“म्हारी छोरिया छोरो से कम है के” गीता फोगाट के बारे में यह कहावत मशहूर है। गीता फोगाट एक ऐसी महिला रेसलर पहलवान है, जो भारत की तरफ से कॉमनवेल्थ गेम में गोल्ड मेडल जीतने वाली पहली महिला हैं और ओलम्पिक में भी भाग लेने वाली पहली महिला पहलवान हैं। गीता फोगाट के जन्म दिन के मौके पर हम आपको गीता के जीवन से जुड़ी कुछ जरूरी बातें, उनकी पहलवानी के पीछे की मेहनत और उनका फिटनेस सीक्रेट आपको बताएंगे।
म्हारी छोरिया छोरो से कम है के
बुलंद हौसले हों, तो कितना भी बड़ा अखाड़ा क्यों ना हो उसे कोई भी पटखनी नही दे सकता है। ऐसा ही सच कारनामा कर किया है भारत की महिला पहलवान गीता फोगाट ने। भारत के उस राज्य की बेटी है, जहां बेटियों को पैदा होना भी पाप माना जाता था और बेटियों के पैदा होते ही खुशियों की जगह दुख का मातम छा जाता था। उस राज्य हरियाणा की बेटी गीता फोगाट ने शायद अब इस परिभाषा को बदल दिया है।
गीता के जीवन पर आधारित आमिर खान की फिल्म ‘दंगल, उनके कठिन संघर्षों को दर्शाती है। इस फिल्म को भारतीय दर्शको ने अपनी सर-आँखों पर तो बैठाया ही, साथ इस मूवी ने चीन में भी 1200 करोड़ से भी ज्यादा कमाकर इतिहास रच दिया है।
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शुरूआात में कुछ ऐसी ही सोच गीता के माता पिता की भी थी। बेटे की चाह में उनकी चार बेटियां हो गयी। जिनमें गीता सबसे बड़ी बेटी हैं। लेकिन बाद में गीता के पिता को अहसास हुआ कि बेटियां बेटों से कम नही होती। गीता फोगट के पिता पेशे से पहलवान हैं, जो कि खेलो में अपने प्रदर्शन के दम पर द्रोणाचार्य पुरस्कार जीत चुके है। बचपन से कुछ अलग करने की चाहत रखने वाले महावीर सिंग फोगाट ने अपने सपने को बेटियों के रूप में सच कर दिखाया, इनकी बेटियों ने खेलो में अपने पहलवानी के दम वो कारनामा कर दिखाया, जिसकी कल्पना भी कोई इतनी आसानी से नही कर सकता है। गीता फोगाट कुल 4 बहने है। जिनका नाम बबिता फोगाट, संगीता फोगाट, रितु फोगाट है इन सभी का मुख्य कार्यक्षेत्र पहलवानी है और इन चारों अपनी पहलवानी के दम पर अनेक अन्तराष्ट्रीय पुरष्कार जीत चुकी है। एक तरफ जहा बेटियों को अभिशाप समझा जाता है, ऐसे में महावीर सिंह ने अपने बेटियों को बेटों से भी बढ़कर प्यार दिया और ऐसी पहलवानी का प्रशिक्षण दिया की आज के समय लोग उनको सलाम ठोकते हैं।
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गीता फोगट वर्कआउट प्लान
- गीता फोगाट और उनकी बहनें, सुबह 4 बजे सूर्योदय से पहले उठती हैं। चह कम से कम 6 घंटे की ट्रेनिंग लेती हैं, जिसमें वह कई तरह के वर्कआउट्स जिसमें- वेटलिफ्टिंग, कुश्ती, कार्डियो, हाई-इंटेंसिटी इंटरवल ट्रेनिंग और प्लैंक जैसी एक्सरसाइज करती हैं।
- कार्डियो एक्सरसाइज को गीता अपनी शक्ति और शरीर के लचीलेपन के लिए करती हैं, जो कि कुश्ती के लिए जरूरी है।
- वहीं मांसपेशियों को मजबूत बनाने, सहनशक्ति बढ़ाने के लिए वह हाई-इंटेंसिटी इंटरवल ट्रेनिंग को अपने वर्कआउट का अहम हिस्सा मानती हैं। जिसमें वह कई तरह के हाई-इंटेंसिटी एक्सरसाइज करती हैं। जिसमें डेडलिफ्ट और पुश-अप शामिल हैं।
- इसके अलावा, वह वेट ट्रेनिंग में कई तरह की वेट लिफ्टिंग करती हैं, जो उनके पैर और कोर मसल्स को मजबूत बनाता है और उन्हें बेहतर प्रदर्शन के लिए ताकत देने के लिए जरूरी है। यह उनके वर्कआउट का एक अहम हिस्सा है।
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आइए यहां हम आपको गीता फोगाट के कुछ एक्सरसाइज वीडियो भी दिखाते हैं, जिसे उन्होंने अपने इंस्टाग्राम पर शेयर किया है।
गीता फोगाट डाइट प्लान
मॉर्निंग ड्रिंक:
गीता फोगाट अपने दिन की शुरुआत एक गिलास पानी से करती है। इसके बाद वह रोज सुबह नट्स के साथ हेल्दी स्मूदी, शेक और जूस पीती हैं।
नाश्ता:
गीता नाश्ते में कूछ फल, हरी मौसमी सब्जियां, अंकुरित अनाज और 1 गिलास दूध पीती हैं। इसके अलावा, कभी-कभी वह दही के साथ आलू पराठा खाती हैं और एक ब्रेक के बाद में एनर्जी ड्रिंक या फलों का शेक पीती हैं।
दोपहर का खाना:
गीता के दोपहर केखाने में सलाद, चिकन या पनीर, दाल, सब्जी, 4 रोटियां और दही शामिल हैं। इसके अलावा वह शाम को वह ताजे फलों का मिल्कशेक या लस्सी भी पीती हैं।
रात का खाना:
रात के खाने में गीता सलाद, चिकन, दाल, सब्जी, 4 रोटियां या 1 कटोरी ब्राउन राइस खाती हैं। इसके अलावा, सोने से पहले वह हल्दी, केसर और इलायची के साथ 1 छोटा गिलास दूध पीती हैं। गीता के प्री-वर्कआउट डाइट में मौसमी फल और दूध शामिल हैं, जबकि वर्कआउट डाइट में वह सोया प्रोटीन, फल और प्लेन पानी पीना पसंद करती हैं।
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गीता का कहना है, कि उनके परिवार में हर कोई वसायुक्त, तैलीय और मसालेदार भोजन से परहेज करता है। वह जंक फूड्स की जगह नट्स और स्प्राउट्स खाती हैं और हाई प्रोटीन डाइट लेती हैं। यही गीता की मजबूत मसल्स और कोर का राज है।
सिल्वर जीतेगी तो लोग तन्ने भूल जावेंगे, अगर गोल्ड जीती तो मिसाल बन जावेगी
गीता के पिता ने खाने-पीने से लेकर हर चीज का नियम उनके लिए बनाया था और गीता, बबीता को पहलवानी के गुर सिखाए। वह गीता के लिए एक सख्त कोच भी थे। गीता के पिता अक्सर कहा करते थे कि ‘जब तुम लडकों की तरह खाती पीती हो, तो फिर लडकों की तरह कुश्ती क्यों नहीं लड सकती' इस लिए गीता को कभी नहीं लगा कि वो पहलवानी नहीं कर सकती।
गीता कहती हैं पिता के इन शब्दों ने उसे हमेशा आगे बढने की ताकत और हिम्मत दी। गीता के पिता कहते थे ''सिल्वर जीतेगी तो आज नहीं तो कल लोग तन्ने भूल जावेंगे, लेकिन अगर गोल्ड जीती तो मिसाल बन जावेगी और मिसाले दी जाती हैं, बेटा भूली नहीं जाती''।
View this post on InstagramA family with an old person has a living treasure of gold 😘😇 #motherinlaw #respect 🙏
गीता की यह तस्वीर उनकी दादी से लगाव और प्यार को दर्शाती है, जो शायद पहले ऐसा न था। क्योंकि गीता की दादी, जो लडकियों को बोझ समझती थीं अब कहती हैं, ‘ऐसी बेटियां भगवान सौ दे दे तो भी कम है’।
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