वास्थ्य और यूके की स्वास्थ्य एजेंसी समेत कई वैज्ञानिक जांच में लगे हुए हैं।
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एडेनोवायरस और हेपेटाइटिस की समस्या (Adenovirus And Hepatitis in Hindi)
हेपेटाइटिस की बीमारी दरअसल लिवर की सूजन से जुड़ी एक गंभीर समस्या है। शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने पर आपको ये बीमारी हो सकती है। बच्चों में हेपेटाइटिस की समस्या होने पर पेशाब के रंग में बदलाव, लिवर और पेट से जुड़ी परेशानियां आदि देखने को मिलती हैं। बच्चों में हेपेटाइटिस होने पर उनके आंखों में सूजन भी हो सकती है इसके अलावा उन्हें तेज बुखार की समस्या भी होती है। इस बीमारी में सही समय पर इलाज होने से यह जल्दी ठीक हो सकती है लेकिन अगर सही समय पर लक्षणों को पहचानकर इलाज नहीं किया जाता है तो यह समस्या गंभीर हो सकती है जिसके कारण मरीज को लिवर ट्रांसप्लांट की जरूरत भी पड़ती है। ब्रिटेन में बच्चों में मिले हेपेटाइटिस के कुछ मामलों में लिवर ट्रांसप्लांट करने की जरूरत भी पड़ी है। ऐसे में यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि कितने गंभीर तरीके से यह बीमारी बच्चों में फैल रही है। एडेनोवायरस बच्चों में होने वाला सामान्य संक्रमण है जो दस साल की उम्र से पहले बच्चों में कम से कम एक बार जरूर होता है। आमतौर पर एडेनोवायरस इन्फेक्शन फेफड़ों और सांस की नली के संक्रमण का कारण बनता है। इस संक्रमण के संपर्क में आने पर बच्चों में सर्दी-जुकाम के अलावा निमोनिया की समस्या हो सकती है और कुछ बच्चों में गंभीर रूप से बुखार हो सकता है। ब्रिटेन के मामलों में यह कहा जा रहा है कि अगर इन मामलों का सबसे प्रमुख कारण एडेनोवायरस है तो इसका मतलब यह है कि एक नए तरह का एडेनोवायरस सामने आया है जिसकी वजह हेपेटाइटिस की समस्या हो रही है।
हेपेटाइटिस से बचाव के उपाय (Hepatitis Prevention Tips in Hindi)
बच्चों में हेपेटाइटिस की समस्या होने पर उनका सही तरीके से ध्यान जरूर रखना चाहिए। इस दौरान खानपान से जुड़ी आदतों में बदलाव करने से फायदा मिलता है। बच्चों को हेपेटाइटिस से बचाने के लिए उन्हें संक्रमण से बचाना चाहिए। हेपेटाइटिस से बचने के लिए तेल की अधिकता और अधिक मसालेदार भोजन का सेवन करने से बचना चाहिए। नियमित रूप से हेल्दी और संतुलित भोजन का सेवन फायदेमंद माना जाता है। केक, पेस्ट्री, चॉकलेट, अल्कोहल, डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों के सेवन से बचना चाहिए। बच्चों में हेपेटाइटिस के लक्षण दिखने पर आपको तुरंत डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।
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