आहार के नाम पर कृत्रिम रंगों से रंगी सब्जियां और फास्ट फूड कल्चर हमारी सेहत की बर्बादी के लिए किसी अलार्म से कम नहीं है। खाने के रंग से बच्चों में हायपरसेंसिटिविटी और कैंसर के लक्षण पाये गए है। कृत्रिम रंग के सेवन से बच्चों की एकाग्रता कम होती है, अस्थमा,और थायराइड का आदि विकार होते है |
कृत्रिम रंग के आहार
केक, बिस्कुट, कुकीज ऐसे पदार्थ में नीला रंग ज्यादातर यूज किया जाता है।इसके आलावा शीतपेय, बच्चों की गोलियाँ, चॉकलेट, डॉगफूड आदि में नीला रंग का इस्तेमाल किया जाता है।तो ये चीजे न खाना ठीक है।लाल रंग का अति इस्तेमाल करने से शुद्ध हरपना, पेट की आँतों के लिए ये रंग हानिकारक है। टेट्राझाईंन पीला और सनसेट यलो रंग से हायपरसेंसिटिविटी रिएक्शन आती है। सब्जी और फलों को गाढ़ा रंग आनेके लिये हरा रंग का इस्तेमाल किया जाता है। ऑरेंज, स्वँक्स डेअरी प्रोडक्ट्स, बेकरीकी चीजे, मिठाई, शीतपेय इसमें सिंथेटिक रंग का इस्तेमाल किया जाता है।कृत्रिम रंग के पदार्थ खाने से सावधान रहें।
कृत्रिम रंगों से होने वाले नुकसान
सिंथेटिक रंगों के कारण पेट से जुड़ी कई परेशानियां पैदा हो सकती हैं। लंबे समय तक अगर इन सिंथेटिक रंगों का इस्तेमाल किया जाए तो कैंसर होने की आशंका भी बढ़ जाती है। इससे प्रजनन अंग, पेट व जिगर का क्षतिग्रस्त होना, शरीर का विकास रूकना, खून में लाल कणों की कमी, जिगर पर छाले पड़ना आदि समस्याएं होने का खतरा रहता है।अगर बाजार से मसालों का पाउडर खरीद रही हैं, तो हमेशा अच्छी कंपनी के मसाले ही खरीदें। अच्छी कंपनी के डिब्बाबंद मसालों में मिलावट की आशंका कम होती है। अगर आप अच्छी कंपनी के मसाले नहीं खरीद रहीं, तो सबसे अच्छा होगा कि घर पर ही जरूरी मसाले तैयार करें। इनमें पैसा तो कम लगेगा ही, अच्छे स्वाद, शुद्धता और खुशबू की पूरी गारंटी भी होगी।
फल व सब्जियों को हमेशा अच्छी तरह धोकर ही प्रयोग करे, जिससे उन पर छिड़के कीटनाशक, अन्य केमिकल तथा कृत्रिम रंग की परत ठीक से साफ हो जाए। ये स्वास्थ्य के लिए हानिकर होते है।
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