कैटेगरी: मेंटल हेल्थ वॉरियर्स
परिचय: NGO स्नेही
योगदान: स्नेही एक नॉन प्रॉफिट संस्था है जो लोगों मानसिक रूप से परेशान लोगों को सहारा प्रदान करवा रही है।
नॉमिनेशन का कारण: मानसिक रूप से जूझ रहे लोगों को एनजीओ स्नेही ने काउंसलिंग प्रदान की। जिसके कारण बहुत सारे लोगों को आत्महत्या और क्रॉनिक स्ट्रेस से बचाया जा सका।
कोरोना वायरस के आने के बाद से ही दुनियाभर में मानसिक समस्याओं से जूझ रहे लोगों की संख्या काफी बढ़ गई है। कोविड के दौरान लगे देशव्यापी लॉकडाउन में घर में बंद रहने के कारण काफी लोगों को लंबे समय तक मानसिक डिप्रेशन और तनाव से जूझना पड़ा। बहुत से लोग आर्थिक तंगी आने के कारण काफी परेशान थे और अपनी रोजी-रोटी न कमा पाने के कारण ही डिप्रेशन में जाते जा रहे थे। सभी का डेली रूटीन प्रभावित हुआ और सभी लोगों में भविष्य को लेकर अस्थिरता, डर और आगे क्या करेंगे इस बात को लेकर चिंता देखने को मिली। इन समस्याओं के कारण लोग एक प्रकार के मानसिक ट्रॉमा में पहुंचने लगे और कुछ समय में सुसाइड के मामले अचानक बढ़ने लगे थे।
2020 में बढ़े आत्महत्या के मामले
आर्थिक रूप से तंगी आने और लंबे लॉक डाउन लगने के कारण स्कूल और कॉलेज में जाने वाले बच्चों पर भी सबसे अधिक असर पड़ा है। बहुत से बच्चों के पास फोन और लेपटॉप न होने के कारण और इंटरनेट की सुविधा न होने के कारण शिक्षा प्राप्त करने में भी समस्या आ रही है। ऐसे बच्चों को बहुत ज्यादा अकेलापन महसूस हो रहा है साथ ही माता पिता के द्वारा डाला जाने वाला प्रेशर भी उन्हें डिप्रेशन में धकेल रहा है। पढ़ाई का नुकसान होने के कारण भी यह बच्चे मानसिक रूप से तंग हैं। नौकरी प्राप्त करने वाले युवाओं के बीच भी इसी बात को लेकर चिंता है क्योंकि बार बार एग्जाम को स्थगित किया जा रहा है। बच्चे अपनी समस्याओं को माता पिता और अपने अध्यापकों से शेयर कर पाने में काफी मुश्किल समझ रहे हैं। डाटा में यह खुलासा हुआ है कि 2020 में लगभग 11396 बच्चों ने आत्म हत्या की जोकि पिछले साल से 18% अधिक था।
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महिलाओं में बढ़े घरेलू हिंसा के मामले
कोविड की वजह से घर पर रहने वाली ग्राहिणियों पर भी काफी उल्टे प्रभाव देखने को मिले हैं। वैसे तो महिलाएं प्राचीन रूप से ही घर के काम को लेकर प्रेशर को झेल रही हैं। लेकिन इस समय इनका प्रेशर और अधिक बढ़ गया है क्योंकि इनका काम भी अधिक बढ़ गया है। इस समय महिलाओं पर पुरुषों द्वारा घरेलू हिंसा भी अधिक देखने को मिली है और इन सब के बीच ऐसी महिलाओं में तनाव और चिंता काफी हद तक बढ़ गए हैं।
अगर किन्हीं लोगों की वजह से उनके घर वाले भी कोविड संक्रमित हो गए हैं तो वह लोग खुद को एक दोषी भरी निगाहों से देखते हैं और अपने आप को एक अपराधी की तरह मानते हैं। इन लोगों की मानसिक सेहत भी काफी प्रभावित हुई है।
स्नेही ने लोगों को काउंसलिंग कर दिया मेंटल सपोर्ट
भारत में 20% जनता मानसिक समस्याओं से जूझ रही है। इनमें से केवल 12% लोग ही मदद मांगने के लिए आगे आ पाते हैं। मानसिक सेहत के बारे में बात करना और अगर कोई इससे जूझ रहा है तो प्रोफेशनल की मदद मांगना काफी अनावश्यक और एक दोष की तरह देखा जाता है। जिस वजह से बहुत से लोग मदद मांगने के लिए आगे नहीं आ पाते हैं। इसी समय स्नेही नाम के इस एनजीओ ने मानसिक सेहत को प्राथमिकता दी और लोगों की मदद करने के लिए आगे आया।
इस एनजीओ की शुरुआत करने वालों में अब्दुल मबूद प्रमुख हैं। इसके अलावा बहुत सारे ऐसे लोग साथ आए जो दूसरों की मदद करना चाहते थे। स्नेही की शुरुआत 1994 में हुई थी। स्नेही अलग-अलग सामाजिक प्रोजेक्ट्स में शामिल होता है और लोगों की इमोशनल और मेंटल हेल्थ को महत्त्व देने में आगे आता है। यह समूह लोगों को मानसिक सपोर्ट प्रदान करता है ताकि सुसाइड होने से लोगों को बचाया जा सके और उनके मेंटल डिसऑर्डर को ठीक किया जा सके।
15 से 25 काउंसलर्स की टीम देती थी मदद
कोविड महामारी के समय में भी स्नेही ने मानसिक सेहत से जुड़ी समस्याओं पर ध्यान दिया और लोगों को मानसिक सहारे की जरूरत है इस बात को महसूस किया। इन्होंने लोगों की बातें सुनी और सभी को खुद के बारे में बोलने के लिए और इस डिप्रेस्ड जीवन से बाहर आने के लिए गाइड किया। स्नेही ने टेलीफोनिक हेल्पलाइन और क्राइसिस इंटरवेंशन सपोर्ट एंड काउंसलिंग को मार्च 2021 में शुरू किया। इसका उद्देश लोगों के स्ट्रेस को दूर करना और उनके मन को खुश रखना था। इस हेल्पलाइन पर उनके ट्रेंड वालंटियर उपलब्ध थे। जो पेशे से काउंसलर थे। इनका सेट अप कुछ इस तरह से था कि एक काउंसलर एक समय पर एक के बाद एक फोन न उठा सके। 15 से 25 काउंसलर्स 2 की टीम में 4 घंटों की शिफ्ट में काम कर रहे थे। इस महत्वपूर्ण सुविधा को दिन में 12 घंटे तक उपलब्ध किया जाता था।
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9 हजार से ज्यादा आईं कॉल्स
महामारी के सबसे भयानक और बुरे समय के दौरान स्नेही के पास 9 हजार से ऊपर कॉल्स आए और इन्होंने 400 से अधिक सुसाइडल मनोभाव वाले लोगों की जान बचाने में मदद की है। इस समय लोग कितने मुश्किल समय से गुजर रहे थे इस बात का अंदाजा इनके पास आने वाली इतनी सारी सुसाइडल कॉल्स के द्वारा लगाया जा सकता है। 25 सालों में इस महामारी के दौरान सुसाइड कॉल्स की दर 6% अधिक बढ़ गई। इसके अलावा स्नेही ने 115 परिवारों को राशन बांटा और कोविड की इमरजेंसी के दौरान पैसे की सहायता भी की।
स्नेही यह नेक काम अब भी कर रही है। अगर आप इस तरह के कामों को समाज में बढ़ावा दिलवाना चाहते हैं तो स्नेही को प्रोत्साहित करना पहला काम होना चाहिए। इस समूह के लोगों का भरोसा और आत्म विश्वास बढ़ाने के लिए इन्हें हेल्थ केयर हीरो अवार्ड जीतने में मदद कीजिए। इन्हें जिताने के लिए अपना कीमती वोट जरूर दें ताकि इनके इस निस्वार्थ काम को और अधिक पहचान मिल पाए।