OMH HealthCare Heroes Awards: गांव में कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए सरपंच बनीं पहरेदार

सरपंच अखिला यादव ने कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए अपने गांव की सीमा की रक्षा करने और किसी भी बाहरी व्यक्ति के प्रवेश को प्रतिबंधित करने का फैसला किया। वह कई दिनों तक अपने पिता के साथ गांव की सीमा पर पहरा देती रही।
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OMH HealthCare Heroes Awards: गांव में कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए सरपंच बनीं पहरेदार

युवा किसी भी राष्ट्र की रीढ़ की हड्डी होते हैं। अगर वह ठान लें तो कुछ भी नामुमकिन नहीं है। जैसे तेलंगाना की 23 वर्षीया महिला सरपंच अखिला यादव ने ठाना। उन्होंने लॉकडाउन के शुरुआत में अपने गांव को कोरोना वायरस से बचाने के लिए गांव के मुख्य प्रवेश द्वार पर खुद ही पहरेदार की तरह रखवाली की, ताकि बाहर से आने वाले लोग गांव के लोगों को वायरस से संक्रमित न करें। गांव को बचाने के लिए अखिला यादव का यह प्रयास पूरे देश ने जाना। उनकी इस कोशिश के लिए Healthcare Heroes Awards में उन्हें नॉमिनेट किया गया है।

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लॉकडाउन के समय पूरे देश की जनता से आग्रह किया गया था कि वे घर में ही रहे और सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन करें। यह आग्रह तेलंगाना के नलगोंडा जिले के मदनपुरम गांव के लिए भी था, जहां की सरपंच 23 वर्षीया अखिला यादव हैं। उर्जा से भरपूर अखिला ने देखा कि गांव में बाहर से आने वाले लोग सरकार के आदेशों का पालन नहीं कर रहे हैं, तो उन्होंने खुद ही इसे रोकने के लिए बीड़ा उठाया और पहरेदार के रूप में गांव के मुख्य द्वार पर रखवाली करनी शुरू कर दी।   

दरअसल, मदनपुरम गांव में ताड़ के पेड़ ज्यादा हैं और आस-पास के गांवों के लोग ताड़ी के लिए यहां आते रहते हैं। लॉकडाउन में भी उनका आने जाने का सिलसिला जारी था। अखिला यादव को शिकायतें मिलीं कि बाहरी लोग गांव में प्रवेश कर रहे हैं, जिससे कोरोनो वायरस का खतरा बढ़ रहा है। ऐसे में अपने गांव के लोगों की रक्षा के लिए, इस युवा सरपंच ने एक साहसी कदम उठाया। उन्होंने गांव की सीमा की रक्षा करने और किसी भी बाहरी व्यक्ति के प्रवेश को प्रतिबंधित करने का फैसला किया। इसमें उनके पिता अकरम यादव ने उनका समर्थन किया। वह कई दिनों तक अपने पिता के साथ गांव की सीमा पर पहरा देती रही।

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हालांकि, अखिला के लिए यह आसान नहीं था, क्योंकि बदमाश प्रवेश करने के लिए वैकल्पिक मार्ग ढूंढते थे, लेकिन उन्होंने  उसका भी हल निकाल लिया। उन्होंने  ग्रामीणों के लिए एक वैकल्पिक सड़क का इस्तेमाल करने का सुझाव दिया, जिससे की वो अपने घर के लिए जरूरी सामान खरीद सकें। उन्होंने ऐसा कोई मौका नहीं दिया कि कोई बाहरी व्यक्ति उनके गांव में प्रवेश कर सके। वह और उनके पिता ने अपने स्वास्थ्य की चिंता किए बिना हफ्तों तक लगातार सीमाओं की रक्षा की।  

एक गांव के सरपंच की मुख्य जिम्मेदारी होती है कि वो गांव में रह रहे लोगों की जरूरतों को पूरा करे और उनकी दिक्कतों को दूर करे। मदनपुरम गांव के लोगों की सुरक्षा और स्वास्थ्य के लिए अखिला यादव का यह प्रयास काफी सराहनीय है और उन लोगों को प्रेरित करता है, जो अपने गांव में रहकर अपने गांव के लिए कुछ करना चाहते हैं।

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