फ्लू वायरस का खात्मा कर सकती हैं अल्ट्रावायलेट किरणें

वैसे तो सूरज की अल्ट्रावायलट किरणें हमें नुकसान पहुंचाती हैं, लेकिन इन किरणों की कम मात्रा का इस्तेमाल मानव ऊतक यानी टिशू को नुकसान पहुंचाए बिना हवा में मौजूद फ्लू के वायरस को मारने के लिए किया जा सकता है। 
  • SHARE
  • FOLLOW
फ्लू वायरस का खात्मा कर सकती हैं अल्ट्रावायलेट किरणें


वैसे तो सूरज की अल्ट्रावायलट किरणें हमें नुकसान पहुंचाती हैं, लेकिन इन किरणों की कम मात्रा का इस्तेमाल मानव ऊतक यानी टिशू को नुकसान पहुंचाए बिना हवा में मौजूद फ्लू के वायरस को मारने के लिए किया जा सकता है। इन किरणों का उपयोग अस्पतालों, विद्यालयों और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए किया जा सकता है।

वैज्ञानिकों को दशकों से इस बात की जानकारी रही है कि 200-400 नैनोमीटर के तरंगदैर्ध्य वाले ब्रॉड स्पेक्ट्रम अल्ट्रावायलेट सी (UVC) किरण जीवाणु और वायरस को नष्ट करने में बहुत अधिक प्रभावी है। पारंपरिक UV किरणों का इस्तेमाल सर्जरी के उपकरणों को कीटाणुमुक्त करने के लिए भी किया जाता रहा है। 

इसे भी पढ़ें : स्पाइनल पेन से लोगों को छुटकारा दिला रही है ये नई तकनीक

अमेरिका स्थित कोलंबिया विश्वविद्यालय के इरविंग मेडिकल सेंटर में प्रफेसर डेविड जे ब्रेनर ने कहा, ‘दुर्भाग्यपूर्ण रूप से पारंपरिक कीटाणुनाशक अल्ट्रावायलट किरणें मानव स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है और इससे त्वचा के कैंसर और मोतियाबिंद का खतरा होता है। इस कारण सार्वजनिक स्थानों पर इसका इस्तेमाल नहीं किया जाता है।’ अनुसंधानकर्ताओं ने पहले इस बात की कल्पना की थी कि यूवीसी की कम मात्रा से माइक्रोब को मारा जा सकता है और इससे इंसान के टिशू भी क्षतिग्रस्त नहीं होते। ब्रेनर ने कहा कि यह प्रकाश स्वास्थ्य के लिहाज से खतरनाक नहीं है। इस अनुसंधान का प्रकाशन ‘साइंटिफिक रिपोर्टर्स’ जर्नल में किया गया है।

ऐसे अन्य स्टोरीज के लिए डाउनलोड करें: ओनलीमायहेल्थ ऐप

Read Next

अब स्टेम सेल प्रत्यारोपण से होगा फेफड़े के मरीजों का इलाज

Disclaimer

How we keep this article up to date:

We work with experts and keep a close eye on the latest in health and wellness. Whenever there is a new research or helpful information, we update our articles with accurate and useful advice.

  • Current Version