जन्म और मृत्यु, प्रकृति के नियम है। जो आया है वो जाएगा ही। लेकिन जब मौत का कारण केवल एक बीमारी बनने लगे तो सोचने औऱ परेशान होने की जरूरत है। वर्तमान में भारत में भी यही हो रहा है। भारत में वर्तमान में होने वाली मौतों का सबसे बड़ा कारण हृदय रोग को बताया गया है। हाल ही में राज्यसभा में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे.पी. नड्डा ने राज्यसभा में बताया कि देश में मौतों का सबसे बड़ा कारण हृदय रोग है। उसके बाद फेफड़ों की बीमारी की वजह से सबसे अधिक मौत होती हैं। नड्डा ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (डबल्यू.एच.ओ.) की रिपोर्ट का हवाला देते हुए राज्यसभा में लोगों को बताया कि भारत में हृदय रोग से 12.4% और फेफड़ों की बिमारी से 10.8% मौतें होती हैं।
हृदय रोग और फेफड़ों की बीमारी
पिछले दिनों सरकार की ओर से स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री नड्डा ने बताया कि देश में होने वाली मौतों का सबसे बड़ा कारण हृदय और फेफड़ों की बीमारियां हैं। नड्डा ने यह रिपोर्ट की जानकारी एक प्रश्न के लिखित उत्तर में राज्यसभा को दी। उन्होंने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार भारत में 12.4 प्रतिशत मौतें हृदय रोग और 10.8 प्रतिशत मौतें यकृत रोग के कारण होती हैं। ये दो रोग मृत्यु के दो सबसे बड़े कारण हैं। उसके बाद श्वसन मार्ग संक्रमण से 4.9 प्रतिशत, समय पूर्व प्रसव जटिलताओं के कारण 3.9 प्रतिशत, क्षय रोग से 2.7 प्रतिशत और सड़क दुर्घटना से 2.4 प्रतिशत मौतें होती हैं।
नड्डा ने कहा कि इनमें से कुछ शुरूआती स्तर के रोगों की शीघ्र जांच और उपचार योग्य एमबीबीएस के प्रशिक्षित चिकित्सक भी कर सकते हैं। लेकिन हृदयाघात और कैंसर जैसे गंभीर रोगों के लिए योग्य विशेषज्ञों चिकित्सकों की जरूरत पड़ती है। उन्होंने कहा कि देश में 57138 एमबीबीएस सीटें और 25850 पीजी सीटें हैं। इसके अलावा 4640 डीएनबी सीटें भी उपलब्ध हैं जो पीजी सीटों के समकक्ष होती हैं।
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