एक ऐसी बीमारी जो अपने उच्चतम शिखर पर पहुंच जाए और इंसान के लिए काल बन जाए और बादलों में ऊपर तक पहुंच जाए। उसे कालमेघ कहा जाता है। राष्ट्रीय समाज एवं धर्मार्थ सेवा संस्थान के आयुर्वेदाचार्य डॉ. राहुल चतुर्वेदी का कहना है कि कालमेघ एक औषधीय पौधा है। यह बड़ी सी बड़ी बीमारी को ठीक करन में मदद करता है। कालमेघ का पौधा बिहार, पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश में अधिक पाया जाता है। यह पौधा बुखार, पेट की खराबी, चर्म रोग, पेशाब का पीलापन और पेशाब की जलन जैसे कई रोगों को ठीक करता है। इस पौधे का वैज्ञानिक नाम एंडोग्रेफिस पैनिकुलाटा है। यह कहा जाता है कि कालमेघ भारत और श्रीलंका का मूल निवासी है।
कालमेघ की पहचान
कालमेघ (Nilavembu) का पौधा हम सभी के घरों के आसपास आसानी से मिल जाता है। बस हमें इसकी पहचान नहीं होती है। कालमेघ का तना बिल्कुल सीधा होता है। इसकी पत्तियां हरी मिर्च के पौधे के समान होती हैं। पत्ते हरे और पीले दोनों रंग के होते हैं। इसके फूल गुलाबी रंग के होते हैं। यह पौधा मई-जून में उगता है। इस पौधे की लंबाई बहुत ज्यादा नहीं होती है। इस पौधे के साथ एक बड़ा व्यापार जुड़ा हुआ है। इस पौधे की कटाई करके उसे सुखाकर इसे बेचा जाता है। कालमेघ को हिंदी में कालमेघ ही कहा जाता है। अंग्रेजी में इसे निलावेंबू (Nilavembu) कॉमन एन्ड्रोग्रैफिस (Common andrographis) और करीयत (Kariyat) कहा जाता है।
कालमेघ के फायदे (Benefits of kalmegh)
कालमेघ एक औषधीय जड़ी-बूटी है। इसके फायदे और प्रयोग आयुर्वेचार्य राहुल चतुर्वेदी ने निम्न बताए हैं-
बुखार में फायदेमंद
बुखार एक ऐसा रोग है जिसमें शरीर का तापमान का बढ़ता है। बुखार कभी भी हो सकता है। इस रोग को खत्म करने में कालमेघ बहुत फायदेमंद है।
पेट की खराबी
पेट की खराबी जैसे दस्त हो जाना, अपच एसिडिटी आदि हो जाने पर कालमेघ फायदेमंद है। पेट खराब होने पर 1-2 ग्राम कालमेघ पंचांग चूर्ण खाने से पेट की समस्याओं में फायदा मिलता है। आजकल बिगड़ते लाइफस्टाइल के कारण कई तरह के रोग हो रहे हैं। इन रोगों से बचने के लिए जब दवाओं का सेवन किया जाता है तो उनके साइड इफैक्ट भी झेलने पड़ते हैं। लेकिन आयुर्वेद में ये सहुलियत है कि साइड इफैक्ट से बचा जा सकता है।
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चर्म रोगों में फायदेमंद
त्वचा पर चकत्ते, घमोरियां, एक्ने, आंखों के नीचे काले गड्ढे, एक्जिमा, खुजली जैसी वे परेशानियां हैं, जो चर्म रोगों (Skin Diseases) में आती हैं। इन चर्म रोगों को खत्म करने में कालमेघ बहुत लाभकारी है। आयुर्वेदाचार्य राहुल चतुर्वेदी अनुसार 10 ग्राम कालमेघ के पाउडर को दो गिलास पानी में उबाल लें। जब एक गिलास पानी रह जाए तो सुबह और शाम खाली पेट पी लें। पर ध्यान रहे कि इन पत्तों को अच्छे से साफ करके सुखाकर ही उन्हें सुखाएं फिर काढ़ा बनाएं। इसका सेवन करने से त्वचा संबंधी रोग खत्म हो जाते हैं।
पेशाब से संबंधित रोगों का निपटारा
पेशाब का पीला आना, पेशाब करते समय जलन होना आदि परेशानी मूत्र रोगों में आती हैं। इन परेशानियों को खत्म करने में कालमेघ फायदेमंद है। इसमें भी 10 ग्राम कालमेघ पाउडर को दो गिलास पानी में उबाल लें। जब एक गिलास रह जाए तो सुबह और शाम खाली पेट पी लें। इससे पेशाब में दर्द, पेशाब का रुक-रुक कर आना सभी परेशानियां दूर होती हैं।
मिर्गी रोग में फायदेमंद
जिन लोगों को मिर्गी (Mirgi) आती है। उनके लिए भी आयुर्वेद में इलाज है। कालमेघ आयुर्वेद का ही हिस्सा है। मिर्गी को ठीक करने में भी कालमेघ फायदेमंद है। इसके लिए 10 ग्राम कालमेघ के पाउडर को दो गिलास पानी मे उबालकर काढ़ा बना लें। जब एक गिलास पानी बचे तो उसे पी लें।
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मधुमेह में फायदेमंद
आजकल मधुमेह (Diabetes) बहुत ही आम बीमारी हो गई है। दिन प्रतिदिन यह बीमारी बढ़ती जा रही है। अब तक तो यह बीमारी केवल बड़े लोगों में होती थी, लेकिन अब बच्चों में भी यह बीमारी दिखाई देने लगी है। कालमेघ में एंटी-डायबीटीज गुण पाए जाते हैं। इसलिए यह डायबिटिज के रोग में भी फायदेमंद है। इससे बचने के लिए भी कालमेघ के काढ़े का सेवन करना होता है।
नींद की समस्या को करे दूर
जिन लोगों को नींद आने की समस्या (Sleep problem) है उन्हें कालमेघ के पौधे के बारे में जनकारी रखनी चाहिए। यह पौधा एंटी-स्ट्रेस एजेंट के रूप में काम करता है। इसलिए अनिद्रा की समस्या कालमेघ के सेवन (Uses of kamlegh) से ठीक होती है। अनिद्रा किसी भी कारण से हो सकती है। पूरी नींद लेने से शरीर के कई विकार ठीक हो जाते हैं। इसलिए जिन लोगों को अनिद्रा की समस्या है वे कालमेघ का सेवन कुछ समय के लिए कर सकते हैं।
लिवर के लिए फायदेमंद
लिवर में होने वाली परेशानियों को हल करता है कालमेघ। कालमेघ में ऐसे गुण पाए जाते हैं जो लिवर को ठीक रखते हैं। कालमेघ के पत्तों का अर्क बनाकर पीने से परेशानी में आराम मिलता है।
घाव को भरे
चोट लगने पर जो घाव हो जाते हैं उन्हें भरने मे भी कालमेघ फायदेमंद है। कालमेघ के अर्क का सेवन करने से घाव भर जाते हैं। तो वहीं कालमेघ के पत्तों का काढ़ा बनाकर इसका सेवन करने से भी फायदा मिलता है। कई बार कुछ घाव बहुत पुराने हो जाते हैं और ठीक होने में समय लेते हैं, ऐसे रोगों में कालमेघ फायदेमंद है।
कालमेघ एक औषधीय जड़ी-बूटी है। जिसका सही उपयोग आपको की बीमारियों से मुक्त कर सकता है। आयुर्वेद में यो तो हर परेशानी का इलाज है। बहुत बार तो हमारे आपसपास की जड़ी-बुटियां हैं, रामबाण काम करती हैं, लेकिन हमें उनकी न तो पहचान होती है और न ही उपयोग मालूम होता है, इसलिए हम उनका इस्तेमाल नहीं कर पाते। आयुर्वेदाचार्य डॉ. राहुल चतुर्वेदी ने कालमेघ के कई फायदे बताए। साथ ही उन्होंने बताया कि रक्त विकारों को ठीक करने में कालमेघ बहुत फायदेमंद है।