थॉमस जेफरसन यूनिवर्सिटी ऑफ फिलाडेल्फिया के साथ मिलकर भारत की वैक्सीन बनाने वाली प्रमुख कंपनियों में से एक भारत बायोटेक जेफरसन में कोरोना की वैक्सीन तैयार करने में जुट गई है। जिसके बाद भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) के पूर्व महानिदेशक एन.के. गांगुली का बयान आया है कि ऐसा लगता है कि कोरोना से निपटने के लिए आपातकालीन टीका साल 2021 यानी की अगले साल जनवरी या फरवरी तक उपलब्ध होगा।
2021 के इन 2 महीनों में उपलब्ध होगा टीका
गांगुली का कहना है कि अधिकांश वैक्सीन विकास कार्यक्रमों का उद्देश्य स्पाइक प्रोटीन के आनुवंशिक कोड की पहचान करना है, जो इस मामले में पहले ही पहचाना जा चुका है जिसका उपयोग Sars-CoV-2 मानव कोशिकाओं में प्रवेश करने के लिए करता है। वैक्सीन को बनाने में इसका उपयोग टीकाकरण के बाद उन लोगों में इम्यून रिस्पॉन्स को बढ़ाने के लिए किया जाता है, जिन्हें टीका लगाया जाता है। गांगुली का कहना है कि आपातकालीन टीका जनवरी या फरवरी 2021 तक उपयोग के लिए उपलब्ध होगा।
तेजी से हो सकता है टीकों का उत्पादन
आरएनए (RNA) वायरस की आनुवंशिक सामग्री है और मैसेंजर आरएनए या एमआरएनए टीके (messenger RNA or mRNA vaccines) पूरी तरह से सिंथेटिक हैं। एंटीडेन सीक्वेंस को जानने के बाद टीके के उत्पादन को तेज किया जा सकता है, और इस बुनियादी ढांचे का उपयोग अन्य एमआरएनए टीकों द्वारा भी किया जा सकता है जिसमें एक अलग सीक्वेंस होता है।
इसे भी पढ़ेंः लॉकडाउन के बावजूद बीते 24 घंटे में कोरोना के बढ़े 1 लाख से ज्यादा मामले लेकिन भारत के लिए राहत, जानें क्यों
बाजार में आने में लगते हैं 5 से 10 साल
गांगुली ने जोर देकर कहा कि mRNA सिंथेटिक वैक्सीन को तेजी से विकसित किया जा सकता है और नियामक अधिकारियों से मंजूरी मिलने के बाद 5 साल की सामान्य समय-सीमा को बहुत कम किया जा सकता है। आमतौर पर लैब से लेकर बाजार तक वैक्सीन को उपलब्ध होने में लगने वाला समय औसतन पांच से दस साल तक होता है।
उच्चे पोटेंसी के होंगे टीके
नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन के अनुसार, mRNA टीके अपने उच्च पोटेंसी, तेजी से विकास की क्षमता और कम लागत के निर्माण और सुरक्षित प्रशासन की क्षमता के कारण पारंपरिक वैक्सीन दृष्टिकोणों के एक आशाजनक विकल्प का प्रतिनिधित्व करते हैं।
इसे भी पढ़ेंः हल्की हवा में खांसने पर 6 फीट नहीं बल्कि 18 फीट तक फैल सकता है कोरोना, जानें किन लोगों के लिए निकलना मुश्किल
स्मार्ट टेस्टिंग कर रहा है भारत
देश की परीक्षण क्षमता पर गांगुली ने कहा कि भारत, दक्षिण कोरिया और चीन के विपरीत, 1.3 अरब आबादी होने के बावजूद स्मार्ट परीक्षण कर रहा है। उन्होंने कहा कि देश भर में अधिकारी क्लस्टर और हॉटस्पॉट इलाकों में वायरस के लिए परीक्षण कर रहे हैं। देश में 1.3 अरब की आबादी के संदर्भ में एक दिन में 1 लाख परीक्षण बहुत कम हैं। सप्ताह में कम से कम 10 लाख परीक्षण होने चाहिए। लेकिन, हम सभी संसाधनों और पैसे को टेस्टिंग में नहीं डाल सकते हैं। इसलिए भारत की स्मार्ट परीक्षण रणनीतियां उचित हैं। इसके अलावा, भारत के पास दक्षिण कोरिया और चीन की तरह बुनियादी ढांचा भी नहीं है।
गांगुली ने जोर देकर यह भी कहा कि वायरस का फैलाव हॉटस्पॉट और क्लस्टर्स में सबसे अधिक है, इसलिए, इन क्षेत्रों को स्मार्ट परीक्षण के माध्यम से लक्षित किया जाना चाहिए।
Read More Articles On Health News In Hindi