प्रेग्नेंसी में महिलाओं को कई तरह के लक्षण महसूस होते हैं। इसमें जी मिचलाने और उल्टी होना एक आम लक्षण माना जाता है, जो प्रेग्नेंसी के शुरूआती कुछ सप्ताह से ही महिलाओं को महसूस होने लगता है। डॉक्टर के अनुसार इस समय महिलाओं को शरीर में हार्मोनल बदलाव हो रहे होते हैं, ऐसे में उनके खाने की आदतों में भी बदलाव होता है। प्रेग्नेंसी में महिलाओं को ज्यादातर तेज गंध वाले आहार से जी मिचलाने की समस्या होती है। साईं पॉलिक्लिनिक की स्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर विभा बंसल से जानते हैं कि महिलाओं को इस दौरान जी मिचलाने की समस्या से बचाव कैसे करना चाहिए।
प्रेग्नेंसी में किस तरह के आहार से जी मिचलाने की समस्या हो सकती है? What Kind Of Diet Can Cause Nausea During Pregnancy in Hindi
पहली तिमाही में महिलाओं के मूड में तेजी से बदलाव होता है। ऐसे में उनको कुछ तरह की चीजों को खाने की इच्छा होती है, जबकि कुछ को वह खाना पसंद नहीं करती है। इस लिस्ट में शामिल होने वाली चीजों से महिलाओं को जी मिचलाने और उल्टी की समस्या हो सकती है।
फास्ट फूड
प्रेग्नेंसी में फास्ट फूड और ज्यादा तैलीय आहार खाने से महिलाओं को जी मिचलाने की समस्या हो सकती है। इस दौरान तैलीय आहार को पचाने में मुश्किल होती है। ऐसे में आप बाहर का खाना खाने से बचें।
मसालेदार डाइट न लें
डॉक्टर के अनुसार प्रेग्नेंसी के शुरूआती दौर में मासलेदार चीजों को खाने से महिलाओं को जी मिचलाने की समस्या हो सकती है। इससे दौरान महिलाओं को सीने में जलन और एसिडिटी की समस्या हो सकती है। साथ ही, कुछ महिलाओं को उल्टी आने की समस्या भी हो सकती है।
तेज गंध वाले आहार
गर्भावस्था में तेज गंध वाले आहार को खाने से बचें। दरअसल, कुछ चीजों को पकाने के बाद उसमें से तेज गंध आती है। इन चीजों से महिलाओं को जी मिचलाने लगता है। इस दौरान खाने में प्याज व लहसुन की गंध से भी महिलाओं को जी मिचलाने की समस्या हो सकती है।
कार्बोनेटेड ड्रिंक्स
कार्बोनेटेड ड्रिंक्स और खट्टे फल कुछ महिलाओं को मॉर्निंग सिकनेस में आराम पहुंचा सकते हैं। लेकिन, यही ड्रिंक्स कुछ के लिए जी मिचलाने का कारण बन सकता है।
नॉनवेज से करें परहेज
प्रेग्नेंसी में कम पका हुआ मीट, अंडे व अन्य चीजों को खाने से ची मिचलाने की समस्या हो सकती है। साथ ही, महिलाओं को आहार संबंधी समस्याएं होने का खतरा अधिक होता है।
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डॉक्टर के अनुसार इस समय महिलाओं को पोषण युक्त आहार खाने पर जोर देना चाहिए। इस दौरान डाइट में बदलाव करने से जी मिचलाने और उल्टी आदि लक्षणों को कम करने में मदद मिलती है। साथ ही, भ्रूण को पर्याप्त पोषण की पूर्ति होती है।