कैटेगरी: पोषण वॉरियर्स
परिचय: ऑटो ड्राइवर अक्षय
योगदान: पुणे के ऑटो ड्राइवर अक्षय कोठावले ने कोविड के समय जरूरतमंदों की अपनी शादी की बचत से की सहायता
नॉमिनेशन का कारण: कोविड के दौरान जो लोग लॉकडाउन में फंस गए थे उनको ऑटो ड्राइवर अक्षय ने अपनी बचत के पैसे से दो टाइम का खाना खिलाया, जरूरत पड़ी तो मुफ्त में ऑक्सीजन और राशन भी बांटा।
शादी हर इंसान के लिए जीवन के कुछ सबसे स्पेशल मौकों में से एक होता है। यही कारण है कि बहुत सारे लोग इस दिन के लिए लाखों रुपए जमा करते हैं, ताकि शादी के मौके को खास बना सकें। ऐसे ही एक सपने के साथ पुणे के ऑटो ड्राइवर अक्षय कोठेवाल ने लगभग 2 लाख रुपए जमा किए थे। लेकिन इसी बीच कोविड आया और देश में लॉकडाउन लग गया। लॉकडाउन के दौरान अक्षय ने देखा कि लोग बहुत ज्यादा परेशान हैं। दिहाड़ी मजदूर और फैक्ट्रियों में काम करने वाले कारीगर, कर्मचारी और बहुत सारे लोगों का रोजगार अचानक बंद हो जाने से लोग भूखे रहने लगे और बीमारी के फैलने के कारण भी बहुत हताश और परेशान रहने लगे। ऐसे में अक्षय को लगा कि उनकी शादी के लिए बचाए हुए पैसों को जमा करके रखने से बेहतर है कि इसे लोगों की भूख मिटाने में खर्च किया जाए। इसलिए अक्षय ने अपने घर के पास ही एक कम्यूनिटी किचन की शुरुआत की और हर रोज सैकड़ों लोगों को दो टाइम का खाना खिलाने लगे। जब महाराष्ट्र और कई अन्य शहरों से मजदूरों का बड़ा वर्ग भूखे-प्यासे रहकर पलायन करने लगा था, तब अक्षय ने फूड पैकेट्स बनाकर रास्ते में जाते मजदूरों को दिया, ताकि उनमें कोई भी भूख से न मरे।
कैसे मिली भूखों को भोजन देने की प्रेरणा?
इस सवाल के जवाब में अक्षय कहते हैं कि उन्हें ये प्रेरणा ऐसे मिली की उन्होंने एक दिन बैठे हुए सोचा कि शादी के लिए जमा हुए पैसे भी तो आखिर सैकड़ों लोगों को दावत खिलाने के लिए ही जमा हुए हैं। लॉकडाउन के कारण शादी नहीं हो सकती थी, तो जिन पैसों से शादी में लोगों को खाना खिलाना है, क्यों न उसी पैसे से गरीबों और बेसहारा लोगों को कुछ दिनों तक खाना खिलाया जाए। धीरे-धीरे करके अक्षय के पैसे भी खत्म हो गए। तब अक्षय ने सोशल मीडिया के जरिए लोगों को अपने काम के बारे में बताना शुरू किया और आसपास व देश के अलग-अलग हिस्सों से बहुत सारे लोग अक्षय की मदद के लिए आगे आए। केवल खाने के पैकेट बांटने तक ही अक्षय नहीं रुके बल्कि कोविड के दौरान ट्रांसपोर्ट के माध्यमों की भी कमी थी। इसलिए इन्होंने गर्भवती महिलाओं को अपनी ऑटो में अस्पतालों तक पहुंचाया।
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अन्य तरह से भी की लोगों की मदद
अक्षय ने सिर्फ खाना खिलाकर ही नहीं, बल्कि कई अन्य तरह से भी लोगों की कोविड की पहली और दूसरी लहर के दौरान खूब मदद की। उन्होंने दूसरी लहर के दौरान फ्री ऑक्सीजन सिलिंडर देने की सुविधा शुरू की, जिसके कई लोगों की जान बचाई जा सकी। इसके अलावा अक्षय बीमार और गर्भवती लोगों को मुफ्त में अस्पताल छोड़ने या एक जगह से दूसरी जगह छोड़ने का भी काम करते रहे। उन्होंने बताया कि सामान्य दिनों में भी वो बुजुर्गों और दूर से आए मुसाफिरों से पैसे नहीं लेते हैं।
पहले सामाजिक कार्य भी कर चुके हैं
केवल कोविड के समय में ही नहीं बल्कि अक्षय पहले भी सामाजिक काम कर चुके हैं। 2019 में बाढ़ के दौरान सांगली जिले में इन्होंने तीन गांवों में खाने के पैकेट्स वितरित किए। इन्होंने अपनी ऑटो पर खाना बांटने के पोस्टर्स भी लगाए ताकि जरूरतमंद इन तक पहुंच सकें। मजदूरों और सड़क पर काम करने वाले लोगों को इन्होंने खाना दिया अक्षय का कहना है कि जब एकदम से पूरे देश में लॉकडाउन लगाया गया तो इन सब लोगों के पास पैसे नहीं थे। अक्षय ने इन लोगों की मानसिक स्ट्रेस के बारे में भी बताया कि सभी इस बात को लेकर चिंतित थे की हम आगे क्या करेंगे। यह स्थिति मजदूरों और ऐसे लोगों के लिए काफी खतरनाक थी। इसलिए इन्होंने मदद के लिए हाथ आगे बढ़ाया और कोविड के समय में काम किया।
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शादी के लिए बचाए गए पैसों को प्रयोग किया
फूड पैकेट्स के लिए इन्होंने अपनी शादी के लिए जमा किए गए रुपयों का प्रयोग किया। वह कहते हैं कि शादी तो बाद में भी हो सकती है और मैंने इन लोगो को उसी तरह भोजन करवाया है जिस तरह मैं शादी में अपने रिश्तेदारों को करवाता। अक्षय ने अपने घर की रसोई में खाना बनाने का काम शुरू किया और इस काम में उनकी मां, पड़ोसी, आंटी और बहुत से रिश्तेदार भी शामिल थे। कुछ लोगों ने बर्तन साफ किए, कुछ ने सब्जी काटी और कुछ ने पैकेट बनाने में मदद की। एक दिन में इन्होंने 400 से 500 पैकेट बनाए।
खाना बांटने के अलावा अक्षय ने गर्भवती महिलाओं को ट्रांसपोर्ट सुविधा प्रदान करवाने में भी मदद की और अपनी ऑटो में मुफ्त में उन्हें अस्पताल तक पहुंचाया। अभी बहुत से लोगों के मन में यह सवाल होगा कि क्या अक्षय की शादी हुई? तो बता दें कि अक्षय की शादी पिछले साल जनवरी में हो गई और अब उनकी एक महीने की बेटी भी है। तीसरी लहर के दौरान भी वह अपने पहली और दूसरी लहर के दौरान किए गए कामों को दोबारा शुरू करने की सोच रहे हैं। पिछले ही हफ्ते इन्होंने बहुत से फूड पैकेट्स वितरित भी कर दिए हैं।
जरूरत के समय इतने लोगों की अपनी शादी के जमा किए गए पैसों से मदद करने के लिए सच में ही धन से अमीर होने की नहीं बल्कि दिल से अमीर होने की जरूरत है। यह बात अक्षय ने साबित कर दी। इन्होंने इस मुसीबत भरी स्थिति में लोगों को दिखाया कि इनका कितना बड़ा दिल है। इनके इस प्रयास को सारे देशवासियों का सलाम। अगर आप इनके प्रयास को आगे कदम आगे लाना चाहते हैं तो इन्हें वोट देकर यह अवार्ड जितवाने में जरूर मदद करें, ताकि भविष्य में और लोगों को भी निस्वार्थ भाव से दूसरों की मदद करने की प्रेरणा मिल सके।
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