OMH HealthCare Heroes Awards: 9 महीने की प्रेग्नेंट होने के बावजूद मरीजों की सेवा करने वाली नर्स को सलाम कीजिए

कोरोना काल में 9 महीने की गर्भवती होने के बावजूद रूपा परवीन राव हर दिन हॉस्पिटल पहुंचकर बतौर नर्स 6 घंटे की ड्यूटी करती रहीं क्योंकि उन्होंने लोगों का दर्द महसूस किया और समझा कि लोगों को उनकी जरूरत है। जानें क्या है रूपा की कहानी।
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OMH HealthCare Heroes Awards: 9 महीने की प्रेग्नेंट होने के बावजूद मरीजों की सेवा करने वाली नर्स को सलाम कीजिए

कोरोना वायरस महामारी के समय जब लोग अपने घरों में कैद थे, ताकि वायरस की चपेट में आने से बच जाएं और सरकार बार-बार निर्देश दे रही थी कि बच्चे, बुजुर्ग और गर्भवती महिलाएं घरों से बाहर किसी भी स्थिति में न निकलें। ऐसे कठिन समय में सभी स्वास्थ्य कर्मियों ने अपनी जिम्मेदारी को समझते हुए मरीजों की जांच, इलाज और रिकवरी में सहयोग किया, ताकि कोरोना वायरस को फैलने से और उससे होने वाले नुकसान को रोका जा सके। आम लोग जब घर से बाहर निकलने में भी डर रहे थे, तब कर्नाटक की रहने वाली रूपा परवीन राव 9 महीने की गर्भवती होने के बावजूद हॉस्पिटल जाकर मरीजों की निःस्वार्थ भाव से सेवा करती रहीं। उनकी कहानी वाकई बहुत प्रेरणादायक है।

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जागरण न्यू मीडिया और ओनलीमायहेल्थ ने HealthCare Heroes Awards के जरिए ऐसी ही जुनूनी लोगों की पॉजिटिव स्टोरीज को अपने पाठकों तक पहुंचाने का और उन्हें सम्मानित करने का आह्वान किया है। रूपा परवीन राव के 9 महीने के प्रेग्नेंट होने के बावजूद मरीजों की सेवा करने के जज्बे और जुनून को देखते हुए उन्हें OMH Healthcare Heroes अवॉर्ड में PARAMEDICS कैटेगरी में नॉमिनेट किया गया है। आइए जानते हैं क्या है रूपा की कहानी...

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क्या है रूपा परवीन राव की कहानी?

कोरोना वायरस महामारी के दौरान हॉस्पिटल में काम करने वाले डॉक्टर्स और नर्सों के प्रति देश ने कई बार कृतज्ञता जाहिर की और उनके सम्मान में दिए जलाए, थालियां बजाईं। लेकिन कर्नाटक की रहने वाली रूपा की कहानी ऐसी है, जिसे सुनकर आप भी हौसलों से भर उठेंगे और ओनलीमायहेल्थ के साथ मिलकर उनके जज्बे को सलाम करेंगे। दरअसल रूपा एक नर्स हैं, जो कर्नाटक के शिवमोगा इलाके के गजानुरू गांव की रहने वाली हैं। रूपा इसी इलाके में थोड़ी दूर पर जयचामाराजेंद्र सरकारी अस्पताल में काम करती हैं।

जब कोरोना वायरस महामारी कर्नाटक में फैलनी शुरू हुई, तब रूपा 8-9 महीने की प्रेग्नेंट थीं। ऐसे समय में आमतौर पर व्यक्ति सामान्य दिनों में भी अपना काम छोड़ देता है, फिर महामारी और संक्रमण के समय में तो काम करने का सवाल ही नहीं उठता। लेकिन रूपा ऐसे कठिन समय में 9 महीने की प्रेग्नेंट होने के बाद भी लोगों की सेवा भाव की प्रेरणा से हॉस्पिटल पहुंचकर हर दिन 6 घंटे काम करती रहीं।

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रूपा से जब इस बारे में पूछा गया कि वो ऐसे समय में आराम क्यों नहीं करना चाहती हैं, तो उन्होंने बताया था कि उनका हॉस्पिटल आसपास के कई गांवों से जुड़ा हुआ और संकट के इस समय में लोगों को बतौर नर्स उनकी जरूरत है। इसलिए वो दिन में 6 घंटे ही सही काम करने हॉस्पिटल पहुंच जाती थीं। रूपा को कई बार उनके सीनियर्स, यहां तक कि मामला पहुंचने पर कर्नाटक के मुख्यमंत्री येदुरप्पा ने भी काम की बजाय आराम करने को कहा, लेकिन रूपा अपने हौसले और जज्बे को छोड़ने वालों में से नहीं थीं। इसके लिए मुख्यमंत्री ने रूपा के काम की तारीफ भी की थी। 

गंभीर संकट के ऐसे समय में जब लोग अपनों का साथ छोड़ देते हैं, तब रूपा परवीन राव जैसी महिलाएं, जो अपने स्वास्थ्य की चिंता किए बगैर बीमार लोगों की तीमारदारी में लगी हुई थीं, हम उनके हौसले को और जज्बे को सैल्यूट करते हैं।

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