
पपीता चाहे कच्चा हो या पका हुआ, दोनो ही सेहत के लिए फायदेमंद होते हैं। ये शरीर को जरूरी पोषण देने के साथ-साथ कई बीमारियों से उसका बचाव करते हैं। कच्चे पपीते को चटनी और सब्जी के रूप में प्रयोग किया जाता है, वहीं पके पपीते को फल की तरह खाया जाता है। इसकी सब्जी भी स्वादिष्ट बनती है और ये फल के रूप में मीठा होता है। पपीता सभी मौसम में उपलब्ध होता है, इसलिए इसे आसानी से खाया जा सकता है। 
- हरे पपीते में पके पपीते की तुलना में पोटैशियम ज्यादा होता है। इसके पेड़ की जड़ों के विकास के लिए पोटैशियम की मात्रा ज्यादा जरूरी होती है। हालांकि पके पपीते में पोटैशियम की जरूरत पड़ती है।
- हरे पपीते में पके पपीते से ज्यादा पैपन नामक एंजाइम उच्च मात्रा में होता है। पपैन एक प्रोटीन होता है, जो पाचन के एंजाइम को ठीक तरह से काम करने में मदद करता है।
- हरे पपीते में लेटेक्स फ्लूड पके पपीते की तुलना में ज्यादा होता है। इस फ्लूड से एलर्जी और त्वचा में खुजली होने की संभावना ज्यादा होती है। इस तरह के पपीते को गर्भावस्था में नहीं खाना चाहिए। इसके सेवन से गर्भपात का खतरा रहता है।
- शिशु के जन्म के बाद दूध बढ़ाने के लिए ज्यादातर महिलाएं कच्चे पपीते का सेवन करती है। कच्चे पपीते की सब्जी खाने से मां के दूध में वृद्धि होती है।
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- कच्चा पपीता लीवर के लिए बहुत फायदेमंद है, यह लीवर को काफी मजबूती प्रदान करता है। पीलिया होने से लीवर को काफी नुकसान पहुंचता है, ऐसे में कच्चा पपीता खाने से पीलिया के रोगियों को काफी फायदा पहुंचता है।
- पका पपीता फाइबर और और विटामिन से भरपूर होता है। इससे ना सिर्फ प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है, साथ ही ये कोलेस्ट्राल को भी नियंत्रण में रखता है। इसमें मौजूद विटामिन सी तनाव को दूर करता है।
- कुछ अध्ययनों में पाया गया है कि पके पपीते के सेवन से कोलन और प्रोस्टेट कैंसर का खतरा कम होता है। इसमें पाये जाने वाले एंटी-ऑक्सीडेंट, फीटोन्यूट्रिएंट्स और फ्लेवोनॉयड्स शरीर में कैंसर की कोशिकाओं को बनने से रोकते हैं।
यूं तो डायबिटिज के मरीजों को मीठा खाने से मना किया जाता है। लेकिन पका पपीता उनकी सेहत के लिए अच्छा होता है। मीठा होने के बावजूद इसमें शुगर नाममात्र का होता है।
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