Health Issues Caused By Long Working Hours: वैश्विक स्तर पर मशहूर आईटी कंपनी इंफोसिस के को-फाउंडर एनआर नारायण मूर्ति (NR Narayana Murthy) ने हाल में कहा है कि भारत जैसे देश में प्रोडक्टिविटी बढ़ाने के लिए युवाओं को सप्ताह में 70 घंटे काम करना चाहिए। उन्होंने कहा कि वर्क प्रोडक्टिविटी बढ़ाने और चीन, अमेरिका जैसे देशों को पीछे छोड़ने के लिए ऐसा करना जरूरी है। 3one4 Capital की एक वीडियो सीरीज 'द रिकॉर्ड' के पहले एपिसोड में बातचीत करते हुए उन्होंने कहा, "किसी तरह हमारे युवाओं को पश्चिम से गैर-वांछनीय आदतें लेने और फिर देश की मदद नहीं करने की आदत है।" उनके इस बयान के बाद से ही इंटरनेट और सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गयी है। भले ही नारायण मूर्ति ने भारत में उत्पादकता में सुधार और सरकारी देरी को सुलझाने की जरूरतों पर अपनी बात रखते हुए ये कहा है, लेकिन इस बात को लेकर हेल्थ एक्सपर्ट्स और तमाम लोग सही नहीं मान रहे हैं।
लोगों का कहना है कि लंबे समय तक काम करने की वजह से मेंटल और फिजिकल हेल्थ दोनों पर ही बुरा असर पड़ता है और इसकी वजह से वर्क-लाइफ बैलेंस भी बिगड़ता है। गौरतलब हो, दुनिया भर में वर्क-ऑवर कम करने के लिए बातचीत चल रही है। फिनलैंड जैसे देश में सप्ताह में चार दिन काम करने का कल्चर शुरू हो चुका है और विश्व स्वास्थ्य संगठन भी लोगों की मेंटल और फिजिकल हेल्थ को बैलेंस करने के लिए ऐसे कदम उठाने पर जोर देता है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या सप्ताह में 70 घंटे काम करना स्वास्थ्य के लिहाज से ठीक है या नहीं? आइये इस लेख में विस्तार से जानते हैं इस बारे में।
लंबे समय तक बैठकर काम करने के नुकसान- Health Issues Caused By Working More Than 70 Hours A Week in Hindi
लगतार बैठकर काम करने की वजह से कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा बना रहता है। हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) ने भी इसको लेकर अपनी चिंता व्यक्त की थी। डब्ल्यूएचओ और आईएलओ की एक प्रेस रिलीज में कहा गया था कि लगातार घंटों तक बैठकर काम करने की वजह से लोगों को मेंटल हेल्थ से जुड़ी चुनौतियों से जूझना पड़ रहा है और इसकी वजह से हार्ट अटैक का खतरा भी ज्यादा रहता है।
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लंबे समय तक बैठकर काम करने से इन परेशानियों का खतरा बढ़ जाता है-
1. डायबिटीज (Diabetes)
मशहूर मधुमेह रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रदीप गाडगे (Dr. Gadge's Diabetes Care, Mumbai) कहते हैं कि, "लंबे समय तक बैठकर काम करने से न सिर्फ मेंटल हेल्थ प्रभावित होती है, बल्कि इसकी वजह से डायबिटीज जैसी गंभीर बीमारी का भी खतरा रहता है। लगातार 10-12 घंटे बैठकर काम करने वाले लोगों में टाइप 2 डायबिटीज के मामले ज्यादा देखे जाते हैं।"
2. हाइपरटेंशन (Hypertension)
लगातार एक ही जगह पर बैठकर काम करने वाले लोगों में हाई ब्लड प्रेशर का भी खतरा बढ़ जाता है। इसकी वजह से मेटाबोलिक सिंड्रोम और डिप्रेशन जैसी परेशानियां हो सकती हैं, जो आगे चलकर हाइपरटेंशन का कारण बनती हैं।
3. हार्ट अटैक (Heart Attack)
लंबे समय तक बैठकर काम करने वाले लोगों में हार्ट अटैक का भी खतरा ज्यादा रहता है। ऐसे लोग मानसिक चुनौतियों के शिकार हो जाते हैं और आगे चलकर यह हार्ट से जुड़ी बीमारियों का कारण बनता है।
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4. मेंटल हेल्थ (Mental Health)
लगतार घंटों तक बैठकर काम करने से मेंटल हेल्थ पर भी बुरा असर पड़ता है। इसकी वजह से वर्क-लाइफ बैलेंस भी बिगड़ता है और आगे चलकर डिप्रेशन और स्ट्रेस समेत कई गंभीर परेशानियों का खतरा बढ़ जाता है।
डॉ. गाडगे के अनुसार, लंबे समय तक काम करने वाले लोग अक्सर शराब, धूम्रपान और फास्ट फूड का सेवन करते हैं और बहुत कम या व्यायाम बिलकुल भी नहीं करते हैं। डेस्क जॉब करने वाले या मार्केटिंग क्षेत्र में बिना किसी निश्चित ड्यूटी शिफ्ट वाले लोगों की जीवनशैली आमतौर पर खराब होती है। यह जीवनशैली विकार उन्हें रक्तचाप की समस्या का शिकार बना सकती है, इसलिए नियमित आधार पर ब्लड प्रेशर की जांच कराने की सलाह दी जाती है।
सोशल मीडिया पर छिड़ी नई बहस
एनआर नारायण मूर्ति के बयान के बाद से इंटरनेट और सोशल मीडिया पर नई बहस छिड़ गयी है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर ऋचा सिंह नाम की यूजर ने पोस्ट करते हुए कहा कि, "मैंने अपने शुरुआती 20 वर्षों में सप्ताह में 70-80 घंटे काम किया है और मैं आपको बताती हूं हूं कि मुझे कैसा महसूस हुआ।" उन्होंने आगे लिखा कि इसकी वजह से कोई निजी जीवन नहीं, काम की अधिक चिंता, मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में गिरावट, खुद की देखभाल के लिए समय नहीं, वीकएंड का बेसब्री से इंतजार और जलन और हताशा अपने चरम पर जैसी स्थितियों का सामना करना पड़ा।
I have worked 70-80 hours a week in my early 20s and let me tell you how I felt:
— Richa Singh (@RichaaaaSingh) October 26, 2023
- No personal life during week days
- High work anxiety
- Declining mental and physical health
- No time for self-care
- Eagerly waiting for weekends
- No time for hobbies
- Burnout and…
WHO-ILO द्वारा संयुक्त रूप से जारी प्रेस रिलीज में भी कहा गया है कि लंबे समय तक काम करने के कारण 2016 में स्ट्रोक और हार्ट डिजीज से 7,45,000 मौतें हुईं, जो कि 2020 से 29% अधिक है। इससे यह समझ आता है कि लंबे समय तक काम करने से न सिर्फ बीमारियों का खतरा रहता है बल्कि यह जानलेवा भी हो सकता है। लंबे समय तक काम करना बीमारियों के लिए सबसे बड़ा जोखिम कारक है, क्योंकि लंबे समय तक काम करने वाले लोगों की संख्या कुल वैश्विक आबादी का 9% है, जिससे अधिक से अधिक लोगों को काम से संबंधित विकलांगता और शीघ्र मृत्यु का खतरा होता है।
(Image Courtesy: Freepik.Com)
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