
Heart Rupture Symptoms: दिल का फटना (Heart Rupture), जिसे मायोकार्डियल रप्चर (Myocardial Rupture) के नाम से भी जाना जाता है, एक दुर्लभ और जानलेवा स्थिति है। हार्ट अटैक आने पर इस स्थिति का खतरा रहता है और इस स्थिति में हार्ट वाल्व, चैंबर और हार्ट की पेशी अलग-अलग हो जाती है। इसकी वजह ए हार्ट कमजोर हो जाता है और ब्लड पंप करने की क्षमता भी कम हो जाती है। इस स्थिति में मरीजों की मौत का खतरा सबसे ज्यादा रहता है। आमतौर पर लोगों को इसके लक्षण समझ नहीं आते हैं और इसी वजह से सही समय पर इलाज न मिलने से मरीज की मौत हो जाती है।
हार्ट रप्चर के कारण
हार्ट की मांसपेशियां कई परतों से बनी होती है। इन परतों में से किसी एक या एक से अधिक में डैमेज या कमजोरी आने पर हार्ट रप्चर का खतरा रहता है। लखनऊ के कपूर हार्ट सेंटर के वरिष्ठ कार्डियोलॉजिस्ट डॉ केके कपूर कहते हैं, "हार्ट में रप्चर आने पर इसकी दीवार फट जाती है और इसकी वजह से ब्लड हृदय की कक्षों (chambers) के बीच या हृदय की थैली (pericardium) में लीक करने लगता है।" इससे हृदय को रक्त पंप करने में कठिनाई होती है और शरीर के बाकी हिस्सों तक पर्याप्त रक्त नहीं पहुंच पाता है।

हार्ट रप्चर के कुछ मुख्य कारण इस तरह से हैं-
हार्ट अटैक (Myocardial Infarction): जिसे हार्ट अटैक के नाम से भी जाना जाता है, यह दिल का फटना का एक प्रमुख कारण है। हार्ट अटैक के दौरान, हृदय को रक्त आपूर्ति करने वाली धमनियों में रुकावट हो जाती है, जिससे हृदय की पेशी क्षतिग्रस्त हो जाती है। यह क्षति हृदय की दीवार को कमजोर कर सकती है और फटने का खतरा बढ़ा सकती है।
हार्ट मसल्स में कमजोरी (Cardiomyopathy): कई प्रकार के कार्डियोमायोपैथी हृदय की पेशी को कमजोर कर सकते हैं, जिससे फटने का खतरा बढ़ जाता है। इनमें डायलेटेड कार्डियोमायोपैथी (Dilated Cardiomyopathy), हाइपरट्रॉफिक कार्डियोमायोपैथी (Hypertrophic Cardiomyopathy), और पेरीकार्डिटिस (Pericarditis) शामिल हैं।
सीने पर तेज दबाव: सीने पर किसी तेज वार या दुर्घटना से लगी गंभीर चोट हृदय की दीवार में फटार पैदा कर सकती है।
कुछ दवाओं का सेवन: कुछ प्रकार की कैंसर रोधी दवाओं के दुष्प्रभावों में हृदय की पेशी को कमजोर करना शामिल हो सकता है, जिससे फटने का खतरा बढ़ जाता है।
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हार्ट रप्चर के लक्षण
हार्ट रप्चर के लक्षणों को सही समय पर पहचानकर उचित कदम उठाने से आप इसके खतरों से बच सकते हैं। इसके कुछ प्रमुख लक्षण इस तरह से हैं-
- सीने में तेज और चुभने वाला दर्द: यह दर्द आमतौर पर सीने के बीचों बीच होता है और लगातार बना रहता है।
- सांस लेने में तकलीफ: फटे हुए दिल को रक्त पंप करने में कठिनाई होती है, जिससे सांस लेने में तकलीफ हो सकती है।
- तेज और अनियमित दिल की धड़कन: दिल का फटने से हृदय की लय गड़बड़ा सकती है और दिल की धड़कन तेज और अनियमित हो सकती है।
- कमजोरी और चक्कर आना: हृदय शरीर के बाकी हिस्सों तक पर्याप्त रक्त नहीं पहुंचा पाता है, जिससे कमजोरी और चक्कर आने की स्थिति पैदा हो सकती है।
- पसीना आना: दिल का फटना एक तनावपूर्ण स्थिति है और इससे ठंडा पसीना आ सकता है।
- बेहोशी: गंभीर मामलों में, दिल का फटना बेहोशी का कारण बन सकता है।
हार्ट रप्चर से बचाव और इलाज
हार्ट रप्चर के लक्षण दिखने पर डॉक्टर मरीज की इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम टेस्ट करते हैं। इसके अलावा इस स्थिति में इकोकार्डियोग्राम (Echo)भी किया जाता है, जो साउंड वेव के माध्यम से हार्ट की जांच करता है। इसके अलावा सीटी स्कैन समेत कई अन्य तरह की जांच भी की जाती है। इसके बाद मरीज की स्थिति के आधार पर उसका इलाज किया जाता है।
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हार्ट रप्चर से बचने के लिए आप धूम्रपान छोड़ें, स्वस्थ आहार लें, नियमित व्यायाम करें, और अपने रक्तचाप, कोलेस्ट्रॉल और ब्लड शुगर स्तर को कंट्रोल में रखें। इसके अलावा अगर आपको हार्ट से जुड़ी बीमारियों के लक्षण दिखते हैं, तो बिना देर किए डॉक्टर से जांच जरूर कराएं।
(Image Courtesy: freepik.com)
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