Air Embolism in Hindi: पेट में गैस बनने की समस्या काफी आम है और खानपान में गड़बड़ी या खराब लाइफस्टाइल की वजह से यह समस्या अक्सर लोगों में होती है। पेट में गैस के अलावा शरीर के कई अन्य हिस्सों में भी गैस बन सकती है। कई बार लोगों को यह भी महसूस होता है कि पेट के अलावा शरीर के कई अन्य हिस्से में भी गैस जैसा कुछ बन गया है। इसी तरह की एक समस्या है नसों में गैस बनना। नसों में गैस बनने को मेडिकल टर्म में एयर एम्बोलिज्म (Air Embolism in Hindi) कहते हैं। यह समस्या बहुत खतरनाक होती है। नसों में गैस बनने की वजह से शरीर में ब्लड सर्कुलेशन प्रभावित हो सकता है और इसकी वजह से ब्लॉकेज की समस्या भी हो सकती है। आइए विस्तार से जानते हैं नसों में गैस क्यों बनती है और इससे बचने के उपाय।
नसों में गैस क्यों बनती है?- Air Embolism Causes in Hindi
नसों में गैस बनना या एयर एम्बोलिज्म नस या धमनियों में एकसाथ बहुत ज्यादा हवा के जाने से होता है। हवा के ये बुलबुले नसों में ब्लड सर्कुलेशन को प्रभावित करते हैं। नसों या धमनियों में हवा के बुलबुलों के जाने से आपको कई गंभीर परेशानियां हो सकती हैं। इसकी वजह से आपके मस्तिष्क, धमनियों में ब्लड सर्कुलेशन प्रभावित होना, हार्ट स्ट्रोक और फेफड़ों से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं। नसों में गैस बनने के पीछे ये कारण जिम्मेदार माने जाते हैं-
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- नसों में गैस की समस्या इंजेक्शन के माध्यम से हवा के बुलबुले जाने की वजह से हो सकती है।
- फेफड़ों में स्ट्रोक की समस्या के कारण एयर एम्बोलिज्म की समस्या।
- स्कूबा डाइविंग की वजह से एयर एम्बोलिज्म।
- मुंह से बहुत ज्यादा हवा भीतर लेना।
- खराब डाइट की वजह से नसों में गैस बनना।
- कुछ बीमारियों की वजह से नसों में गैस बनना।
नसों में गैस के लक्षण- Air Embolism Symptoms in Hindi
एयर एम्बोलिज्म या नसों में गैस की समस्या में कई तरह के लक्षण दिखाई देते हैं। नसों में गैस बनने पर दिखने वाले प्रमुख लक्षण इस तरह से हैं-
- सांस लेने में परेशानी
- मांसपेशियों में दर्द
- जोड़ों में दर्द
- सिल से जुड़ी परेशानियां
- ब्लड सर्कुलेशन प्रभावित होना
- सीने में गंभीर दर्द
- भ्रम और चेतना की कमी
- स्किन का रंग नीला पड़ना
एयर एम्बोलिज्म या नसों में गैस का इलाज- Air Embolism Treatment in Hindi
नसों में गैस की समस्या या एयर एम्बोलिज्म की समस्या का इलाज करने के लिए डॉक्टर सबसे पहले मरीज की जांच करते हैं। जांच में डॉक्टर ब्लड प्रेशर, सांस आदि को चेक करने के लिए अल्ट्रासाउंड या सीटी स्कैन कर सकते हैं। इसके बाद मरीज की स्थिति के आधार पर मरीज का इलाज किया जाता है।
(Image Courtesy: Freepik.com)
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