माइग्रेन के दर्द से जल्द ही मरीजों को छुटकारा मिल सकेगा। एक नये अध्ययन में वैज्ञानिकों ने इस गंभीर बीमारी के लिए जिम्मेदार जीन को खोज निकालने का दावा किया है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक जीवन को सर्वाधिक प्रभावित करने वाली 20 शीर्ष बीमारियों में से एक 'माइग्रेन' के जीन का अब पता लगा लिया गया है जिससे इसके असर को खत्म करने वाली दवा को बनाने मे काफी आसानी होगी। स्वास्थ्य पत्रिका 'नेचर जेनेटिक्स' में प्रकाशित लेख के मुताबिक शोधकर्ताओं के एक दल ने 29 अन्य स्वास्थ्य संबंधी शोधों के परिणाम का विस्तृत अध्ययन किया और तब उनकी तुलना करके माइग्रेन के लिये जिम्मेदार जीन का पता लगाया है।
माइग्रेन को आधे सिर का दर्द भी कहा जाता है। माइग्रेन पीड़ित व्यक्ति को प्रकाश बहुत चुभता है और उनके सिर मे बहुत तेज दर्द होता है जिसकी वजह से वे कोई काम ठीक से नहीं कर पाते। कई लोगों पर माइग्रेन की दवा का असर होता है, लेकिन एक रिपोर्ट के मुताबिक इससे पीड़ित लगभग 40 प्रतिशत लोगों पर माइग्रेन की दवायें बेअसर होती है।
शोधकर्ताओं ने एक लाख से भी अधिक जीन के नमूनों का अध्ययन किया और डीएनए में माइग्रेन से संबंधित पांच और क्षेत्रों का पता लगाया। इससे पहले माइग्रेन से संबंधित सात क्षेत्रों का पता लगाया गया था। शोधकर्ताओं ने उस सात क्षेत्रों के महत्व की भी पुष्टि की है। उन्होंने ये नमूने माइग्रेन पीडित और स्वस्थ लोगो के लिये थे। जिन नये पांच क्षेत्रों का पता लगाया है उनमें से कुछ आक्सीजन के स्तर में आये किसी प्रकार के असंतुलन के प्रति संवेदनशील होते हैं। शोधकर्ताओं के मुताबिक ये क्षेत्र एक-दूसरे से जुडे हैं और संभव यही मस्तिष्क की अंदरुनी नियंत्रण प्रणाली में बाधा पहुंचाते है जिससे माइग्रेन के लक्षण उभरते हैं।
शोधकर्ताओं को यह उम्मीद है कि वे इस साल के अंत तक माइग्रेन के लिये जिम्मेदार लगभग आधे जीन का पता लगा लेंगे जिससे इसकी दवा के विकास में काफी मदद मिलेगी। कैंब्रजि के वेलकम ट्रस्ट सैगर इंस्टीट्यूट के डॉक्टर आर्नी पालोती के नेतृत्व में इस शोघ को किया गया।
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